राजनीति

कौन है जो लिख रहा है योगी आदित्यनाथ को खून भरे खत !

इन दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को खून भरे भेजे जा रहे हैं.

बता दें ये खत जिस शख्स की ओर भिजवाए जा रहे हैं उससे योगी आदित्यनाथ का 36 का आंकड़ा रहा है. और जब से योगी यूपी के मुख्यमंत्री बने है तब से सबसे अधिक बेचैनी उसी व्यक्ति को है.

खून भरी पाती जिस शख्स के यहां से भेजी जा रही है वह कोई ओर नहीं बल्कि आजम खां है.

दरअसल, आजम खां ने समाजवादी पार्टी में मंत्री रहते हुए अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय बनवाया था. आरोप है कि इसके निमार्ण के लिए वक्फ बोर्ड आदि की जमीन को गैर कानूनी तरीके से लीज पर लेकर जौहर विश्वविद्यालय का निर्माण कराया गया था.

तभी से इसका विरोध हो रहा था. लेकिन जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है तब से इस मामले की जांच को लेकर आवाजे तेज हो रही है.

इसको लेकर आए दिन होने वाले जुबानी हमलों से आहत होकर आजम खां के बाद उनके मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू ने मोर्चे की कमान संभाली है.

फसाहत अली खां ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से खत लिखा है. जिसमें वे कह रहे हैं कि स्कूल और विश्वविद्यालय बनाकर आजम खां ने कोई गुनाह नहीं किया है.

वहीं आजम खां ने जो कि मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के चांसलर भी है, ने कहा है कि वह किसी को भी विश्वविद्यालय पर कब्जा करने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि अगर इसे कब्जा करने की ज्यादा कोशिश हुई तो वो विश्वविद्यालय को डायनामइट से उड़ा देंगे.

आजम खां ने कहा कि हमने कोई काम गैरकानूनी नहीं किया है. सरकार ने पॉलिसी बनाई थी कि वक्फ की जमीनों को अस्पताल और स्कूल के लिए लिया जा सकता है. आजम ने धमकी दी है कि अगर मेरी लीज खारिज की गई तो देश में किसी के पास एक इंच जमीन की लीज नहीं रहने दूंगा.

पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां ने यूनिवर्सिटी को लेकर इसबार अपने मीडिया प्रभारी के माध्यम से मोर्चा खोला है. वे एक सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा पर हमला कर रहे हैं.

उनका कहना है कि जब से सूबे में भाजपा की सरकार आई है तभी से यूनिवर्सिटी और स्कूलों को लगातार निशाना बना रही है. भाजपा वालों को अगर बदला ही लेना है तो वो हमसे जो भी बदला लेना चाहे ले लिया जाए, लेकिन यूनिवर्सिटी और स्कूलों को निशाना नहीं बनाया जाए.

वहीं दूसरी ओर आजम खां इसलिए भी परेशान है कि एक ओर वो जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर लड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर उनकी पार्टी ही उनके समर्थन में खड़ी नजर नहीं आ रही है.

Vivek Tyagi

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