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जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी ये 5 रोचक बातें शायद ही जानते होंगे आप

हिंदू धर्म में धार्मिक स्‍थलों और तीर्थस्‍थलों का बहुत महत्‍व है। इनमें चारधाम की यात्रा सर्वोच्‍च और सर्वश्रेष्‍ठ मानी जाती है। चार धाम की यात्रा में से एक जगन्‍नाथ पुरी के दर्शन भी हैं। इस मंदिर का नाम भारत के सबसे धनी मंदिरों की सूची में भी शामिल है।

स्‍कंद पुराण, नारद पुराण, पदम् पुराण और ब्रह्म पुराण में भी जगन्‍नाथ पुरी का वर्णन मिलता है। इन ग्रंथों में वर्णित है कि कई पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्‍वनि के बीच विशाल रथों को सैंकड़ों लोग मोटी-मोटी रस्सियों से खींचते हैं।

जी हां, हर साल आषाढ़ के महीने में जगन्‍नाथ मंदिर से रथयात्रा निकलती है जिसमें मंदिर में स्‍थापित तीनों देवी-देवताओं की मूर्तियों को विशाल रथ में बैठाकर यात्रा निकाली जाती है। इस रथ यात्रा में सबसे पहले भगवान जगन्‍नाथ के बड़े भाई बलराम जी का रथ निकलता है और उसके बाद उनकी बहन सुभद्रा का और फिर स्‍वयं जगन्‍नाथ के रूप में पूजनीय भगवान कृष्‍ण का रथ निकलता है। आपको बता दें कि जगन्‍नाथ मंदिर में भगवान जगन्‍नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की तीन मूर्तियां स्‍थापित हैं।

इस बार 14 जुलाई, 2018 को जगन्‍नाथ रथयात्रा आरंभ हो रही है। मान्‍यता है कि जो भी इस यात्रा के दौरान रथ को खींचता है तो जीवन-मृत्‍यु के चक्र से मुक्‍ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्‍ति होती है।

आज इस पोस्‍ट के ज़रिए हम आपको रथ यात्रा से जुड़ी कुछ अनोखी और अनसुनी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।

बारिश का आना

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बहुत कम लोगों ने इस बात पर गौर किया होगा कि जगन्‍नाथ रथ यात्रा के दिन बारिश जरूर होती है। जब से ये यात्रा शुरु हुई है तब से लेकर आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि यात्रा के दिन बारिश ना हुई हो।

जगन्‍नाथ यात्रा के आरंभ होने के पहले साल से लेकर अब तक राजाओं के वंशज ही पारंपरिक ढंग से सोने के हत्‍थे वाली झाडू से जगन्‍नाथ जी के रथ की सफाई करते हैं। अब भारत में कोई राजा नहीं है इसलिए पुरी में एक ऑफिशियल राजा बनाया गया है जो मंदिर के बाहर का रास्‍ता सोने से बने पोछे से साफ करता है।

चलते-फिरते हैं यहां के भगवान

दुनियाभर में ऐसा कोई भी मंदिर नहीं होगा जहां के भगवान खुद घूमने निकल जाते हैं। जगन्‍नाथ भगवान एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी रथ यात्रा निकलती है और उसमें हज़ारों लोग शामिल होते हैं।

पोड़ा पीठा का स्‍वाद

मान्‍यता है कि भगवान जगन्‍नाथ को पोड़ा पीठा खाना बहुत पसंद है और उडीसा में बनने वाली इस मिठाई को खाने के लिए रथयात्रा जरूर रूकती है।

नारियल की लकड़ी से बनता है रथ

बलराम जी, सुभद्रा जी और भगवान जगन्‍नाथ के तीनों रथों को नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है। ये लकड़ी हल्‍की होती है और भक्‍तों को रथ को खींचने में आसानी होती है इसलिए इस लकड़ी का इस्‍तेमाल रथ बनाने में किया जाता है। भगवान जगन्‍नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है और ये तीनों रथों में सबसे बड़ा भी होता है। ये रथ सबसे पीछे चलता है।

इस तरह बहुत खास होती है हर साल निकलने वाली जगन्‍नाथ रथ यात्रा। इस बार आप भी जगन्‍नाथ यात्रा में शामिल होकर अपने लिए मोक्ष पा सकते हैं।