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तो इसलिए तोड़ना पड़ा मनमोहन सिंह को मौन

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी भी खबर बनती थी अब उनका बोलना भी सुर्खियां बन जाता है.

मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की आतंकवाद और कालेधन पर प्रहार करने के लिए की गई नोटबंदी की कार्रवाई को लेकर जमकर उनकी आलोचना की है.

नोटबंदी पर राज्यसभा में बहस की शुरुआत करने के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम जहां ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा वहीं उनके मोदी पर हमले को लेकर भी तरह तरह सवाल उठने भी शुरू हो गए हैं. आखिर क्या वजह है कि इतने लंबे समय बाद मनमोहन सिंह को अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी.

जो मनमोहन सिंह अपने प्रधानमंत्री काल में अर्थव्यवस्था को लेकर चुप्पी साधे रहे वे अचानक इतने हमलावर क्यों हो गए .

दरअसल, मनमोहन सिंह के मौन तोड़ने की जो वजह बताई जा रही है उसके पीछे सोनिया गांधी है.

सूत्रों का कहना है कि इसको लेकर सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह से अपील की है कि वे इसको लेकर मोदी सरकार पर हमले की कमान संभाले.

क्योंकि राहुल गांधी यदि इस मुद्दे पर कुछ बोलेंगे तो उनकी बात का कोई वजन नहीं होगा और न ही लोग उनको गंभीरता से लेंगे. साथ ही कई मौकों पर वे फंस जाते हैं. अर्थशास्त्र जैसे विषय पर राहुल गांधी को आगे करने का मतलब कांग्रेस का आने पैर में कुल्हाड़ी मारना. वहीं दूसरी कांग्रेस संसद में जिस प्रकार नोटबंदी को लेकर विरोध कर रही है. उससे उसकी छवि एक हंगामा पार्टी की बन रही है, क्योंकि वह अभी तक इस नोटबंदी के विरोध में कोई ठोस तर्क नहीं प्रस्तुत कर पाई है.

इस कारण वह जन भावना से जुड़े इस मुद्दे पर वह अपनी बात अभी तक लोगों तक नहीं पहुंचा पाई है.

अब उसकी उम्मीद मनमोहन सिंह पर टिकी  है. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक भूल की संज्ञा देकर राख में गरमाहट पैदा करने की कोशिश की है. लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइट पर जिस प्रकार इसके विरोध में मुहिम चल रही है उसको देखते हुए इस बात के कम ही आसार है कि लोग उस मनमोहन इक्नॅामी पर विश्वास करेगें जिसे वे कुछ सयम पहले ही नकार चुके हैं.

कम से कम सोशल नेटवर्किंग साइट पर लोगों की प्रतिक्रिया देखकर तो यही लगता है, क्योंकि राज्यसभा में मनमोहन सिंह के बयान के कुछ ही मिनटों के बाद इसपर प्रतिक्रियाओं का दौर आना शुरू हो गया. यूजर्स इसपर चुटकी भरे अंदाज में कमेंट कर रहे थे.

लोगों का कहना था कि मोदी के राज में कम से कम मनमोहन सिंह के तो अच्छे दिन आ गए जो कांग्रेस उन्हें अपनी बोलने नहीं देती थी वो आज उन्हें विशेष तौर से सदन में बुलाकर बोलने के लिए कह रही है.