राय लेले की कलम से

लडकियों के रेप क्यों करते हैं लड़के, जानिए पूरा सच

भारत में जहां स्त्रियों को देवी स्वरूप माना जाता है, जहां बेटी को घर की लक्ष्मी और बहू को घर की अन्नपूर्णा कहा जाता है लेकिन फिर भी वो अपना वजूद तलाशती रहती हैं।

जहां कुछ घरों में इस उम्मीद में कन्या पूजन किया जाता है कि देवी मां उनकी बहू की गोद में बेटा देंगी। ये बातें एक-दूसरे के एकदम विपरीत हैं लेकिन सच हैं। यूं तो आजकल हालात काफी बदल चुके हैं लेकिन फिर भी आज भी कुछ बातों पर सवालिया निशान है।

जी हां, भारत में महिलाओं की स्थिति पर कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब ढूंढना बाकी है, जिन्हें सब गाहे-बगाहे पूछ तो लेते हैं, उन पर अपनी राय भी रख देते हैं लेकिन फिर भी जवाब मिल ही नहीं पाते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि मैं ये जो बातें कर रही हूं, ये इस लेख के शीर्षक से तो मेल नहीं खा रही, तो मैं आपको बता दूं कि भले ही आपको ये बातें अटपटी लग रही हों लेकिन रेप जैसे मुद्दे की तह में ये ही बातें हैं।

रेप, एक ऐसा मसला है, एक ऐसा जघन्य अपराध है, जो किसी लड़की की ज़िंदगी तबाह कर सकता है। रेप के मामले जिस तरह बढ़ते जा रहे हैं, खासकर भारत में इन मामलों में जिस तरह इज़ाफा हुआ है, वो शर्मनाक है।

मेट्रो सिटीज़ हो या फिर गांव, ऐसी घटनाएं हर जगह से सामने आ रही हैं। ये घटनाएं ना केवल हमारे देश में महिलाओं की खराब स्थिति की ओर इशारा करती हैं बल्कि समाज की घटिया सोच की ओर इशारा करती हैं।

यूं तो एक तरफ समाज के कुछ लोग बेवकूफी भरी बातें करते हुए कहते हैं कि रेप के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि लड़कियों के कपड़े पहनने का तरीका खराब होता जा रहा है और उनके छोटे कपड़े ही लड़कों को रेप करने के लिए उकसाते हैं लेकिन उन लोगों की सोच इतनी छोटी है कि वो तब बंद पड़ जाती है जब एक पांच साल की बच्ची का रेप होता है।

अगर रेप के कारणों की बात करें, तो भारत में बढ़ते रेप का सबसे बड़ा कारण है चुप्पी, यहां किसी लड़की का रेप होने के बाद उसे मजबूर कर दिया जाता है कि वो चुप रहे और किसी से भी अपनी बात ना कहे, किसी के आगे मुंह ना खोले, इस बात पर इस तरह परदा डाला जाता है मानो वो लड़की ही रेप की ज़िम्मेदार हो, मानो उस लड़की को ही शर्मिन्दगी होनी चाहिए लेकिन उस लड़के का क्या, जो रेप करने के बाद आराम से घूम रहा है, जिसकी ज़िदंगी पर मानो कोई असर ही नहीं पड़ा है।

रेप बढ़ने का एक और कारण है समाज की वो सोच, जो हर बात के लिए लड़कियों को ही ज़िम्मेदार ठहरा देती है, जो बिना कुछ जाने सुने उन्हें ही कसूरवार बना देती है।

साथ ही भारत देश में रेप के लिए किसी कड़े कानून का ना होना और सजा निर्धारित हो जाने के बाद भी सज़ा मिलने में देर लगना भी इसका एक बड़ा कारण है।

उम्मीद है कि इन कारणों का कुछ निवारण हो और भारत में रेप के मामले कम हों।

Parul Rohtagi

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Parul Rohtagi

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