विशेष

कृष्ण ने नहीं तो फिर किसने बचाई थी द्रौपदी की लाज !

महाभारत की कहानी में बहुत सी ऐसी घटनाओं का ज़िक्र मिलता है जो हमारी कल्पना से परे है.

एक ओर जहां महाभारत हमें कौरवों और पांडवों के बीच हुए घमासान युद्ध की याद दिलाता है, तो वहीं पांचाली यानि पांच पतियों वाली द्रौपदी का चीरहरण एक हैरान कर देने वाली दास्तान है.

महाभारत की एक घटना के मुताबिक पांचों पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी को जुए में हार गए थे. जिसके बाद भरी सभा में दुःशासन ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए द्रौपदी का चीरहरण करवाया था.

चीरहरण के वक्त द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से अपनी लाज बचाने के लिए गुहार लगाई. द्रौपदी की पुकार सुनकर  श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकट होकर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में श्रीकृष्ण की वजह से नहीं, बल्कि किसी और के वरदान से भरी सभा में द्रौपदी की लाज बची थी.

तो आइए हम आपको बताते हैं कि किसके वरदान से द्रौपदी का चीरहरण होने से बचा था.

दुर्वासा ऋषि ने दिया था वरदान

पौराणिक कथाओं के अनुसार दुर्वासा ऋषि के वरदान की वजह से ही द्रौपदी का चीरहरण होने से बचा था.

मान्यता है कि एक बार ऋषि दुर्वासा नदी में स्नान कर रहे थे,  तभी नदी में आए तेज बहाव और अनियंत्रित लहरों की वजह से दुर्वासा के कपड़े बह गए.

कपड़ों के बह जाने से ऋषि दुर्वासा काफी परेशान हो गए, तब उसी नदी के तट पर बैठी द्रौपदी ने अपने वस्त्र को फाड़कर उसका कुछ टुकड़ा दुर्वासा ऋषि को दे दिया.

द्रौपदी के इस व्यवहार से दुर्वासा ऋषि बेहद खुश हुए और उन्हें यह वरदान दिया कि जब भी संकट के समय उन्हें वस्त्रों की आवश्यकता होगी तब उनके वस्त्र अनंत हो जाएंगे यानि जिसका कोई अंत नहीं होगा.

वरदान ने की सम्मान की रक्षा

दुर्वासा ऋषि के इसी वरदान का चमत्कार भरी सभा में देखने को मिला, जब दु:शासन ने द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की, तब द्रौपदी की साड़ी अनंत हो गई जिसका कोई अंत ही नहीं था. और द्रौपदी के सम्मान की रक्षा इसी वरदान के चलते हुई थी.

शिव के अवतार थे दुर्वासा ऋषि

पौराणिक कथा के मुताबिक महर्षि दुर्वासा को एक ऐसी शख्सियत के रुप में जाना जाता है जिनके क्रोध से कोई नहीं बच पाया.

कहते हैं कि दुर्वासा ऋषि का जन्म शिव के रौद्र रुप के अवतार में हुआ था इसलिए उनके गुस्से को शांत कर पाना बहुत मुश्किल था.

महर्षि दुर्वासा द्वारा दिए गए श्राप के कई किस्से इतिहास में मौजूद हैं लेकिन उनके द्वारा कई बार वरदान भी दिए गए हैं.

बहरहाल इस पूरी घटना से जाहिर होता है कि, श्रीकृष्ण नहीं बल्कि दुर्वासा ऋषि ही वो इंसान थे जिनके वरदान ने द्रौपदी की लाज बचाई थी. और इस हकीकत से अभी तक ज्यादातर लोग अंजान थे.

Anita Ram

Share
Published by
Anita Ram

Recent Posts

दुनियाभर के मुस्लिम लोग अब नरेंद्र मोदी के दुश्मन क्यों होते जा रहे हैं? 

मुस्लिम लोगों में एक पुरुष वर्ग ऐसा है जो कि शुरू से ही नरेंद्र मोदी…

4 years ago

दिल्ली दंगों के समय नरेंद्र मोदी क्या कर रहे थे, मोदी के इस फैसले ने बचाई हजारों बेगुनाह हिन्दुओं की जान 

अजीत डोभाल को यह खबर थी कि मुस्लिम इलाकों में मस्जिदों से इस तरीके का…

4 years ago

दिल्ली में जारी रेड अलर्ट, स्लीपर सेल के आतंकवादी उड़ा देना चाहते हैं पूरी दिल्ली को 

ना सिर्फ पेट्रोल बम लोगों तक पहुंचाएं गए हैं बल्कि लोहे की रॉड और गुलेल,…

4 years ago

दिल्ली हिंसा में दंगाइयों ने हिन्दुओं के इलाकों में सबसे अधिक इस चीज को नुकसान पहुंचाया है

करावल नगर में ही 100 से ज्यादा वाहन जले हुए मिल रहे हैं लेकिन अंदर…

4 years ago

IND vs NZ: पहले ही दिन दूसरा टेस्ट मैच हार गयी इंडियन क्रिकेट टीम, शर्म से हुआ भारत पानी-पानी

IND vs NZ: भारत और न्यूजीलैंड के बीच में शुरू हुआ दूसरा टेस्ट मैच पहले…

4 years ago