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आख़िर क्यों काम देव ने अपने ही पिता पर काम बाण चलाया था ?

काम देव

काम देव – युग चाहे जो रहा हो, हर युग में चढ़ाने वाले और चढ़ने वाले रहे हैं. आज भी हम कटे हैं कि कुछ लोग इतने जल्दी चने की झाड़ पर चढ़ जाते हैं कि उन्हें स्थिति का अंदाज़ा ही नहीं लगता.

किसी की झूठी तारीफ करने पर कोई फुल के गुब्बारा हो जाता है. कई लोग तो झूठे उकसावे में आकर गलत काम भी कर देते हैं. ऐसा ही एक बार देवताओं के साथ भी हुआ. परमपिता ब्रह्मा अपनी तपस्या में लीं थे, तभी इंद्र देव और ब्रह्मा के पुत्र कामदेव, जिन्हें काम वासना का देवता माना जाता है, वो मिले. दोनों में बात होते होते इस कदर बढ़ गई कि काम देव अपने होश खो बैठे.

अपने चरित्र के अनुसार इंद्र ने काम देव को उनके ही पिता के खिलाफ भड़काना शुरू किया. इंद्र ने कुछ ऐसी बातें कह डाली, जिससे प्रेरित होकर काम देव ने अपने पिता की तपस्या भंग कर दी.

इंद्र ने काम देव से कहा कि क्या उनके भीतर इतनी शक्ति है कि वो किसी को भी अपने मार्ग से भटकाकर काम वासना में लिप्त कर सकते हैं, तो कामदेव ने मुस्कुराकर हाँ में जवाब दिया. इंद्रा ने बड़ी चालाकी से सबका नाम लेते हुए अंत में ब्रह्मा जी का नाम ले लिया. अपने पिता का नाम सुनते ही कामदेव के हाथ पैर फूलने लगे. वो ऐसा करने से मन कर दिए.

अब इंद्र ने अपनी चाल चली और काम देव को नकारा बताने लगा. इंद्रा ने कहा कि कामदेव के भीतर इतनी शक्ति नहीं है कि वो ब्रह्म देव को हिला भी सकें. उनकी शक्ति बेकार है. वो नाम के देवता हैं. काम के देवता बस नाम मात्र के हैं वो.

इंद्र देव का ये कहना था कि कामदेव को गुस्सा आ गया और वो झूठे चढ़ावे में आकर अपने ही पिता पर काम बाण छोड़ दिए.

इसलिए कहते हैं कि अपना दिमाग चलाओ और किसी के बहकावे में मत आओ.