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कोई भी जीते बस भाजपा ना जीते : आम आदमी पार्टी

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फिलहाल आम आदमी पार्टी “क्रैब मेंटेलिटी” से ग्रसित दिख रही है.

झारखण्ड में आम आदमी पार्टी खुद तो चुनाव नहीं लड़ रही पर भाजपा को हराने के लिए प्रचार जरूर कर रही है. सबसे पहले हम आपको “क्रैब मेंटेलिटी” के बारे में बताते हैं.

“क्रैब मेंटेलिटी” एक प्रसिद्ध कहावत है, जिसमे केकड़ों की मानसिकता को दर्शाया जाता है. अगर बहुत से केकड़ों को आप एक बाल्टी में रख दो और कोई केकड़ा ऊपर चढ़ बाहर आना चाहे तो दूसरा केकड़ा उसे पकड़ कर नीचे खींच लेता है. इंसानों में भी कई बार यही मानसिकता देखने को मिलती है. कई बार व्यक्ति अगर खुद आगे नहीं बढ़ पा रहा तो आगे बढ़ रहे व्यक्ति को खींच लेता है.

झारखण्ड में जल्द ही विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. आम आदमी पार्टी इस चुनाव में नहीं लड़ रही. लेकिन आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लगता है की चुनाव में वो एक अहम् भूमिका निभा सकते हैं, और भाजपा को हराने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं.

आम आदमी पार्टी के झारखण्ड यूनिट की तैयारी है की जहाँ-जहाँ भाजपा के उम्मीदवार हैं, वहां जो भी उनके खिलाफ सबसे संभावित उम्मीदवार होगा उसका वो प्रचार करेंगे. ज्यादातर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का प्रचार आम आदमी पार्टी करेगी.

आम आदमी पार्टी ने 10 ग्रामीण इलाके चुने हैं, जहाँ उनके कार्यकर्ताओं की पकड़ है. ये इलाके हैं- मनोहरपुर, चक्रधरपुर, जगन्नाथपुर, खरसावाँ, बह्रागोरा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई आदि

हर जिले में करीब 300 आप कार्यकर्ता भाजपा के खिलाफ प्रचार करने मैदान में उतर गए हैं. हालाँकि “आप” की माने तो ये फैसला झारखण्ड यूनिट ने लिया है. और आप के हेड ऑफिस यानी दिल्ली से इसके बार में कोई आज्ञा नहीं ली गयी.

तो फिलहाल युद्धक्षेत्र में ना होते हुए भी “आप” को लग रहा है की वो निर्णायक साबित हो सकती हैं. खैर जिस झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को आप समर्थन कर रही है उसके बारे में हम थोडा बता दें. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ऐसे पहले केन्द्रीय मंत्री थे जो मंत्री रहते हुए हत्या के मामले में दोषी पाए गए थे. और साथ ही शिबू सोरेन और बेटे हेमंत सोरेन पर काफी भ्रस्टाचार के आरोप भी लगे थे.

इन सब के बाद सिर्फ एक ही सवाल उठता है कि क्या आम आदमी पार्टी धीरे धीरे भूलती जा रही की वो किस आन्दोलन के बल पर राजनीति में आई थी?