इतिहास

कैसे बिना आंखों के पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को मार गिराया !

पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी – चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा पृथ्वीराज चौहान की गाथा अमर है.

पृथ्वीराज चौहान का जन्म स्थान अजमेर है. राजा सोमश्वर के यहां पृथ्वीराज का जन्म हुआ था. वे पृथ्वीराज तृतीय, भारतेश्वर, सपादलक्षेश्वर, हिंदू सम्राट और राय पिथौरा जैसे नामों से जाने जाते हैं.

मात्र 15 साल की छोटी सी उम्र में गद्दी संभालने वाले पृथ्वीराज चौहान भारत देश के आखिरी हिंदू राजा के रुप में जानें जाते हैं.

दोस्तों बता दें कि चुकी पृथ्वीराज चौहान की उम्र मात्र 15 वर्ष थी, इसलिई उनकी माता कर्पूर देवी अपने पुत्र के स्थान पर संरक्षिका के तौर पर राज कार्यों को संभालने का काम किया करती थीं.

पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी से तो आप वाकिफ़ होंगे. इनकी प्रेम कहानी इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखी जा चुकी है. पृथ्वीराज चौहान को उनके नाना जी ने पाला-पोसा था, क्योंकि नाना ने उन्हें गोद ले लिया था.

एक लंबे समय तक दिल्ली की गद्दी को संभालते हुए पृथ्वीराज चौहान ने लोगों के दिलों में अपनी एक अलग हीं छाप छोड़ी थी. जवान पृथ्वीराज चौहान को जयचंद, जोकि कन्नौज के महाराज थे, उनकी बेटी संयोगिता से बेपनाह मोहब्बत हो गई. लेकिन जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच दुश्मनी काफी गहरी थी. जिसकी वजह से संयोगिता और पृथ्वीराज का मिलन असंभव था.

एक समय की बात है जब महाराजा जयचंद ने अपनी पुत्री संयोगिता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन कराया. लेकिन इस स्वयंवर के आयोजन में जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान को आमंत्रण नहीं भेजा. और पृथ्वीराज का अपमान करने की खातिर अपने दरबान की जगह पर पृथ्वीराज की प्रतिमा लगा दी थी. लेकिन सही समय पर पृथ्वीराज चौहान ने वहां पहुंचकर संयोगिता की सहमति मिलने के बाद उनका अपहरण कर लिया.

पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी.

मीलों का सफर पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता ने एक हीं घोड़े से पूरी कर डाली. अपनी राजधानी पहुंचने के बाद पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता ने एक-दूसरे से शादी कर ली. जब पृथ्वीराज चौहान संयोगिता को लेकर भागे थे, तो जयचंद के एक भी सिपाही उनका कुछ भी नहीं कर पाए. इसके बाद जयचंद के मन में पृथ्वीराज चौहान के लिए और भी ज्यादा कड़वाहट बढ़ गई. और पृथ्वीराज चौहान से बदला लेने का मन बना लिया.

मोहम्मद गोरी ने 18 बार पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया था.

किवदंतियों की मानेंं तो 18 बार पृथ्वीराज चौहान पर मोहम्मद गोरी ने आक्रमण किया. जिसमें 17 बार उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा. लेकिन 18वीं बार मोहम्मद गोरी को जयचंद का साथ मिल गया. उसने पृथ्वीराज चौहान को कैद कर बंदी बना लिया.

चंदबरदाई के द्वारा लिखित पुस्तक पृथ्वीराज रासो में पृथ्वीराज से संबंधित संपूर्ण घटनाओं का वर्णन मिलता है. मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज को पराजित कर बंदी बना लिया. और उसके बाद गर्म सलाखों से पृथ्वीराज चौहान की आंखें को जला दिया. उसके बाद मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान से चंदबरदाई के द्वारा उनकी आखिरी इच्छा पूछने को कहा. बता दें की चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के बेहद करीबी सखा थे. और पृथ्वीराज चौहान में शब्दभेदी बाण छोड़ने के गुण भरे पड़े थे. इस बारे में मोहम्मद गोरी तक इस कला के प्रदर्शन की बात पहुंचाई गई. जिसके बाद मोहम्मद गोरी ने इसकी मंजूरी दे भी दी.

पृथ्वीराज जिस महफ़िल में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले थे, उसी महफिल में मोहम्मद गोरी भी मौजूद था. चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान ने ये योजना पहले हींं बना रखी थी. चंदबरदाई ने ये शब्द कहा –

चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण, 

ता ऊपर सुल्तान है मत चूको रे चौहान.

इस दोहे को बोलकर चंदबरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को संकेत दे दिया. जैसे हीं मोहम्मद गोरी ने शाब्बास लफ्ज़ का उद्घोष किया, वैसे हींं अपनी दोनों आंखों से अंधे हो चुके पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को अपने शब्दभेदी बाण के द्वारा मार डाला. मोहम्मद गोरी के मरते हीं पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई ने अपनी दुर्गति से बचने की खातिर एक-दूसरे की हत्या कर दी.

पृथ्वीराज चौहान की समाधी गजनी शहर के बाहरी क्षेत्र में आज भी यथास्थान बनी हुई है.

अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी क्षेत्र में पृथ्वीराज चौहान की समाधि आज भी यथास्थान है. लेकिन ससाधि के हालात आज अच्छे नहीं हैं. क्योंकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लोगों की नजरों में मोहम्मद गोरी हीरो बना हुआ है. जबकि पृथ्वीराज चौहान को अपना दुश्मन मानते हैं. चुकी पृथ्वीराज चौहान ने गोरी की हत्या की थी. यही वजह है कि पृथ्वीराज चौहान की समाधी को वे लोग तिरस्कार भरी नज़रों से देखते हैं. यहां तक की ठोकर भी मारा करते हैं.

पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी आज भी अमर है. सच्चे प्रेमी-प्रेमियों के लिए प्रेरणादाई. पृथ्वीराज चौहान कि दोनों आंखों को जब जलते सलाखे से जला दिया गया, तब भी उस वीर ने हिम्मत हारे बिना अपने शब्दभेदी बाण से मोहम्मद गोरी की हत्या कर डाली. और दुश्मन के हाथ मरने के बजाय, अपने दोस्त के हाथ मौत को गले लगाना उचित समझा. ऐसे पृथ्वीराज चौहान की गाथा हमेशा अमर रहेगी.

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