कार्तिक जींद की माँ चाहती थी कि उनका बेटा बड़ा होकर भारतीय विदेश सेवा में अपना योगदान दे.
माँ तो नहीं रही लेकिन कार्तिक को माँ का सपना याद है. कार्तिक की माँ को शुगर की बीमारी थी जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई. कार्तिक के प्रदेश में टॉप करने पर भावुक हुए पिता प्रेम सिंह के मुंह से खुशी के मारे बोल भी निकल पा रहे थे. खुशी के मोर उनकी आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने बताया कि जब भी ओलंपियाड या कोई अन्य प्रतियोगी परीक्षा होती तो वे कार्तिक को परीक्षा देने से रोकते थे, ताकि पास होने के बाद वह पढ़ने के लिए उनसे दूर नहीं चला जाए. एक पिता का दर्द इसमें साफ़ झलकता है. अपनी पत्नी को खोने के बाद प्रेम नहीं चाहते थे कि उनका बीटा भी उनसे दूर हो जाए.
कार्तिक जींद – सच में शायद इसी को सफलता कहते हैं. आज सिर्फ प्रेम को ही नहीं बल्कि उस प्रदेश और देश के बाकी माता पिता को भी इस कार्तिक जींद पर गर्व हो रहा होगा.