शिक्षा और कैरियर

प्रतियोगिता में जीतने के लिए कैसे दें अपना 101 प्रतिशत

जीतने के लिए – अंत में जीतते वही हैं, जो जीवन में मिली प्रत्येक असफलता को भी आगे बढ़ने की सीढ़ी मान लेते हैं.

उनके शब्दकोष में हारना, थकना जैसे शब्द शामिल ही नहीं होते हैं, क्योंकि वो जान लेते हैं कि उनका असफल होना महज़ एक संयोग है और कुछ नहीं. यही वजह है कि ऐसे लोग विपरीत परिस्थितियों में भी दोगुने उत्साह के साथ अपने कार्य में लगे रहते हैं.असफल होने का तो ये अर्थ है कि उस कार्य को जिसे आपने किया, उसे और सुधारा जा सके या उसे किसी और भी ढंग से किया जा सके ताकि सफलता मिलनी निश्चित हो जाए.

ज़्यादा बेहतर तब और होगा जब आप अपनी असफलताओं के कारणों पर विचार करें व उसके बाद उन्हें लिख लें.इसके बाद फिर सफल होने के लिए जो भी नए तरीके आप खोजें उसको भी लिखते चलें.इससे संबंधित योजना बनायें व उसे भी लिख लें.इससे आप समय-समय पर परेशान होने से बच जाएंगे और जब भी आप अपना लिखा हुआ पढ़ लेंगे तो अपने कार्य को लेकर और भी ज़्यादा सजग हो जाएंगे.

जीतने के लिए  खुद पे ये दृढ़ विश्वास कर लें कि चाहे कितनी भी कठिनाई या अड़चनें आ जाएं पर आप डगमगएंगे नहीं. खुद से किया गया यही विश्वास आपको कामयाबी दिलाने में मददगार साबित होगा. महान लोगों का सीखना सदैव चलता रहता है इसलिए आप भी ऐसा ही करें. कभी भी खुद को काबिल समझने की भूल मत करें, क्योंकि ऐसा समझते ही आपकी आगे बढ़ने की यात्रा समाप्त हो जाएगी.

याद रखें कि मेहनती एवं हिम्मती लोगों से आपको सदैव जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहेगी. जिसके बल पर आपको बड़ी बाधाओं से भी पार पाने में दिक्कत नहीं होगी. आप महापुरुषों की जीवनियां पढ़कर भी उनसे प्रेरणा ले सकते हैं. अगर आप असफल भी हो जाएं तो उसके कारण भी होंगे, उसका भी पता लगाएं. तभी भविष्य में आप सफल होंगे और अपनी मंज़िल के करीब पहुंचेंगे.हर हार हमें बहुत कुछ सिखाती है.

हमें खुद को सबसे काबिल समझने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए.

वहीं, सीखना और सीखते रहना तो निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है जो कभी नहीं रूकती. हमारे ओवर-कॉंफिडेंट होने से हमारा अपने कार्य से ध्यान हट जाता है और गलती होने की आशंका बढ़ जाती है. वहीं, अगर आपने अपने कार्य को पूरा करने के लिए अपना 100 प्रतिशत दिया तो हो सकता है कि किसी और ने जीतने के लिए अपना 101 प्रतिशत दिया हो. फिर भला आप कैसे जीत पाएंगे? इसलिए हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि हम अपने प्रयत्नों में ढील न दें और चाहे जो भी हो जाए हम कभी रुकने की न सोचें.

जब कोई आगे बढ़ने के लिए सोच ही लेता है तो फिर पीछे की ओर जाने की राह नज़र ही नहीं आती. आपने अगर ज़िंदगी में आगे बढ़ने की आदत डाल ली है तो आपके कदम पीछे हटेंगे ही नहीं. इस बात को समझना मुश्किल नहीं.तो फिर इस सच को समझें और अपने हर प्रयास में यही कोशिश करें कि आप अपना 101 प्रतिशत दें.

Devansh Tripathi

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