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बड़ी दिलचस्‍प है वसुंधरा राजे की प्रेम कहानी और सियासती जंग

आजकल राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी सत्ता में वापसी को लेकर व्‍यस्‍त चल रही हैं। साल 2018 के अंत में राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में वसुंधरा राजे हार का मुंह देखने को बिलकुल भी तैयार नहीं हैा।

आपको बता दें कि वसुंधरा राजे ना सिर्फ एक पॉलीटिशियन हैं बल्कि वो धौलपुर की महारानी भी हैं। उनकी जिंदगी बड़ी ही रोचक रही है। आइए जानते हैं वसुंधरा राजे के जीवन की दिलचस्‍प कहानी के बारे में।

मायके से राजनीति की शुरुआत

मायके से राजनीति की शुरुआत करने वाली वसुंधरा राजे का सियासी सफर भी बहुत खास है। वसुंधरा ग्‍वालियर के राजघराने से संबंध रखती हैं। उनका जन्‍म 8 मार्च, 1956 को मुंबई में हुआ था। 1972 में उनकी शादी धौलपुर के राजघराने में हेमंत सिंह से कर दी गई लेकिन शादी के एक साल बाद ही दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया। अपने बेटे दुष्‍यंत के जनम के बाद ही वसुंधरा अपने पति से अलग हो गई थीं। धौलपुर में कुछ समय बिताने के बाद वो वापिस अपने मायके ग्‍लालियर आकर रहने लगीं। वसुंधरा की मां विजया राजे बीजेपी से जुड़ी हुई थीं। वसुंधरा ने भी अपनी मां की तरह बीजेपी पार्टी से हाथ मिलाने का फैसला किया।

राजनीति में एंट्री की कहानी

1984 में वसुंधरा राजे ने राजनीति में कदम रखा। वो सबसे पहले बीजेपी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी बनीं। सबसे पहले उन्‍होंने भिंड से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्‍हें अपने पहले चुनाव में हार मिली। ये चुनाव हारने के बाद वसुंधरा ने अपने सुसराल का रुख किया और 1985 में उन्‍होंने ना सिर्फ धौलपुर से चुनाव लड़ा बल्कि जीता भी। 1987 तक वसुंधरा ने राजस्‍थान बीजेपी के उपाध्‍यक्ष की कुर्सी पर अपना कब्‍जा कर लिया। उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि अटल बिहारी वाजपेयी ने डनहें 1998-1999 के बीच अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। राजे को विदेश राज्‍यमंत्री का दर्जा दिया गया।

सीधा बन गईं सीएम

दोस्‍तों, देखने में ये सियासी सफर बहुत सीधा लगता है लेकिन सत्ता के गलियारों में अपने पैर जमाने में मेहनत तो नेताओं को भी करनी ही पड़ती है। 2003 में राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव में वसुंधरा की पार्टी ने 110 सीटों से विजय हासिल की। उस समय राजस्‍थान में बीजेपी के दो कद्दावर नेता भैरोसिंह शेखावत और जसवंत सिंह दिल्‍ली में स्‍थापित थे। पार्टी की जीत पर भैरोसिंह को उपराष्‍ट्रपति बनाया गया, जसवंत सिंह को केंद्रीय मंत्री और वसुंधरा राजे को राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री। आपको बता दें कि राजे राजस्‍थान की पहली महिला मुख्‍यमंत्री बनी थीं।

किसी महिला के लिए इससे ज्‍यादा गर्व की बात और क्‍या हो सकती है। कहते हैं कि वसुंधरा राजे बहुत जिद्दी हैं और एक बार जो ठान लेती हैं उसे करके ही मानती हैं। साल 2008 में उनकी सरकार गिर गई लेकिन उन्‍होंने अपनी मेहनत से एक बार फिर साल 2013 में अपनी सत्ता वापिस पाई। अब 2018 में राजे फिर चुनाव लड़ रही हैं।

वसुंधरा राजे का बेटा दुष्‍यंत सिह भी राजनीति में ही है और उनका अपने पिता हेमंत सिंह से लंबे समय से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। 2007 में दोनों के बीच समझौता हो गया।

Parul Rohtagi

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