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ये 10 कारण बताते हैं कि खतरे में है आपकी मेहनत की कमाई !

इंसान खूब मेहनत करके अपनी कमाई का एक-एक पाई जोड़कर रखता है जो उसकी जमापूंजी होती है और वो अपनी इस जमापूंजी को म्युचूअल फंड, इंश्योरेंस जैसे स्किम्स में लगा देता है ताकि उसे कुछ मुनाफा मिल सके. लेकिन दुनिया में होनेवाली कुछ घटनाओं का असर सिर्फ देश की आर्थिक व्यवस्था पर नहीं बल्कि हमारी जमापूंजी पर भी पड़ता है.

साल 2017 खत्म होने को है और लोग नए साल के स्वागत की तैयारियां कर रहे हैं. ऐसे में नए साल के जश्न के साथ-साथ लोगों के मेहनत की कमाई पर भी खतरा मंडराने लगा है.

बिटकॉइन की लगातार बढ़ती डिमांड, उत्तर कोरिया की ओर से बढ़ती टेंशन और ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से बाहर होना जैसे करीब 10 कारण है जो इस बात की ओर इशारा करते है कि आपकी मेहनत की कमाई पर खतरा मंडरा रहा है.

1- बिटकॉइन में गिरावट की आशंका

दरअसल दुनिया की एक बड़ी फाइनेंशियल फर्म डॉएचे बैंक की रिपोर्ट में दुनिया के 30 बड़े आर्थिक खतरों का जिक्र किया गया है लेकिन उनमें से भी 10 बड़े खतरों की बात करें तो इसमें बिटकॉइन के क्रैश को लेकर सबसे ज्यादा चिंता जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि अगर बिटकॉइन में गिरावट आती है तो दुनियाभर के रिटेल निवेशकों की बड़ी रकम डूब सकती है.

2- उत्तर कोरिया व अमेरिका के बीच का तनाव

आए दिन मीडिया में उत्तर कोरिया और अमेरिका के तल्ख रिश्तों की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं. दोनों देशों के बीच बढ़ते इस तनाव से अगर युद्ध जैसे हालात बनें तो इसका असर शेयर मार्केट पर पड़ेगा और शेयर बाजार धराशायी हो सकते हैं. जिससे आपको भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है.

3- ब्याज़ दरों में बढ़ोत्तरी

अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के नए चेयरमैन जेरोम पौवेल की ओर से ब्याज़ दरें बढ़ाने के कारण आर्थिक चिंता बढ़ सकती है. अगर ब्याज़ दरों में बढ़ोत्तरी होती है तो फिर विदेशी निवेशक अपना पैसा विकासशील देशों से निकालकर अमेरिका ले जा सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो एशियाई बाजारों में गिरावट आ सकती है.

4- कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोत्तरी

आपको बता दें कि पिछले एक साल में कमोडिटी की कीमतों में तकरीबन 50 फीसदी तक का इज़ाफा हुआ है. ऐसे में भारत जैसे विकासशील देशों में महंगाई बढ़ सकती है जिसका खामियाज़ा आम जनता की जेब को भूगतना पड़ सकता है.

5- हाउसिंग सेक्टर में भारी गिरावट

नए साल में चीन, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, नॉर्वे में हाउसिंग सेक्टर में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. जिसका असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से आम जनता पर पड़ सकता है.

6- चीज पर बढ़ता कर्ज़ का बोझ

दुनियाभर के फाइनेंशियल सिस्टम के लिए चीन की ओर से भी खतरा आ सकता है. बता दें कि चीन पर कर्ज़ का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. इसीलिए पिछले एक साल के दौरान जहां भारत समेत दुनिया के ज्यादातर शेयर बाजारों ने 20 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है. वहीं, चीन के शेयर बाजार इस दौरान निगेटिव रहे.

7- चीन के हाउसिंग मार्केट पर मंडराता खतरा

पड़ोसी मुल्क चीन का हाउसिंग मार्केट पानी के उस बुलबुले की तरह बन चुका है जो कभी भी फूट सकता है. ऐसे में एशिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में किसी भी तरह की हलचल भारत की आर्थिक व्यवस्था के साथ-साथ दुनिया के कई देशों को हिला सकती है.

8- ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से बाहर होना

ब्रेग्जिट यानि ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि अन्य यूरोपीय देशों की ओर से भी इसी तरह के कदम उठाए जा सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो यूरोप की इकोनॉमी पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है और दुनियाभर में आर्थिक संकट गहरा सकता है.

9- रूस में होनावाला राष्ट्रपति चुनाव

रूस में राष्ट्रपति के चुनाव होनेवाले हैं जिसपर दुनियाभर के बाजारों की नज़रे भी टिकी हुई हैं. माना जा रहा है कि ब्लादिमिर पुतिन फिर से राष्ट्रपति बन सकते हैं ऐसे में किसी भी तरह का उलटफेर अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ाने का काम करेगा. जिसका असर दुनियाभर के शेयर बाज़ार पर पड़ेगा.

10- यूरोप के कई देशों में होनेवाले चुनाव

यूरोप के कई देशों में अगले साल 2018 में चुनाव होने हैं. खासकर यूरोप की बड़ी जीडीपी वाले देश इटली, यूके, जर्मनी के लिए ये चुनाव बेहद अहम हैं. अगर कोई भी उलटफेर होता है तो मौजूदा पॉलिसी पर बड़ा असर होगा. इससे दुनियाभर के निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है और गिरावट की आशंका बन सकती है.

गौरतलब है कि ग्लोबल मार्केट में छोटी सी भी गिरावट भारतीय बाज़ारों के लिए बड़ी होती है और अगर शेयर बाज़ारों में गिरावट आती है तो फिर म्युचूअल फंड्स में लोगों के रिटर्न घट जाएंगे और इंश्योरेंस पॉलिसी में भी निवेशकों को झटका लग सकता है. जिसका खामियाज़ा मुनाफे की आस में बैठे आम लोगों को भुगतना पड़ सकता है.