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शिव को गुस्सा आया और ब्रह्मा जी का सर काट दिया. पढ़िये आखिर क्यों किया शिव ने ऐसा !

Why Did Shiva Chop Off Lord Brahma Head

बहुत ही कम लोग इस कहानी को जानते हैं.

लेकिन इतिहास में यह भी हुआ है जब शिव भगवान को बह्मा जी पर बहुत अधिक गुस्सा आ गया था और उन्होंने ब्रह्मा जी का सर काट दिया था.

क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं? देवताओं में क्या इस तरह से किसी वाद-विवाद पर ऐसा हो सकता है क्या?

क्या था पूरा मामला;-

जैसा कि हमारे धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि भैरव जी भी शिव के ही रूप हैं. एक बार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे. इस विषय में जब वेदों से पूछा गया तब उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ एवं परमतत्व कहा. किंतु ब्रह्मा व विष्णु ने उनकी बात का खंडन कर दिया. तभी वहां भगवान शंकर प्रकट हुए. उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा- चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो. अत: मेरी शरण में आओ. ब्रह्मा की ऐसी बात सुनकर भगवान शंकर को क्रोध आ गया. उनके क्रोध से वहां एक तेज-पुंज प्रकट हुआ और उसमें एक पुरुष दिखलाई पड़ा.

भगवान शिव ने उस पुरुषाकृति से कहा- काल की भांति शोभित होने के कारण तुम साक्षात कालराज हो. तुम से काल भी भयभीत रहेगा, अत: तुम कालभैरव भी हो.

मुक्तिपुरी काशी का आधिपत्य तुमको सर्वदा प्राप्त रहेगा. उस नगरी के पापियों के शासक भी तुम ही होंगे. भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा का एक सिर काट दिया था.

जब लगा शिव पर ब्रह्म पाप

लेकिन ऐसा कर शिव के सिर पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था. शिव को इस पाप से मुक्ति प्राप्त करनी बेहद जरुरी हो गयी थी. इसी बात का पश्चाताप करने के लिए शिव ने, करीब 12 सालों तक ब्रह्मा का कटा सिर थामकर भीक्षा मांगकर जीवन व्यतीत किया। माना जाता है कि इसी स्वरूप में शिव सभी शक्तिपीठों की रखवाली करते हैं.

साथ ही साथ एक और पक्ष

इसी कहानी के साथ साथ, एक पक्ष यह भी कहता है कि ब्रह्म जी के जब चार सर हो चुके थे तब उनके पांचवा सर निकला तब शिव भगवान ने इस सर को अहंकार का कारण बताया था. तब शिव ने बोला था कि ब्रह्मा भविष्य में यह सर तुम्हारे अहंकार का कारण बन सकता है और तब शिव ने ब्रह्मा जी का पांचवा सर काट दिया था.

तो तभी से शायद भैरव जी को सभी लोग शिव का क्रोधित रूप बताते हैं. लेकिन एक बात यह भी है भैरव जी लोगों से उनकी बुराइयाँ लेते हैं और उनको साफ़-पवित्र कर घरों को विदा भी करते हैं.

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