राजनीति

ये रिकार्डिंग बता रही है मायावती को फंसाने के लिए पहले ही बिसात बिछा चुके थे नसीमुद्दीन !

बसपा सुप्रीमों मायावती द्वारा हाल में पार्टी के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से निकाले जाने के बाद कई आडियों रिकार्डिंग्स बाहर आई है.

बताया जाता है कि पार्टी से निकाले जाने से खफा नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने ही ये सारी रिकार्डिंग मीडिया में लीक की है.

लेकिन जिस प्रकार लीक आडिया में बसपा सुप्रीमों और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बीच बातचीत हो रही है उससे दो बाते साफ हैं. एक तो ये कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को ये लगने था कि अब बसपा में दम नहीं रह गया है.

इसलिए यहां से जितना ले सकों ले लो और चलता बनों. यही कारण है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने विधान सभा चुनावों के दौरान पार्टी की सदस्यता के लिए जमा पैसे का हिसाब देने में आना कानी करना शुरू कर दिया था.

उनको मालूम था कि मायावती उनसे फोन पर जरूर इस संबंध में बात करेंगी. लिहाजा उन्होंने मायावती के सभी काल का रिकार्ड करना शुरू कर दिया. और बार बार बातों में वे मायावती को पैसों पर लाते ताकि वो इसको लेकर कुछ ऐसा बोल दें जिससे वे फंस जाए.

क्योंकि जब भी मायावती नसीमुद्दीन सिद्दीकी से हिसाब की बात करती तो कुछ देर बाद ही वे बात को घुमा फिराकर वहीं ले आते. जबकि मायावती बार बार कहती कि ये बातें फोन पर नहीं हो सकती. क्योंकि उनका फोन टेप हो रहा है.

इतना ही नहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी खुद से कहते हैं कि बहन जी मैं अपना सबकुछ बेचकर भी आपका पैसा चुकाउंगा. जबकि मायावती ने अपनी पूरी बातचीत में एक बार भी नसीमुद्दीन से नहीं कहा कि कुछ भी करों, अपना घर बार बेचों, लेकिन पार्टी का पैसा वापस करों.

जबकि नसीमुद्दीन सिद्दीकी बार बार इस बात को दोहरा रहे थे. इससे साफ जाहिर होता है कि जब विधान सभा चुनावों के बाद मायावती ने पार्टी की शर्मनाक हार के कारणों की जांच के लिए नसीमुद्दीन को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मंडल समीक्षा के लिए भेजा तो वहां उनके खिलाफ पार्टी का गुस्सा फूट पड़ा.

लोगों ने वहां खुलकर नसीमुद्दीन पर पैसे लेकर टिकट बेचने के आरोप लगाए. मेरठ में नौबत यहां तक आ गई कि नसीमुद्दीन को बसपा के आक्रोशित लोगों से बचने के लिए भाग कर एक कमरे में छिपना पड़ा.

जिस प्रकार एक के बाद एक मंडलों में नसीमुद्दीन का विरोध शुरू हुआ तो इसकी खबर मायावती को लगी. आरोप लगे कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपने खास लोगों को पैसे लेकर टिकट दिए है. और वो पैसा उन्होंने पार्टी फंड में न जमा कर अपने पास ही रख लिया है.

इतना ही पार्टी की सदस्यता अभियान के जरिए जो पैसा जुटाया गया था उसका भरी नसीमुद्दीन के पास कोई हिसाब किताब नहीं था. मायावती को जब नसीमुद्दीन की इन बातों का पता चला तो उन्होंने सारा हिसाब किताब पार्टी कार्यालय में जमा करने को कहा.

लेकिन नसीमुद्दीन ने बजाए हिसाब देने के बसपा सुप्रीमों मायावती के फोन रिकार्ड करने शुरू कर दिए. ताकि पैसा को लेकर मायावती पर दवाब बनाकर ब्लैकमेल किया जा सके.

लेकिन इन सब के बीच एक सवाल अभी अनुत्तरित है, वह यह है कि नसीमुद्दीन ने मायावती को फंसाने के लिए ये बिसात स्वयं बिछाई थी या इस खेल में उनके साथ किसी अन्य राजनैतिक दल की भी भूमिका है.

 

Vivek Tyagi

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