भारत

विश्व अर्थव्यवस्था में भारत और एशिया की हिस्सेदारी लगातार घटती क्यों रही?

अर्थशास्त्री एंगस मेडिसन ने अनुमान लगाया है कि आज से तकरीबन 1000 वर्ष पूर्व यानी सन 1000 में विश्व की आय में एशिया का हिस्सा 67 प्रतिशत था और यूरोप का 9 प्रतिशत. वर्ष 1998 में तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी थी. एशिया का हिस्सा घटकर 30 प्रतिशत रह गया था. वहीं, यूरोप का बढ़कर 46 प्रतिशत हो गया था. एशिया के पतन में भारत का विशेष योगदान रहा है. पतन लगभग सन 1000 के बाद शुरू हुआ. इसके पहले लगभग 4000 वर्षों तक हम समृद्ध थे.

सिंधु घाटी, महाभारत कालीन इन्द्रप्रस्थ, बौद्धकालीन लिच्छवी, मौर्य, विक्रमादित्य, गुप्त, हर्ष एवं चालुक्य साम्राज्यों ने हमें निरंतर समृद्धि प्रदान की थी. इन 4000 वर्षों में हमारे प्रमुख ग्रंथ जैसे वेद, उपनिषद, रामायण और महाभारत की रचना हो चुकी थी. अतः मानना चाहिए कि इन ग्रंथों ने हमारे समाज को आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक वैभव का मंत्र दिया था.

वर्ष 1000 के बाद महमूद गजनी, मुग़ल और ब्रिटिश लोगों ने हम पर धावा बोला और हमें परास्त किया. विचार करने वाली है कि सन 1000 के आसपास ऐसा क्या हुआ कि 4000 वर्षों से समृद्ध सभ्यता एकाएक अधोगामी हो गई? प्रतीत होता है कि आदि शंकराचार्य के दर्शन के गलत प्रतिपादन के कारण ये हुआ. उनके समय को लेकर विद्वानों में विवाद है. कुछ का मानना है कि वो सन 800 ईसवीं से संबद्ध थे. वहीं, दूसरे विद्वानों का मानना है कि वे इससे पहले हुए थे. इस विवाद में पड़े बिना कहा जा सकता है कि वर्ष 800 के लगभग आदि शंकराचार्य स्वयं अथवा उनके किसी विशेष शिष्य ने इस धरती पर भ्रमण किया था. उपलब्ध विषय के लिए आदि शंकराचार्य का मुख्य मंत्र ‘ब्रम्हा सत्यम जगत मिथ्या’ है. उन्होंने सिखाया कि ये जो संपूर्ण जगत दिख रहा है वो एक ही शक्ति का विभिन्न रूपों में प्रस्फुटन है. मनुष्य स्वयं भी उसी एक ब्रम्हा का स्वरुप है. अतः मनुष्य को चाहिए कि इन सांसारिक प्रपंचों में लिप्त होने के स्थान पर उस एक ब्रम्हा से आत्मसात करे. तब उसे वास्तविक सुख की प्राप्ति होगी. अगला प्रश्न ये उठता है कि ब्रम्हा क्या चाहता है? यदि ब्रम्हा निष्क्रिय एवं अंतर्मुखी है तो साधक को भी निष्क्रिय और अंतर्मुखी हो जाना चाहिए. इसके विपरीत यदि ब्रम्हा सक्रीय है तो मनुष्य को उसके चाहे अनुसार सक्रीय रहना चाहिए.

कैसा समझा जाए कि ब्रम्हा क्या चाहता है? उपनिषदों में लिखा है कि पूर्व में ब्रम्हा अकेला था. उसने सोचा ‘मैं अकेला हूँ, अनेक हो जाऊं.’ यानी अनेकता ही ब्रम्हा की इच्छा थी, जैसे अनेक प्रकार के पशु-पक्षी और पेड़-पौधें हैं, लेकिन अनेकता कष्टप्रद होती है जैसे भाई-भाई अपने को अलग मानने लगें. अपने को परिवार का मानें तो मित्रता और प्रसन्नता बनी रहती है. संसार में इस एकता को स्थापित करने के लिए आदि शंकराचार्य ने ‘जगत मिथ्या’ का मंत्र युक्ति के रूप में बताया था. जैसे कहा जाए ‘परिवार सत्यं, व्यक्ति मिथ्या’ तो परिवार सुखी हो जाता है, क्योंकि ऐसे में परिवार का हर सदस्य परिवार के हित को देखता है. लेकिन अगर कहा जाए कि ‘ब्रम्हा सत्यं, परिवार मिथ्या’ तो ऐसे में परिवार का हर सदस्य अपने को देखने लगेगा, चूंकि परिवार के बंधन से वो मुक्त हो जाएगा. इसी प्रकार ‘ब्रम्हा सत्यं, जगत मिथ्या’ का अर्थ है कि जगत के विभिन्न आकर्षणों को मिथ्या समझकर संपूर्ण जगत के हित के लिए कार्य करें. अपने 32 वर्ष के अल्प जीवन में वे सदा सक्रीय रहे- बौद्धों को शास्त्रार्थ में पराजित किया, मंदिरों का उद्धार किया, उपनिषदों पर टीका लिखीं और चार मठ स्थापित किए. यदि जगत मिथ्या थी तो इन कार्यों को करने की क्या आवश्यकता थी? 1000 ईस्वी के बाद भूल ये हुई है कि जगत मिथ्या की युक्ति को उनके अनुयायियों ने परम सत्य मान लिया था. उनके अनुयायी जगत को मिथ्या बताकर निष्क्रिय हो गए. जब देश पर आक्रमण हो रहे थे तब ये अनुयायी कंदराओं में बैठकर ब्रम्हा से एका कर रहे थे. शायद सन 1000 के बाद से भारत के पतन का यही प्रमुख कारण था.

वर्तमान में भारत निश्चित रूप से दबाव में है. इसका मूल कारण है कि देश के नेता अपने व्यक्तिगत हित साधने में लिप्त हैं. उन्हें राष्ट्र दिखाई नहीं दे रहा है. आज शंकराचार्य के मंत्र को सृष्टि सत्यं, व्यक्ति मिथ्या के रूप में देखे जाने की ज़रूरत है.

Devansh Tripathi

Share
Published by
Devansh Tripathi
Tags: Featured

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago