भारत

भारत रत्‍न पाने वालों को मिलती हैं क्‍या सुविधाएं

भारत रत्‍न पाने वाले – देश के सर्वोच्‍च सम्‍मान में से एक है भारत रत्‍न

ये रत्‍न उस व्‍यक्‍ति को दिया जाता है जिसने देश का गौरव बढ़ाने का काम किया हो। भारत सरकार की ओर से भारत रत्‍न पाने वाले लोगों को एक प्रमाणपत्र और तमगा दिया जाता है। इस सम्‍मान के साथ कोई भी धनराशि नहीं दी जाती है। इसे पाने वाले लोगों को सरकारी महकमे से सुविधाएं मिलती हैं।

आइए जानते हैं कि भारत रत्‍न पाने वाले को भारत सरकार की ओर से क्‍या सुविधाएं मिलती हैं।

भारत रत्‍न पाने वाले लोगों को रेलवे की ओर से पूरी उम्र के लिए रेल में मुफ्त यात्रा करने की सुविधा दी जाती है।

इन्‍हें सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए न्‍यौता दिया जाता है। यहां तक कि सरकार वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस में भी उन्‍हें जगह दी जाती है। इस रत्‍न को पाने वाले लोगों को प्रोटोकॉल में राष्‍ट्रपति, उपराष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्‍यपाल, पूर्व राष्‍ट्रपति, उप प्रधानमंत्री, मुख्‍य न्‍यायाधीश, लोकसभा स्‍पीकर, कैबिनेट मंत्री, मुख्‍यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है। वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस के तहत विजेताओं को सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता दी जाती है।

कैसा होता है भाग्‍य रत्‍न

तांबे की धातु से भारत रत्‍न बनाया जाता है जोकि पीपल के पत्ते के आकार में बनाया जाता है और ये 59 मिमी लंबा और 48 मिमी चौड़ा और 3 मिमी मोटा होता है। इस रत्‍न पर सामने प्‍लैटिनम से सूरज बना होता है। वहीं पूरे रत्‍न के किनारे पर भी प्‍लैटिनम होता है। रत्‍न पर बने सूरज के चित्र के साथ हिंदी भाषा में ‘भारत रत्‍न‘ लिखा होता है। इसके साथ एक सफेद रंग का रिबन भी होता है ताकि इसे गले में पहना जा सके।

कैसा था पुराना था भारत रत्‍न

1954 में भारत रत्‍न महज़ 35 मि‍मी का एक गोल आकार का सोने का मेडल हुआ करता था जिस पर चमकता हुआ सूरज बना होता है और उस पर ‘भारत रत्‍न’ लिखा होता था। इसके पीछे की ओर अशोक स्‍तंभ के साथ सत्‍यमेव जयते लिखा होता था। एक साल के बाद ही इस रत्‍न के डिजाइन में बदलाव कर दिया गया था।

भारत रत्‍न से जुड़े तथ्‍य

2 जनवरी, 1954 को भारत के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भारत रत्‍न की शुरुआत की थी।

इस रत्‍न से उस व्‍यक्‍ति को नवाजा जाता है जिसने किसी क्षेत्र में अभूतपूर्व सेवा एवं कार्य किया हो।

भारत रत्‍न देने के लिए उस व्‍यक्‍ति की जाति, रंग, नस्‍ल आदि को वरीयता नहीं दी जाती है। इसके लिए सभी को समान समझा गया है।

भारत के राष्‍ट्रपति द्वारा 26 जनवरी को भारत रत्‍न दिया जाता है।

भारत रत्‍न पाने वाले –

शुरुआती समय में कभी भी किसी को मरणोपरांत भारत रत्‍न नहीं दिया गया था लेकिन अब ऐसा होने लगा है। अब तक 12 लोगों को मरणोपरांत भारत रत्‍न मिल चुका है जिसमें लाल बहादुर शास्‍त्री का नाम भी शामिल था। 1992 में सुभाष चंद्र बोस को उनकी मृत्‍यु के बादबाद भारत रत्‍न दिया गया था लेकिन बाद में वापिस ले लिया गया। हमारे देश में भारत रत्‍न का बहुत महत्‍व है और किसी भी इंसान के लिए इसे जीतना बड़े गर्व की बात है।

Parul Rohtagi

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