ENG | HINDI

जानिए पांचवी पास महिला आखिर कैसे बन गई एक सफल व्यवसायी !

बचपन से ही हम सुनते आ रहे हैं कि पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब. जी हां, हमें बचपन से ही ये सिखाया जाता है कि पढ़ाई-लिखाई करने के बाद ही हम कोई अच्छी नौकरी कर पाएंगे और अपने परिवार का नाम रोशन कर सकेंगे.

लेकिन कई बार ज्यादा पढ़े-लिखे लोग भी बेरोजगार घूमते हैं और उन्हें ढंग की नौकरी भी नहीं मिल पाती है. जबकि कुछ ऐसे टैलैंटेड लोग भी होते हैं जो पढ़ाई-लिखाई के मामले में जीरो होते हुए भी कामयाबी के मामले में अच्छे-अच्छों को पीछे छोड़ देते हैं.

आज हम आपको पांचवी पास महिला की कामयाबी की एक ऐसी ही कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने ये साबित किया है कि कामयाबी पाने के लिए ना तो ज्यादा पढ़ाई-लिखाई की जरूरत होती है और ना ही किसी बड़ी डिग्री की.

शादी में गिफ्ट के रुप में मिली थी गाय और भैंस

दरअसल उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मीरकनगर गांव से ताल्लुक रखनेवाली बिटाना देवी नाम की पांचवी पास महिला ने कामयाबी की एक ऐसी कहानी लिख दी है जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक है.

बताया जाता है कि 15 साल की उम्र में ही बिटाना देवी की शादी कर दी गई थी और उन्हें पिता की ओर से शादी के गिफ्ट में एक गाय और एक भैंस मिली थी.

पांचवी पास बिटाना ने इस गाय और भैंस की अपने बच्चों की तरह देखभाल की और फिर उनसे होनेवाले बछड़ों का भी बेहतर तरीके से लालन पालन करके आज वो एक सफल डेयरी फार्म की संचालिका बन गई हैं.

बिटाना देवी ने ऐसे शुरू किया अपना व्यवसाय

शादी में पापा द्वारा भेंट में मिली गाय और भैंस के दूध को बेचकर बिटाना ने एक और गाय खरीद ली. बहुत ही सीमित संसाधनों के बीच दूध बेचकर उससे मिलनेवाली रकम से बिटाना ने कई गाय और भैंसे खरीद ली.

साल 1996 में उन्होंने दूध के उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया और धीरे-धीरे उन्हें इस कारोबार में कामयाबी मिलने लगी. आपको बता दें कि साल 2005 से लगातार सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से बिटाना को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा रहा है.

आपको बता दें बिटाना अपने फार्म से हर रोज करीब 155 लीटर दूध पराग डेयरी को सप्लाई करती हैं और वर्तमान में उनके फार्म में हर रोज 188 लीटर दूध का उत्पादन होता है.

बिटाना की मानें तो साल 1985 से उन्होंने अपने इस व्यवसाय की औपचारिक तौर पर शुरूआत की थी. हालांकि शुरूआती दौर में उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

खुद ही उठाती हैं घर का सारा खर्च

बताया जाता है कि अपने इस व्यवसाय से आनेवाली कमाई से ही बिटाना घर के सारे खर्चे पूरे करती हैं. घर की जिम्मेदारियों को निभाने के साथ ही वो अपने व्यवसाय को भी अच्छी तरह से चला रही हैं.

वर्तमान में बिटाना के पास 40 दुधारू पशु हैं. वो खुद ही हर रोज सुबह पांच बजे उठकर इन जानवरों को चारा और पानी देती हैं फिर उनका दूध निकालती हैं और डेरी तक भी दूध को पहुंचाने वो खुद ही जाती हैं.

बिटाना के इस व्यवसाय को देखकर आसपास के इलाके की कई महिलाओं को प्रेरणा मिली है और उनसे प्रेरित होकर ही दूसरी कई महिलाओं ने भी दूध उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया है.

गौरतलब है कि बिटाना देवी की कामयाबी की यह कहानी उन लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है जो कम पढ़े-लिखे हैं और ये सोचते हैं कि शिक्षा की कमी के चलते वो कोई काम नहीं कर सकते.