राजनीति

निर्भया कोष का इस्तेमाल क्यों नहीं करती राज्य सरकारें

निर्भया कोष – भारत में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध एक बड़ी समस्या बनते जा रहे है ।

देश का ऐसा कोई भी राज्य नहीं है जिसें महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता हो ।

इसके बावजूद प्रशासन से लेकर आम लोग तक सभी आँख मूंद कर बैठे है । और उनकी आखें तभी खुलती है । जब किसी रेप केस को मीडिया में हाइलाइट करके दिखाया जाता है । फिर कैंडल मार्च होता है। नारे लगते है । विपक्ष अपनी राजनीति रोटी सकेने की कोशिश करता है ।और सरकार कड़ी कार्रवाई का जुमला गाती है । लेकिन इतने सालों में न तो महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण अपराधों को लेकर कोई सख्त कानून लागू किया गया। और  महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों पर लगाम कसी ।

जो कानून और प्रस्ताव पारित हुए उनका भी ठीक तरह से राज्य सरकारें इस्तेमाल नहीं कर पाई।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रेदशों की सरकारों को आदेश दिया कि वो अदालत को बताएं कि केंद्र सरकार दारा निर्भया कोष के तौर पर मिलने वाले पैसें का उन्होंने कैसे तरह इस्तेमाल किया और कितना इस्तेमाल किया । लेकिन देश की राज्य सरकारों की कान पर जूं तक नहीं रेंगी और अधिकतर राज्य सरकारों ने अब तक अदालत के इस आदेश का कोई जवाब नहीं दिया है और शर्मसार करने वाली बात ये है कि जिस राज्य ने इसका जवाब अदालत को दिया है उनके निर्भया कोष के इस्तेमाल को लेकर दिए आकड़े बहुत शर्मसार करने वाले है ।

दरअसल अदालत के आदेश के बाद मध्य प्रदेश की सराकर ने अदालत को बताया कि उनके राज्य में रेप पीडिकाओं को मुआवजे की रकम के तौर  पर 6 हजार रुपये दिए गए । आप यकीनन करेंगे कि एक महिला के अस्तितव की कीमत मध्य प्रदेश की सरकार ने केवल 6 हजार रुपये लगाई । जबकि क्राइम ब्रांच के आकड़ो के मुताबिक सबसे ज्यादा यौन उत्पीड़न के मामले मध्य प्रदेश में होते है। और मध्य प्रदेश उन राज्यों में से एक है जिसे निर्भया कोष के नाम पर केंद्र सरकार सबसे ज्यादा धनराशि देती है ।

आपको बता दें निर्भया कोष को दिल्ली में बस में एक लड़की के साथ हुए रेप केस के बाद पारित किया गया था । जिसके अंतर्गत रेप पीडिता को उसके पुर्ननिर्वास और रख रखाव के लिए मुआवजे की राशि दी जाती है ।  आकड़ो के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार ने एक हजार नौ लड़कियों पर केवल 1 करोड़ तक की धनराशि खर्च की है ।

अदालत ने मध्य प्रदेश दारा पीड़िताओ को दी जारी मुआवजे की रकम पर अक्रोश जताते हुए कहा कि  सरकार पीडिताओं को क्या 6 हजार की धनराशि देकर एहसान जाताना चाहती है । क्या सरकार पीडिताओं को भीख दे रही है । आपको बता दें हर साल केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को निर्भया कोष के तौर पर करोंड़ो की धनराशि दी जाती है । लेकिन राज्य सरकारें इस धनराशि का कैसे इस्तेमाल कर रही है आप इसे अंदाजा लगा ही सकते है ।

हर राज्य में रेप पीडिताओं को मिलने वाला मुआवजा अलग अलग है किसी राज्य में ये राशि इतनी है कि आप उसे सही में मुआवजा कह सकते है तो कुछ राज्यों में ये राशि इतनी कम है कि रेप पीडिताओं इसे लेने में भी अफसोस होगा ।इस वक्त केवल गोवा में सबसे ज्यादा 10 लाख की राशि मुआवजे के तौर पर रेप पीडिताओ को दी जाती है ।

हम देश में महिलाओँ के सम्मान सुरक्षा की बात करते है । लेकिन जब सरकारें ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अग्रसर नहीं है तो आप किस बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं ।

Preeti Rajput

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