Categories: विशेष

महात्मा गाँधी : क्या मोहनदास करमचंद गाँधी को राजनैतिक फायदे के लिए बनाया गया राष्ट्रपिता!

मोहन दास करमचंद गाँधी….

जिन्हें महात्मा गाँधी  या राष्ट्र पिता भी कहा जाता है. 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी  का जन्मदिन है. महात्मा गाँधी  के बारे में अलग अलग लोगों की अलग अलग राय है. कुछ लोग उन्हें भारत की आज़ादी का पुरोधा मानते है तो वहीँ कुछ लोग उन्हें भारत पाकिस्तान के विभाजन का कारण मानते है.

 एक बात तो तय है जब तक भारत रहेगा तब तक महात्मा गाँधी  को भुलाया नहीं जा सकता. इस बात का सबसे बड़ा सुबूत ये है कि इस नाम का सहारा लेकर एक परिवार ने पिछले 60 साल तक देश की बागडोर संभाली. सार्वजानिक रूप से महात्मा गाँधी को जितना महान माना गया उतना महान उन्हें निजी जिंदगी में नहीं माना गया. इसका सुबूत है गाँधी के अपने पुत्र के साथ मनमुटाव.

इतिहास भी हमेशा सफल और शक्तिशाली के हिसाब से लिखा जाता है इसीलिए शायद बहुत से किताबों में महात्मा गाँधी के पुत्र हरिलाल के बारे में भी बहुत कुछ उल्टा सीधा लिखा गया है. अब इसमें कितना सच है और किता झूठ ये किसे पता.

भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों के तरीकों से भी गांधी की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है. कहा तो ये भी जाता है कि अगर चाहते तो महात्मा गाँधी  भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी से बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं.

ऐसा नहीं है कि महात्मा गाँधी  में कमियां ही थी. उन्होंने बहुत से महान कार्य भी किये थे. उनके द्वारा किया गया सबसे बड़ा काम शायद अछूत और दलितों को बराबर का दर्जा दिलवाना था. उन्हें पता था कि देश की आज़ादी के लिए आवश्यक है कि देश का एक एक नागरिक स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़े.

महात्मा गाँधी  की एक और सफलता भारत छोड़ो आन्दोलन भी रही. इस आन्दोलन ने ही एक तरह से भारतीय स्वतंत्रता की नींव रखी थी.  इस आन्दोलन के बाद ही अंग्रेजों की पहले से कमज़ोर हुई जड़ें भारत से उखड़ने लगी.

महात्मा गाँधी  की सबसे बड़ी कमी और शायद जानबूझकर इतिहासकारों द्वारा नज़रंदाज़ की गयी कमी थी गाँधी जी का व्यवहार. अगर गांधी का विस्तृत अध्ययन किया जाए तो हम पाते है कि वो हमेशा अपनी बात मनवाने पर अड़ जाते थे. किसी तानाशाह की तरह बस उनका मार्ग अहिंसक होता था.

इस व्यवहार के प्रमुख उदहारण है चौरी चौरा की घटना के बाद पूर्णरूप से सफलता की तरफ बढ़ रहे असहयोग आन्दोलन को बीच में बंद कर देना.

आज़ादी के बाद बंटवारे को लेकर एकतरफा रवैया.  विश्वयुद्ध के समय जब भारत कमज़ोर हो चुकी अंग्रेजी हुकूमत को खदेड़ सकता था तो गाँधी जी ने राजधर्म का हवाला देते हुए कहा कि कुछ भी हो अंग्रेज़ हमारे शासक है और युद्ध की घडी में अगर हम उन पर हमला करते है तो ये गलत होगा.

आज 2 अक्तूबर को मोहनदास करमचंद गांधी का जन्मदिन है… लेकिन क्या वो सही में राष्ट्रपिता या महात्मा थे या फिर अपनी उनके नाम की बैसाखी पर चलने वाली सरकारों ने अपने फायदे के लिए उन्हें महात्मा और राष्ट्रपिता के रूप में दिखाया?

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

Share
Published by
Yogesh Pareek

Recent Posts

ढल गई जवानी जिस्म के सौदे में ! अब क्या होगा बूढ़ापे का !

वेश्याओं के रेड लाइट इलाके में हर रोज़ सजती है जिस्मफरोशी की मंडी. इस मंडी…

7 years ago

पेट्रीसिया नारायण ! 50 पैसे रोजाना से 2 लाख रुपये रोजाना का सफ़र!

संघर्ष करनेवालों की कभी हार नहीं होती है. जो अपने जीवन में संघर्षों से मुंह…

7 years ago

माता रानी के दर्शन का फल तभी मिलेगा, जब करेंगे भैरवनाथ के दर्शन !

वैष्णों देवी माता का मंदिर कटरा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.…

7 years ago

एक गरीब ब्राह्मण भोजन चुराता हुआ पकड़ा गया और फिर वो कैसे बन गए धन के देवता कुबेर देव!

धन-दौलत की चाह रखनेवाले हमेशा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. माता लक्ष्मी…

7 years ago

रमज़ान में खुले हैं जन्नत के दरवाज़े ! होगी हर दुआ कबूल !

साल के बारह महीनों में रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है.…

7 years ago

चिता की राख से आरती करने पर खुश होते हैं उज्जैन के राजा ‘महाकाल’

उज्जैन के क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है उज्जैन के राजा महाकालेश्वर का…

7 years ago