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आखिर पकड़ा ही गया छोटा राजन: टिकिट ब्लैक करने से लेकर मुंबई पर राज करने वाले डॉन की कहानी

चेम्बूर के सिनेमा हॉल के पास टिकिट ब्लैक करने वाले को देखकर कभी किसी ने सोचा नहीं था कि एक दिन उसके शातिर दिमाग की बदौलत मुंबई उसके क़दमों में होगी.

आज पूरी दुनिया में D कम्पनी का रुतबा है, उसे इस मुकाम पर पहुँचाने में बहुत बड़ा हाथ छोटा राजन का था. वही छोटा राजन जो आज दाऊद का सबसे बड़ा दुश्मन है.

छोटा राजन जिसके पीछे भारत सरकार और गुप्तचर एजेंसिया पिछले 20 साल से हाथ धोकर पड़ी थी. इंडोनेशिया में भारत के रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के जाल में आखिरकार राजन फंस ही गया.

17 से ज्यादा हत्याओं के लिए वांछित और बहुत से अन्य अपराधों में शामिल राजन की कहानी किसी बॉलीवुड मसाला फिल्म से कम नहीं है.

आइये देखते है राजन निखलजे का छोटा राजन बनने तक का सफर….

राजन निखलजे का जन्म मुंबई के चेम्बूर इलाके में तिलक नगर में हुआ था. राजन के अपराधिक कैरियर की शुरुआत चेम्बूर के सहकार सिनेमा हाल में टिकिट ब्लैक करने से हुई थी. उस उम्र में राजन पर सिनेमा का भूत चढ़ा था. राजन को मिथुन चक्रवर्ती के लिए पागलपन था. आगे जाकर जब राजन डॉन बना तो कपड़े से लेकर स्टाइल सबमे मिथुन का रंग होता था.

एक बार टिकिट ब्लैक करते करते एक झगडे में राजन ने एक पुलिस वाले को सबके सामने पीटा. उस समय के लिए ये बभूत हिम्मतवाली घटना थी. पुलिस वाले को पीटने के बाद राजन सबकी नज़रों में आ गया.

आगे जानिए कैसे राजन को राजन के रूप में मिला गुरु 

इस घटना के बाद राजन को बड़ा राजन का साथ मिला. बड़ा राजन ने अपनी छत्रछाया में राजन को धंधे के सारे गुर सिखाये. कुछ ही समय में राजन निखलजे बड़ा राजन का सबसे विश्वासपात्र बन गया.

एक पुरानी रंजिश के चलते एक आदमी ने बड़ा राजन की हत्या की सुपारी ली और उसे मार डाला. इस घटना के बाद राजन निखलजे गुस्से से पागल हो गया क्योंकि बड़ा राजन ना सिर्फ उसका बॉस था बल्कि उसका गुरु भी था. एक क्रिकेट के मैदान में दिन दहाड़े बल्ले और विकिट से मार मार कर राजन ने अपने गुरु की मौत का बदला लिया.

आगे जानिए दाऊद से मुलाकात और D- कम्पनी के बारे में 

बड़ा राजन के मरने के बाद उसके गैंग की ज़िम्मेदारी संभाली राजन निखलजे ने और उसे नाम मिला छोटा राजन का. शायद बहुत ही कम लोग ये बात जानते है कि एक समय ऐसा था जब आज एक दुसरे की जान के दुश्मन माने जाने वाले दाऊद इब्राहीम,छोटा राजन और अरुण गवली एक साथ काम करते थे. इन तीनो का साथ तब टूटा जब एक ड्रग डील के चक्कर में अरुण गवली के बड़े भाई की हत्या कर दी गई.

और उसके बाद राजन की मदद से कायम हुई दुबई में D कम्पनी की बादशाहत 

धीरे धीरे पुलिस और कानून का शिकंजा दाऊद पर कसने लगा था. गिरफ्तार होने के डर से दाऊद दुबई चला गया. कुछ समय बाद राजन भी दुबई आ गया . राजन के दुबई आने के बाद दाऊद का धंधा बहुत ही फलने फूलने लगा. राजन का दिमाग किसी मैनेजर से कम नहीं था.

वो राजन ही था जिसने दाऊद के धंधे को कंपनी की शक्ल दी. जहाँ हर किसी का काम बंटा होता था और किसी व्यापारिक कंपनी की तरह से लें दें और धंधा होता था. राजन ही वो शख्स था जिसने बड़ी सफाई से दाऊद के दुश्मनों को खत्म किया और मुंबई अंडरवर्ल्ड पर D- कम्पनी का वर्चस्व कायम किया.

लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ की पड़ गयी दरार बरसों की दोस्ती में 

दाऊद के की D -कंपनी में राजन का रुतबा बढ़ता ही जा रहा था. राजन अब एक तरह से इस कंपनी का CEO था. राजन की तरक्की और दाऊद का उस पर भरोसा देखकर बहुत से लोग राजन से जलने लगे थे.

जलने वालों में खास थे छोटा शकील और टाइगर मेमन. इन दोनों ने दाऊद के कान भरने शुरू किये और इन्हें सुनहरा मौका मिला 92 में बाबरी मस्जिद गिरने के बाद.

पाकिस्तान के साथ मिलकर 93 के ब्लास्ट की प्लानिंग से राजन को दूर रखा गया. शकील और टाइगर ने दाऊद को अपनी बैटन में फंसा कर ये भरोसा दिलाया कि अब ये मामला धर्म का है और ऐसे में एक हिन्दू पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

मुंबई अंडरवर्ल्ड में ये पहला मौका था जब निर्णय धर्म के आधार पर लिया गया था. अब राजन को D- कम्पनी में छुपे दुश्मनों से खतरा महसूस होने लगा था.

आगे पढ़िए दोस्ती का अंत और एक दुश्मनी की शुरुआत जिसका एक एक पन्ना रंगा था खून से 

मुंबई धमाकों के बाद भी राजन ने शिवसेना को पत्र लिख कर खरी खरी सुनाई थी जब शिवसेना के मुखपत्र सामना में दाऊद को देशद्रोही कहा गया था. राजन दाऊद के लिए अभी भी ईमानदार था पर राजन अब ये भी समझने लगा था कि कम्पनी के अंदर ही उसे ना सिर्फ पॉवर से दूर करने कि अपितु मारने तक की साजिश चल रही है.

और फिर एक दिन राजन किसी को भी बिना बताये कंपनी छोड़ कर चला गया और अपना अलग गैंग बना लिया. बरसों के साथी राजन और दाऊद अब एक दुसरे के दुश्मन बन चुके थे. दोनों गैंग की दुश्मनी का नतीजा था ये हुआ कि मुंबई की सड़कें खून से रंगने लगी.

दाऊद की तरफ से शकील ने राजन को मारने की कई बार कोशिश की. जिनमे सबसे सफल कोशिश 2000 में थाईलैंड में की गयी थी.

जानिए कैसे मौत को चकमा देकर भागा राजन 

थाईलैंड में राजन काफी समय से छुपकर रह रहा था. एक टिप के बाद शकील ने राजन पर हमला करवाया. इस हमले में राजन को गोलियां लगी और वो बुरी तरह जख्मी हो गया. कहा जाता है स्थानीय सहयोग और भारत के एजेंट की मदद से बुरी तरह जख्मी राजन वहां से निकल गया. इस हमले के बाद दाऊद के गैंग ने राजन के गैंग के लोगों को चुन चुन कर मारना शुरू कर दिया.

इसका नतीजा ये हुआ कि एक समय में D कम्पनी को टक्कर देने की क्षमता रखने वाला राजन गैंग बिखर गया. लेकिन राजन ने अपने ऊपर हुए हमले का बदला लेने की ठान ली. 2001 में दाऊद को राजन का पता देने वाले दोनों खबरियों की हत्या कर दी गयी. इन दोनों की हत्या से दाऊद को कोई खास फर्क नहीं पड़ा.

और फिर उसके बाद आया  राजन का मास्टर स्ट्रोक… जिसने D- कम्पनी को हिला दिया 

विनोद और मिश्रा दो प्यादे थे जिन्होंने राजन की खबर पहुंचाई थी. लेकिन इन दोनों के पीछे था शरद शेट्टी. दाऊद का विश्वासपात्र जो एक व्यापारी के रूप में दुबई में रहकर दाऊद का काम देखता था. दाऊद के बिज़नस से लेकर पैसों का लेनदेन और ऐसे ही तमाम काम शरद शेट्टी के ही जिम्मे थे.

राजन अब दाऊद को भी उसी दर्द का अहसास करवाना चाहता था जो दाऊद ने उसके गैंग को तोड़कर राजन को दिया था. शरद शेट्टी की दुबई के खुलेआम हत्या वो भी उस जगह जो दाऊद के व्यापार का अड्डा था. शेट्टी की मौत दाऊद के लिए बहुत बड़ा झटका था. शेट्टी के साथ ही ना जाने कितने व्यापारिक संबंध, पैसों के ठिकाने सब के सब खो गए.इस मास्टर स्ट्रोक से राजन ने दाऊद की  कमर ही तोड़ दी

और फिर 20 साल के इंतज़ार के बाद 

हत्या, वसूली, जमीन जायदाद आदि से सम्बन्धित बहुत से मामलों में भारत सरकार को राजन की तलाश थी. लेकिन राजन इतना शातिर था कि हर बार चंगुल से निकल जाता था. राजन के खिलाफ इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस भी जारी था. कल 26 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलियन पुलिस की टिप के बाद इंडोनेशिया में राजन को धर दबोचा गया.

20 साल के इंतज़ार के बाद आखिरकार राजन कानून की गिरफ्त में आ ही गया. सूत्रों की माने तो भारतीय रक्षा एजेंसी NSA बहुत समय से राजन पर नज़र रखे थी.

अरुण गवली पहले से ही जेल में है और अब राजन भी पकड़ा गया.

आशा करते है कि राजन दाऊद के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ देगा और फिर जिस दिन दाऊद भी सलाखों के पीछे चला गया उस दिन मुंबई अंडरवर्ल्ड के काले साम्राज्य के तीनों सिपहसलार एक इतिहास बनकर रह जायेंगे.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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