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कहानी मोस्ट वॉन्टेड की तब से अब तक

मोस्ट वॉन्टेड

मोस्ट वॉन्टेड – एक दौर था जब भारत में पहली बार काइम शो की शुरूआत के साथ सुहैब इलियासी का नाम लोगों के जहन में सर चढ़ गया था। ये वो दौर था जब हर खूंखार अपराधी सुहैब इलियासी का नाम आते ही डर जाता था।

सुहैब भारत के हर छोटे बड़े खुंखार मुजरिमों की आंख की किरकिरी बना हुआ था। वह हर अपराधी की आखों में चुभने लगा था। यही वजह थी कि बेहद कम समय में सुहैब इलियासी छोटे पर्दे का एक बड़ा स्टार बन गया था।

बीतते वक्त के साथ सुहैब इलियासी की शौहरत भी बढ़ती रही, लेकिन एक दौर आया जिसने उसकी पूरी शौहरत को चंद मिनटों में हवालात के दरवाजे ला खड़ा किया। इन चंद लम्हों में जहां एक ओर सुहैब इलियासी ने अपनी पत्नी को खो दिया था, वहीं दूसरी ओर उसके मरने का इल्जाम भी सुहैब पर ही लगा था।

18 साल चले इस केस में बीते 5 अक्टूबर 2018 को हाई कोर्ट ने सुहैब को बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया है।

मोस्ट वॉन्टेड

आखिर क्या है मोस्ट वॉन्टेड सुहैब इलियासी के इन 18 सालों की कहानी

साल था 2010 तारिख 10 जनवरी, इंडिया मोस्ट वॉन्टेड का होस्ट सुहैब इलियासी की पत्नी अचानक पूर्वी दिल्ली के मयूर बिहार इलाके में स्थित अपने ही मकान में घायल अवस्था में देखी जाती है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है…

जहां डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देते है। अब शुरू हुई इस मामले में पुलिस की जांच पड़ताल, जिसके मुताबिक घटना के समय घटना स्थल पर अंजु इलियासी, सुहैब इलियासी और उनकी करीब ढ़ाई साल की बेटी मौजूद थी। पुलिस की पुरी सुई सुहैब इलियासी पर आकर रूक जाती थी, शक और ज्यादा तब गहरा गया जब सुहैब ने यह बताया कि उस दिन जब वह घर आया तब उसके और उसकी पत्नी अंजु के बीच कहासुनी हो गई थी, जिसके बाद अंजु ने खुद पर चाकू से हमला कर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। लेकिन जिन हालातों में अंजु इलियासी की लाश मिली थी, उसे देखकर एक्सपर्टर्स का भी यहीं कहना था कि कोई भी व्यक्ति जब आत्म हत्या के लिए खुद पर चाकुओं से वार करता है, तो वह कभी भी खुद पर एक से ज्यादा वार नहीं कर सकता है।

मोस्ट वॉन्टेड

मामले में आगे की जांच पड़ताल के लिए अंजू इलियासी के शव का पोस्टमार्टम दो फोरेंसिक टीमों द्वारा कराया गया। दोनों टीमों ने मिलकर दो-दो ऑपट्सी रिपोर्ट तैयार की।

इसके अलावा अंजू इलियासी के माता-पिता ने भी बयान दिया… कहीं से भी इस मामले में सुहैब के खून करने या किसी अन्य व्यक्ति के खून करने के कोई निशान नहीं मिले, जिसके बाद पुलिस इस ने इसे आत्महत्या मान कर केस बंद करने का विचार बना लिया। लेकिन अंजू की मौत के ठीक एक महीने बाद अंजू की बहन ने अंजू की मौत को खून बताते हुए सुहैब को लेकर कई खुलासे किये। अब पूरे केस का रूख बदल गया था। केस में नए मोड़ के साथ केस दर्ज करते हुए पुलिस ने इस मामले में सुहैब इलियासी पर कत्ल का इल्जाम़ लगा इस केस को कोर्ट के दरवाजे ला खड़ा किया।

जहां 17 साल लम्बें चले इस केस में सुहैब को 20 दिसंबर 2017 को दिल्ली की कड़क़ड़डूमा कोर्ट ने इस केस में अपराधी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को ना मानते हुए सुहैब ने इस केस को एक बार फिर रिऑपन कराया और हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाई। जहां हाई कोर्ट ने गवाहों और सबूतों की कमी के चलते फैसला सुहैब इलियासी के पक्ष में सुनाया और सुहैब को बीते 5 अक्टूबर 2018 को पत्नी के कत्ल के इल्जाम से बरी कर दिया।