इतिहास

1982 से कैसे बदल गया सीरिया

सीरिया का इतिहास – दुनिया के सबसे अशांत जगहों में से एक माने जाने वाले सीरिया में जिंदगी और मौत के बीच फंसी लोगों की कहानियां शायद ही कभी खत्म होगी । और यही वजह है कि दुनिया घूमने का शौक रखने वाले लोगों के मन में कभी सीरिया जाने का ख्याल नहीं आता । क्योंकि सीरिया के खराब होते हालात तीसरे विश्व युद्ध का गढ़ बनते जा रहे है ।

सीरिया एक मुस्लिम स्टेट है जहां शिया – सुन्नी मुस्लिम के बीच पनपी दरार ने इस देश को तबाही की आग में जलने पर मजबूर कर दिया । और इसका नतीजा यहां की आम जनता को आज भी भुगतना पड़ रहा है । सीरिया की हालात 2011 के बाद सबसे ज्यादा खराब हुए जब बेरोजगारी , सरकार के लिए गुस्से और कुछ संप्रदायिक आग लगाने वाले लोगों ने सरकार के खिलाफ विराध प्रर्दशन शुरु कर दिया । जिसका फायदा कुछ बाहरी तत्वों ने उठाया । वहीं अपने तख्तापलट से घबराएं सीरिया के राष्ट्रपित ने कई प्रर्दशनकारियों को मरवा डाला । ये आकड़ा करीबन 300 के आसपास का था ।

लेकिन अगर आप ऐसा सोच रहे है कि सीरिया के बुरे दिनों की शुरुआत 2011 से हुई । तो ऐसा नहीं है । अगर गौर से देखा जाए तो 1982 से पहले का सीरिया कुछ ओर था और 1982 के बाद का सीरिया कुछ ओर बनकर सामने आया ।

सीरिया का इतिहास –

क्या है सीरिया का इतिहास

रिपोर्टस के मुताबिक सीरिया का इतिहास करीबन 10 हजार साल से ज्यादा पुराना है । जहां एशिया के बड़े बड़े सम्राटों ने राज किया । सन् 1946 तक सीरिया पर फ्रांस का कब्जा था । जिसे सीरियाई लोगों ने 1946 में मुक्ति पा ली । लेकिन इसके बाद सीरिया में दो तरह की अवधाराणाएं ( राजनीतिक और धार्मिक ) पैदा होने लगी । जो आज भी सीरिया की बर्बादी का असल कारण है ।

सीरिया एक मुस्लिम राष्ट्र है जहां 78 फीसदी शुन्नी और 12 फीसदी शिया मुस्लिम रहते है ।सीरिया में इन दिनों समुदाय के बीच शुरु से टकराव देखने को मिलता रहा है जिसे 1971  में हाफिज अल-असद अलावी के राष्ट्रपति बने के बाद हवा मिली थी। अल असद की बथ पार्टी एक डमोक्टैकि पार्टी थी । जिसे कई धार्मिक लोग पसंद नहीं करते थे ।धार्मिक लोगों का मानना था कि राजनीति में धर्म को ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए । जिसे सत्ताधारी पार्टी बथ मेल नहीं खाती थी । 1979 में पहली बार बथ पार्टी के खिलाफ विद्रोह की आवाज उठी । जिसने ऐसे नरसंहार का रुप लिया । कि जिसे याद करना किसी के लिए भी भयानक सपने से कम नहीं होगा ।

क्या हुआ थ 1982 में

1982 में सीरिया के शहर हामा में एक ऐसी घटना घटित हुई थी जिसे आज भी सीरिया के लिए सबसे बुरा वक्त माना जाता है । 1982 में हामा शहर में राष्टपति हाफिज अल असद ने अपने तकरीबन 12 हजार सैनिकों को हामा शहर को चारों तरफ से घेरने के लिए वहां भेजा । अचानक हुई घेरा बंदी की उम्मीद किसी को भी नहीं , यहां तक कि प्रर्दशनकारियों के गुट को  इस भनक नहीं लग पाई थी । लेकिन सैनिकों की इस घेरा बंदी ने शहर के कई इलाकों को पूरी तरह तहशनश कर दिया था । कई घर जलकर पूरी तरह राख हो गए । और सरकार और प्रर्दशनकारियों की इस लड़ाई में हजारों लोगों ने भी अपनी जान गवा दी ।और अफसोस की बात ये थी कि इन मरने वाले लोगों में सैनिक या प्रर्दशनकारियों से कहीं ज्यादा यहां के आम नागरिक थे ।

आज भी नहीं भूले सीरियाई उस दिन को

ये है सीरिया का इतिहास – सीरिया के कई लोगों में आज भी  हाफिज अल असद को लेकर गुस्सा है । जिस वजह से सीरिया के बहुत से लोग सीरिया के मौजूदा राष्ट्रपति बशर अल असद से भी नफरत करते है । क्योंकि बसर अल असद हाफिज अल- असद के बेटे हैं ।और यही कारण है कि 2011 से एक बार फिर सीरिया में तख्ता पलट की कोशिश की जा रही है ।

Preeti Rajput

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