यात्रा और खान-पान

क्या मांस खाने से ‘मन’ पर पड़ता है बुरा प्रभाव?

मांस खाने से – भोजन जीवन का आधार है बिना भोजन के हम किसी भी जीव की कल्पना नहीं कर सकते.

लेकिन भोजन के भी हमारे शरीर और मन पर प्रभाव पड़ते है. हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी कहा गया है ‘जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन’. तो कहने का मतलब यही है हमारे खाने का न सिर्फ हमारे शरीर पर असर पड़ता है बल्कि हमारे मन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है.

शास्त्रों के अनुसार भोजन को तीन अलग-अलग प्रकार में बांटा गया है जिनका हमारे शरीर और मन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है. भोजन के तीन प्रकार होते है जिनमे राजसिक, तामसिक और सात्विक प्रकार आते है.

भोजन के प्रकार के अनुसार आइये जानते है मांस खाने से मन पर पड़ने वाले प्रभाव –

मांस खाने से

1. सात्विक भोजन-

सात्विक भोजन हमारे मन के लिए सबसे उत्तम होता है. ये हमारे मन को शांति प्रदान करता है जिससे हमारे विचारों में पवित्रता आती है. सात्विक भोजन में फल, सब्जियां, दूध, मक्खन, पनीर, शहद, बादाम, जौ, गेंहूँ, दालें, चावल और सभी तरह का शाकाहारी भोजन आता है.

2. राजसिक भोजन-

राजसिक भोजन मन को चंचल बनाता है. राजसिक भोजन में नमक, तेल, मिर्च-मसालें अधिक मात्रा में पाए जाते है. राजसिक भोजन में अत्यधिक तला और पका हुआ भोजन आता है. शक्कर और मावे से बने भोजन भी राजसिक भोजन में ही आते है. इसके अलावा बिरयानी, नुडल्स, पिज्जा, बर्गर और मिठाइयाँ भी राजसिक भोजन में ही आते है.

3. तामसिक भोजन-

तामसिक भोजन करने से मन अशांत होता है. इस प्रकार का भोजन करने से क्रोध, आलस, लालच और मन की चंचलता बढती है. तामसिक भोजन में मांस, मछली, अंडे बासी और सड़ा हुआ भोजन आता है. इसके अलावा सभी प्रकार के नशीले पदार्थ, दवाईयां, काफी आदि भी तामसिक भोजन का ही प्रकार है.

माँसाहारी भोजन के मन पर पड़ने वाले प्रभाव-

शास्त्रों के अनुसार भोजन को तीन प्रकारों में बांटा गया है जिसमें मांस को तामसिक भोजन के अंतर्गत रखा गया है. कहा गया है कि मांस का भोजन के रूप में सेवन करने से हमारे मन, मस्तिष्क, मूड, मानसिक सेहत और भावनात्मक दशा पर असर पड़ता है. मांसाहारी भोजन से मन तामसी स्वभाववाला हो जाता है और व्यक्ति कामी, क्रोधी, चिड़चिड़ा और चिंताग्रस्त हो जाता है और उसकी बुद्धि स्थूल और जड़ प्रकृति की हो जाती है. शास्त्रों के अनुसार ऐसे लोगों का ह्रदय मानवीय संवेदनाओं से शून्य हो जाता है. ईशा फाउंडेशन के ‘सदगुरु’ का भी कहना है कि ‘जानवरों को अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले ही अपनी मौत का एहसास हो जाता है. और उनके शरीर के भीतर संघर्ष और कई रासायनिक प्रतिक्रिया पैदा होने लगती है. जिससे उनके शरीर में कई तरह के नकारात्मक एसिड बनने लगते है, ये नकारात्मक एसिड उनके मांस और खून में भी मिल जाते है. जब आप उस मांस को खाते है तो आपके भीतर भी अनावश्यक मानसिक उतार चढ़ाव पैदा होने लगते है.’

इस पूरे आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप समझ ही गए होंगे की मांस खाने से हमारे मन और बुद्धि पर क्या असर पड़ता है. हालाँकि हम इस बात से भी इनकार नहीं करते है कि कालांतर में जब धर्म का विकास और विस्तार नही हुआ था जब मानव आदिमानव हुआ करता था तब उसका मुख्य भोजन मांसाहार ही हुआ करता था. लेकिन निरंतर विकास की प्रक्रिया से इंसान ने मन और शरीर के बारे में कई बातें जानने की कोशिश की है.

Sudheer A Singh

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