इतिहास

एक समय था जब अमेरिकी हवाई जहाज भी रिपेयर होने भारत आते थे

भारत आज अमेरिका, रूस और फ्रांस से लड़ाकू विमान खरीदकर अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर रहा है.

लेकिन एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका और ब्रिटेन के हवाई जहाज भी भारत में रिपेयर होने के लिए आते थे.

भारत की रक्षा और तकनीकि क्षमता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही नहीं वर्ष 1947 में भारत के आजाद होने के बाद भी अमेरिका सहित कई देशों के विमान भारत में सर्विसिंग के लिए आते थे. देश में दिल्ली में सफदरजंग हवाई पट्टी के समीप स्थित गार्डर रीच आदि कई सर्विस सेंटर थे.

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वर्ष 1947 में अंग्रेजो के जाने बाद भारत में करीब 32 आर्डिनेस फेक्ट्रियां थी, जहां हथियारों का निमार्ण किया जाता था. पश्चिमी देशों को छोड़कर विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश था, जहां इतनी संख्या में आयुध निर्माण कारखाने थे.
भारत में ये कारखाने अंग्रेजों के शासन काल में वर्ष 1882 से ही लगने प्रारम्भ हो गए थे. सोचो इतना सब होने के बाद भी भारत आज भी अपनी जरूरत का करीब 70 प्रतिशत रक्षा सामान आयात करता है. वहीं दूसरी और हमारा पड़ोसी देश चीन है जो कि आजादी के समय तक रक्षा क्षेत्र में हमसे काफी पीछे था आज काफी आगे निकल चुका है.

चीन जहां आज के 17 जैसे लड़ाकू विमान बना रहा है तो वहीं दूसरी ओर हम उसकी टक्कर का राफेल विमान फ्रांस से खरीदने जा रहे हैं.

वर्षों बाद भारत का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस बनकर तैयार हुआ है लेकिन उसे भी पूरी तरह स्वदेशी नहीं कहा जा सकता है. उसमें अमेरिकन कंपनी का इंजन लगा है. आज भारत के आप अपना एयर डिफेंस सिस्टम तक नहीं है. इसके लिए भी हम इजराइल पर निर्भर है.
ऐसा नहीं है कि हमारे पास यह सब करने की क्षमता नहीं थी या नहीं है. बल्कि भारत दुनिया में ताकतवर न बन सके इसके लिए विदेशी देशों ने जहां साजिश की वहीं हमारे देश की उस समय की लीडरशिप ने भी राष्ट्र निमार्ण की ओर ध्यान ही नहीं दिया. आज हम मिसाइल क्षेत्र हो या स्पेस तकनीक उसमें दुनिया को टक्कर दे रहें हैं.

लेकिन सैन्य क्षेत्र में हम बहुत पीछे है.

इसके लिए अगर जिम्मेंदार कोई है तो वह है हमारे देश के राजनेता जिन्होंने कभी राष्ट्र निमार्ण की और ध्यान ही नहीं दिया.

आजादी के बाद भारत सरकार अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से रूस पर निर्भर होकर बैठ गई. उसने रक्षा क्षेत्र में पंचवर्षीय जैसी छोटी येाजनाओं पर काम करके देश कर रक्षा तैयारियों का बेड़ा गर्क कर दिया. जबकि रक्षा तैयारियों के लिए दीर्घकालिक योजनाओं और बड़े विजन की आवश्यकता होती है.

खैर देर से ही लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने राष्ट्र निमार्ण की ओर तेजी से काम करना शुरू किया है, जो देशवासियों के लिए और देश की सुरक्षा के लिहाज से एक अच्छा संकेत है.

Vivek Tyagi

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