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NDA के 11 नेता बिहार मुख्यमंत्री की रेस में

आने वाले बिहार चुनाव में NDA से कोई एक कद्दावर नेता नहीं जो मुख्यमंत्री पद का दावेदार कहा जा सके.

तो बस बहती गंगा में सभी हाथ धोने निकल पड़े हैं. कम से कम 11 नेता ऐसे हैं जो मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. और मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए ताल ठोक रहे हैं. कुछ खुलेआम, तो कुछ समर्थकों के जरिये तो कुछ अपने बयानों से.

इसलिए आलाकमान ने कह दिया है की वो मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा चुनाव से पहले नहीं करने वाली.

इन नेताओं में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की है. वैसे भाजपा को बहुत ही अनुशासित पार्टी माना जाता है, पर अभी मुख्यमंत्री बनने की चाहत उन्हें अनुशासन में रहने नहीं दे रही.

तो आइये मिलते हैं उन 11 महानुभाव से, जो शायद आने वाले दिनों में बिहार मुख्यमंत्री की रेस में हैं.

1- सुशील कुमार मोदी-

सुशील कुमार मोदी बिहार मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं. बिहार के कद्दावर नेता. लालू यादव और राजद के खिलाफ करीब 25 सालों से संघर्ष कर रहे हैं. नितीश सरकार में मोदी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. और फिलहाल बिहार विधान मंडल में भाजपा नेता हैं.

2- रविशंकर प्रसाद-

राष्ट्रीय राजनीति में अहम् नेता माने जाते हैं. भाजपा के सशक्त प्रवक्ता रहे हैं. नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री. और साथ ही प्रधानमंत्री के “गुड बुक्स” में भी है. अगर प्रदेश स्तर पर कोई बात नहीं बनी तो रविशंकर प्रसाद मुख्यमंत्री हो सकते हैं.

3-जीतनराम मांझी-

बहुत मुश्किल से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था मांझी ने. मांझी को मनमोहन सिंह समझने की गलती नितीश कुमार कर चुके हैं. अभी हाल ही में NDA में शामिल हुए मांझी को मुख्यमंत्री पद की लालसा अब तक है. बिहार में NDA की तरफ से बड़ा दलित चेहरा हैं मांझी. और अगर स्तिथियाँ इनके अनुकूल रही तो ये मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर जरूर हक़ जमा सकते हैं.

4- रामविलास पासवान-

कहा जाता है जहाँ सत्ता होती है वहां रामविलास पासवान होते हैं. इतिहास भी यही कहता है कि हर सरकार के साथ रामविलास पासवान जरूर दिखे. राजनीति में लालू और नितीश से सीनियर रामविलास की सालों से इच्छा रही है मुख्यमंत्री बनने की. हालांकि पासवान ने खुद को इस रेस से बहार बताया है लेकिन, अगर इस बार भी 2005 की तरह  सत्ता की चाभी रामविलास के हाथ लगी तो वो मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोंक सकते हैं.

5- शत्रुघ्न सिन्हा-

बिहार में भाजपा को बुलंदियों पर पहुँचाने वालों में से एक. और भाजपा के स्टार प्रचारक रहे शत्रुघ्न सिन्हा. खुद जनरल बनने की ख्वाहिश रखते हैं. और अगर जानकारों की माने तो भाजपा को शत्रुघ्न के नाम की सलाह देने वालों में लालू यादव भी शामिल हैं.

6- नंदकिशोर यादव-

बिहार विधान सभा में विरोधी दल के नेता हैं नंदकिशोर यादव. नंदकिशोर यादव उस यादव समाज से आते हैं जिनकी आबादी बिहार में सबसे ज्यादा है और चुनावो में निर्णायक होती हैं. ऐसे में लालू यादव के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए पार्टी इन्हें आगे कर सकती है.

7- डॉ सीपी ठाकुर-

पेशे से डॉक्टर सीपी ठाकुर केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. सोमवार को इन्होने अपनी इच्छा जता दी है मंत्री पद के लिए. और इनकी जाति के कई संगठन भी सामने आये हैं ठाकुर को मुख्यमंत्री बनने की मांग को लेकर.

8- गिरिराज सिंह-

अपने बयानों के लिए हमेशा विवाद में रहते हैं और ख़बरों में भी. नरेन्द्र मोदी के कट्टर समर्थक होना इनको फायदा पहुंचा सकता है. जदयू गठबंधन में जब कोई मोदी के पक्ष में खुलकर नहीं बोलता था तब भी गिरिराज सिंह हमेशा मोदी समर्थन में दिखे. भाजपा को अगर हिन्दू वोटों को गोलबंद करने की आवश्यकता होगी तो वो गिरिराज सिंह को आगे कर सकती है.

9- उपेन्द्र कुशवाहा-

अपनी मुख्यमंत्री उम्मीदवारी की आधिकारिक अर्जी उपेन्द्र कुशवाहा ने दे दी है. कुशवाहा राष्ट्रीय लोक्समता पार्टी के अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री हैं. खुद कुशवाहा ने कहा की भाजपा में जारी उठापठक को देखते हुए रालोसपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुनकर रास्ता दिखाया है.

10- रामकृपाल यादव-

लालू यादव के खासमखास रहे रामकृपाल यादव, 2014 के आम चुनाव में उनसे अलग हुए थे. और लालू की बेटी मीसा भारती को हराकर लोकसभा पहुंचे थे. रामकृपाल यादव बहुत कम समय में ही भाजपा के उन नेताओं में शामिल हो गए हैं जिनपर भाजपा दांव खेल सकती है.

11-प्रेम कुमार-

लगातार सातवी बार विधायक बने प्रेम नितीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं. अपनी वरीयता के आधार पर खुद को कई बार मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश कर चुके हैं. और साथ ही ये उसी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं जिनकी आगामी चुनाव में काफी भूमिका रह सकती है.

वैसे इतनी सारे उम्मीदवारों की लिस्ट देखकर हिंदी का वो मुहावरा याद आता है “गाँव अभी बसा नहीं कि लूटेरे पहले आ गए”.

Neha Gupta

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