इतिहास

सैफ़ अली खान की सास जिस इलाके में जाती थी उस इलाके के मुस्लिम घर छोड़कर भाग जाते थे !

फिल्म अभिनेता सैफ अली खान और की पहली पत्नी अमृता सिंह को बहुत लोग जानते हैं.

लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि अमृता सिंह की जो माँ थी उनकी पहचान एक दंबग लेडी की थी.

अमृता सिंह की मां रुखसाना सुल्ताना की दबंगई का आलम यह था कि लोग उनके इलाके में आने की खबर सुनकर भाग खड़े होते थे.

रुखसाना सुल्ताना एक सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीति के क्षेत्र में आई थी. पेशे से डाॅक्टर रूखसाना अपनी बेबाक बातों और दबंग स्टाइल के चलते राजनीति के उस समय के सबसे ताकतवर शख्स संजय गांधी से जुड़ गई.

जिस समय रुखसाना सुल्ताना संजय गांधी की टीम में शामिल हुई उस समय देश में आपातकाल का दौर चल रहा था.

चूंकि रुखसाना सुल्ताना पेशे से डॉक्टर थी, इसलिए संजय गांधी ने उस समय के अपने चर्चित का कार्यक्रम नसबंदी की जिम्मेंदारी दिल्ली में उनकों सौंप दी.

रुखसाना को संजय गांधी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को ज्यादा से ज्यादा तादाद में नसबंदी के लिए राजी करने का काम सौंपा था. इसके लिए रूखसाना ने पुरानी दिल्ली में गली गली और घर घर जाकर लोगों को परिवार नियोजन के फायदों के बारे में समझाने लगीं. रुखसाना सुल्ताना ने नसबंदी के लिए पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में कैंप लगवाकर संजय गांधी के परिवार नियोजन को सफल बनाने की मुहिम शुरू कर दी.

लेकिन राजनीतिक दलों के साथ साथ मुस्लिम उलेमाओं और इमामों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. संजय गांधी ने इसको अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा से जोड़ दिया. और फिर हुआ रुखसाना सुल्ताना के नेतृत्व में वह दौर जिसका खौफ आज भी इलाके की गलियों में आज भी महसूस किया जा सकता है.

जल्द ही पुरानी दिल्ली में रूखसाना का नसबंदी के बारे में जागरूकता अभियान आतंक में तब्दील हो गया.

मुस्लिमों के नसबंदी विरोध को संजय गांधी ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर इसे किसी भी कीमत पर सफल बनाने के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया. इस काम में लगे लोगों को महीने के टारगेट दिए जाने लगे.

टारगेट पूरा करने के लिए दवाब बनाया जाने लगा तो जामा मस्जिद के आसपास चलने वाले नसबंदी कैंपों में लोगों को जबरदस्ती पकड़कर उनकी नसबंदी की जाने लगी. बुजुर्गों से लेकर नौजवानों तक को नहीं बख्शा गया. आलम यह था कि जब रुखसाना सुल्ताना अपनी गाड़ी से पुरानी दिल्ली के इलाकों में दौरा करती थी तो उनके डर से अपने घर छोड़कर भाग खड़े होते थे. रूखसाना की गाड़ी का हौर्न में भी लोगों को नसबंदी की चीखे सुनाई पड़ने लगी थी.

कुछ दिनों में स्थिति यह हो गई थी कि रूखसाना लोगों के सपने में आकर उनकों डराने लगी. इलाके में घूमते वक्त गलती से भी किसी व्यक्ति पर रूखसाना की नजर पड़ जाती तो डर से उसका ही पीला पड़ जाता था.

Vivek Tyagi

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