राजनीति

क्या वसुंधरा सरकार का तानाशाह रवैया बीजेपी को राजस्थान में ले डूबेगा !

वसुंधरा सरकार – राजस्थान में 2018 के अंत तक चुनाव होने वाले हैं। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान राज्य में फिलहाल बीजेपी का शासन है और वसुंधरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री है।

2013 के चुनाव में 200 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें जीतकर वे दूसरी बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी। विधानसभा ही नहीं बल्कि लोकसभा की 25 सीटें भी 2014  में राजस्थान से बीजेपी की झोली में गई थी। लेकिन समय बदल गया है और अब जनता की नाराजगी वसुंधरा राजे से इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि राजस्थान में हर जगह एक नारा गूंज रहा हैं और वो नारा है ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, रानी तेरी खैर नहीं’।

आइए जानते हैं कि कैसे राजस्थान में वसुंधरा सरकार की जमीन दरक रही है और क्यों रानी से खफा है राजस्थान की जनता।

इतिहास गवाह है कि राजस्थान में कभी किसी एक पार्टी ने लगातार दो बार सत्ता में वापसी नहीं की है। मोदी लहर लोगों पर अभी भी सवार है क्योंकि अधिकतर चुनावों में असंतुष्टि के बावजूद भी लोग बीजेपी को वोट दे रहे हैं। शायद इसीलिए राजस्थान में बीजेपी को फिर से जीत का परचम लहराने की उम्मीद बंध गई थी लेकिन राजस्थान में किसान या नौकरीपेशा लोग हर कोई वसुंधरा सरकार से नाराज है और इस बात का सबूत पिछले उपचुनावों में मिल गया जब सारी सीटें बीजेपी हार गई। जनता के इस फैसले नें वसुंधरा सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी।  अजमेर,अलवर की लोकसभा और मांडलगढ़ की विधानसभा सीट से भी कांग्रेस ने जीत हांसिल की जिसके बाद कांग्रेस को जहां वापसी की उम्मीद बंधी वहीं बीजेपी को जनता की नाराजगी का एहसास हो गया।

राजस्थान में वसुंधरा राजे के खिलाफ जनता में गुस्से का माहौल है। एक तरफ फसलों का सही मूल्य ना मिलने और सरकार की बेरुखी से किसान नाराज है तो वहीं बेरोजगार युवाओं में नौकरी ना होने के कारण रोष हैं। अफसरों की तानाशाही जोरों पर है लेकिन सरकार है कि किसी भी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करने के लिए राज़ी नहीं हैं। बल्कि एक अजीबो-गरीब अध्यादेश पास करके अफसरों के दोषी साबित होने तक मीडिया कवरेज पर भी रोक लगा दी गई है। वसुंधरा राजे के अजीबो-गरीब फरमान और तानाशाही रवैये से सरकार के खिलाफ माहौल बन गया तो वहीं पार्टी में भी फूट कीसी से छुपी नहीं हैं। दूसरी तरफ राजस्थान में विपक्ष यानि की कांग्रेस को युवा नेता सचिन पायलट और पूर्व सीएम अशोक गहलोत के साथ ने एक नया जीवनदान दिया है। इस जोड़ी ने ही कांग्रेस को उपचुनाव में जीत दिलाई थी।

बैकों से लिया हुआ कर्ज, पानी, बिजली आदि तमाम दिक्कतें किसानों की समस्या है और किसान वसुंधरा सरकार की बेरुखी से खासे नाराज हैं तो वहीं युवाओं की नाराज़गी के चलते मोदी लहर भी बेअसर नजर आ रही है। दिसंबर 2018 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने है। अगर पिछले नतीजों को ध्यान में रखा जाए तो राजस्थान से बीजेपी को काफी कुछ मिला है ऐसे में अगर राजस्थान में कांग्रेस जीत जाती है तो बीजेपी के लिए यह बेहद शर्मनाक होगा।

हाल ही के चुनाव का विश्लेषण किया जाए तो राजस्थान में फिर से कांग्रेस सत्ता में आएगी या नहीं यह कहना तो मुश्किल है लेकिन यह तय है कि बीजेपी को काफी सीटों का नुकसान होने वाला है।

Anshika Sarda

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