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पुरुष भी होते है महिलाओं के हाथों शिकार, इन्हें बचाने में कानून भी लाचार

जब भी बात प्रताड़ना (टार्चर) की होती हैं तब जहन में एक पुरुष प्रताड़ित करने की भूमिका में दिखाई देता है, तो वहीं एक औरत प्रताड़ित या कहे कि पीड़ित के तौर पर दिखाई देती है.

ये बात सच है कि महिलाएं पुरुषों की बजाए शारारिक और मानसिक तौर ज्यादा प्रताड़ित होती है.

इसके पीछे वजह कभी-कभी उनका आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर (सेल्फ डिपेंड) ना होना या फिर भारतीय समाज का पुरुष प्रधान होना है.

इसी वजह से महिलाएं ज्यादा प्रताड़ित होती है इसलिए सरकार ने भी महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कई कानून बनाए है जिसमें घरेंलु हिंसा से महिलाओं का बचाव जैसे कानून प्रमुख है.

लेकिन पुरुषों की ये शिकायत रहती है जहां महिलाओं के लिए विभिन्न अपराधों के लिए कई विशेष नियम बनाए गए है. तो वहीं पुरुषों के हितों की रक्षा के लिए एक भी स्पेशल कानून बनाया नहीं गया है.

क्या वाकई में पुरुष भी प्रताड़ित होते है वो भी महिलाओं के हाथों और किस तरह सच जानने के लिए पढ़िए ये 5 फ़ैक्ट

1.  पति के परिवार वालों के लिए अभद्र भाषा का उपयोग करना

अक्सर महिलाओं की ये शिकायत होती है उन्हें बहु का दर्जा भी मुश्किल से ही मिल पाता हैं उनकी ये बात कुछ हद तक सही भी हो सकती है लेकिन वो ससुराल वालों से सीधे-सीधे बात करने के बजाए अपनी शिकायत पति के पास ले जाती है. यहां तक तो बात ठीक है लेकिन वो कभी गुस्से में इतनी आग बबूला हो जाती है कि अपने पति के परिवार वालों के लिए गाली गलौच का उपयोग भी करने लगती हैं. जबकि पतियों की शिकायत होती है कि पत्नी के परिवारवालों  को उन्हें जरा भी कुछ कहने से पहले काफी सोचना पड़ता हैं.

2.  नीचा दिखाना

कभी -कभी महिलाएं अपने रंग रुप या फिर अपने फ़ैमली स्टेटस के मामलें में पुरुषों  को अपने से कमतर साबित करने में जुट जाती है. पुरुषों का मानना है कि ये सब उनके दिमाग में हीन भावना भर देती है.

3.  आपा खोकर घरेलु सामान का नुकसान करना

कभी कभी महिलाएं इतनी उग्र हो जाती है कि गुस्से में आकर घर के बर्तन और महंगे सामान फेंकने में भी गुरेज नहीं करती है इस स्थिती को कई पुरुष सबसे खतरनाक करार देते है.

4.  इमोशनली ब्लैकमेल

कभी कभी महिलाएं अपनी बात मनवाने के लिए खाना तक नहीं खाती है. अपने आप को कमरे में बंद कर लेना, और बात तब और हद से ज्यादा बढ़ जाती है जब वो आत्महत्या करने की धमकी तक देने लगती है. कभी-कभी पुरुष घर से बाहर रहते है तो उन्हें ये टेंशन सताने लगती है कि कहीं उनकी पत्नी कुछ उल्टा सीधा कदम ना उठा ले उन्हें ये भी डर लगता है अगर कुछ अनहोनी हो जाए तो कहीं उनपर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप ना लग जाए

5.  दूर रहना

कभी कभी महिलाएं अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए पुरुषों से दूरी बना लेती है. यहां तक की दूसरे कमरे में भी सोने लगती है.

6.  मायके जाने की धमकी देना-

कई बार महिलाएं छोटी-छोटी बातों पर भी मायके जाने की धमकी देने लगती है. ऐसे में कुछ पुरुषों की शिकायत है कि कई बार उनकी पत्नी घर छोड़कर चली भी जाती है और अगर उनके पति उन्हें वापस लेने जाए तो उनके पत्नी  के घरवाले उनसे मिलने भी नहीं देते हैं.

हमारी सोसाईटी में ऐसी धारणा बन गई है कि महिलाएं ही पुरुषों के हाथों प्रताड़ित होती है.

शायद ऐसा हमारी सोसाईटी के पुरुष प्रधान होने की वजह से होता है कभी -कभी पुरुष ये स्वीकार करने में झिझकते है कि वो उनकी पत्नी के हाथों प्रताड़ित है उन्हें लगता है कि कहीं लोग उनका मजाक ना बनाने लगे.

ऐसे पुरुष कम है लेकिन कुछ पुरुषों ने ये स्वीकार किया
है कि उन्हें महिलाओं के हाथों हिंसा का शिकार भी होना पड़ा हालांकि ये बड़े रुप में नहीं होती है और ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते है.

जहां महिलाओं का जन्म होता है तब से उनकी सुरक्षा के लिए कानून बनना शुरु हो जाते है जैसे भ्रूण हत्या रोकने के लिए कानून, दहेज विरोधी कानून, कार्यस्थल पर प्रताड़ना रोकने हेतू कानून और घेरलू हिंसा से बचाव के लिए कई कानून बनाए गए है.

लेकिन पुरुष अपना दुखड़ा किसके सामने रोए  ये उनकी समझ से परे है.

उनका कहना है कि महिलाओं के लिए जहां ढेरो कानून है तो वहीं पुरुषों के हक के लिए एक भी कानून खास तौर पर हीं बना जो कि उन्हें अपनी पत्नी के हाथों प्रताड़ित होने से बचा सकें. महिलाओं के हित के लिए जहां ढेरो एनजीओं काम कर रहे है तो वहीं पुरुषों के लिए ऐसा कोई भी संस्थान नहीं है.

यहां तक कि महिलाओं के लिए जहां ढेरो हेल्पलाईन जैसी सुविधा फ़ोन पर उपलब्ध कराई गई है तो वहीं ऐसी जगह पर कॉल करने पर ये सुविधा सिर्फ महिलाओं के लिए है कहकर फोन काट दिए जाते है.

Shilpa Rounghe

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