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जानिए कौन है महिलाओं का दुश्मन?

देखा जाए तो जगह से कुछ नहीं होता, लोग हर जगह वैसे ही होते जैसे की आपके इर्द गिर्द.

लेकिन हम बात करेंगे महिलाओं की ख़ास करके भारतीय स्त्री वर्ग की. आम तौर पर महिलाओं के पक्ष में अधिक बोला जाता है.

महिलाओं पर आए दिन अत्याचार बढ़ रहे है. महिला सबसे अधिक पीड़ित है, यह बात भी सच है. अब सवाल यह उठता है कि महिलाओं के इस दशा का जिम्मेदार कौन है? कौन है महिलाओं का दुश्मन ?

इन सब घटनाओ के लिए कुछ हद तक महिला खुद जिमेदार होती है.

महिला स्वयंम महिलाओं की दुश्मन है!

जानिए कैसे महिला महिलाओं की दुश्मन है.

1. अधिक लड़ना 
ज्यादा करके जहा लड़ाई होती रहती है, वहा महिलाऐं होती है. उनके बीच में अधिक तर झगडे होते है. सरकारी नल पर, लोकल ट्रेन में, बस में, सड़क पर और कई जगहों पर सबसे अधिक महिलाऐं लड़ती देखने को मिलेगी. अनचाहे बातों को भी गंभीरता से से लेकर लड़ाई करने पर उतारू रहती है. यह झगड़ा वह किसी और से नहीं बल्कि महिलाओं के बीच ही होता है.

2. एकता का अभाव
महिलाओं में बीच में सबसे  महत्वपूर्ण बात यही है कि स्त्री वर्ग में एकता का काफी अभाव है. मानो किसी बस में कोई व्यक्ति लड़की को छेड़ता है तो उस वक़्त महिला तूरंत पीड़ित का पक्ष नहीं लेगी. वही पुरष ही आगे आएगा. महिला एक दूसरे का साथ ढंग से नहीं देती है .
कोई बड़ी आपत्ति जब भी किसी महिला पर आई है तब महिलाओं ने एक दूसरे की मदद कम ही की है.

3. गॉसिपिंग करना
यह गूण के लिए तो महिलाए जग भर में प्रसिद्ध है. इसे कोई भी व्यक्ति झुठला नहीं सकता. कहते है ना महिलाओं के पेट में कुछ नहीं रहता, सब कही न कही उगल ही देती है. जी हाँ, कुछ महिलाऐं गपशप को अपना अधिकार मानती है. किन्तु महिलाऐं अच्छी बाते करती है तो सही भी लगेगा. लेकिन व्यर्थ चुगली और चर्चा में महिलाए आगे है. किसी भी बात को खीच तान के चर्चा में शामिल करना और नमक मिर्च लगा कर उसका स्वाद लेना. यह सब महिलाओं को अच्छा लगता है.

4. जलनखोरी
गॉसिपिंग अगर महिलाओं का अधिकार है तो जलनखोरी महिलाओं का जन्म ज़ात स्वभाव होता है. यह स्वभाव कम ज्यादा में होता है, किन्तु कोई भी महिला इससे अछूती नहीं है. एक स्त्री जहा भी जाए वो दूसरी महिलाएं से खुद को  बढ़ चढ़ कर सोचती है.

5. जीवन में व्यस्त हो जाती है
लड़कियां शादी से पहले जितनी गहरी दोस्ती निभाती है, उतनी ही दुरी वो शादी के बाद अपने दोस्तों से रखती है. शादी से पहले महिला खूब रिश्ते निभाने की  बात करती है. बड़े बड़े वायदे करती है. यह वायदे और बाते अपनी सहेली से ही करती है.

जबकि हकीकत कुछ और है.

एक बार शादी हो जाए, तब वो केवल अपने परिवार से ही रिश्ता रखती है.  भले वो कितनी भी ख़ास दोस्त क्यों न हो. अपनी सहेलियों को इस कदर भूल जाएगी मानो कभी कोई वास्ता ही नहीं था. और जब वह अकेली हो जाती है या उसे अपने अस्तित्व को खो देती है, तब उसे उन सब बातों की याद आती है. अपने पुराने रिश्ते याद आते है. सहेलियां याद आती है.

जो मैंने कहा है, यह बात सभी महिलाएं जानती है. उनकी भले कोई विवशता होगी.

किन्तु यही सब महिलाऐं अगर एक जुट हो जाए तो कितनी बड़ी शक्ति संघटित होगी इसका कोई अंदाज़ा ही, इन महिलाओ को नहीं है. घर पर या फिर व्यवसाय की जगह हो, सड़क हो या कोई भी जगह. महिला अगर सकारात्मक तरीके से एक दूसरे का साथ दे तो सभी महिलाऐं आगे आऐंगी और कोई उस पर अत्याचार  नहीं कर पाएगा. 

आज के ज़माने में स्त्रियों को एक दूसरे की मदद करके आगे बढ़ना होगा. 

तब जाके स्त्री शक्ति सर्वश्रेठ असल में कहलाएगी.

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