राजनीति

आज गोवा भी कश्मीर की तरह विवादास्पद होता अगर उस दिन रूस ने 99वां वीटों नहीं लगाया होता

अगर उस दिन रूस भारत का साथ नहीं देता तो गोवा भी जम्मू कश्मीर की तरह विवादास्पद बनने वाला था.

जिस प्रकार आज जम्मू कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र में लटका हुआ ठीक उसी प्रकार गोवा का भी मामला फंस सकता था. लेकिन इस बार नेहरू जी ने कश्मीर वाली गलती नहीं की और सेना को आगे बढ़ने दिया.

आपको बता दें कि गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चैथा सबसे छोटा राज्य है. पूरी दुनिया में गोवा अपने खूबसूरत समुंदर के किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिये जाना जाता है.

लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी गोवा 1947 में भारत की आजादी के बाद भी गुलाम ही था. गोवा पर अग्रेजों का नहीं बल्कि पुर्तगालियों का कब्जा था.

दरअसल, गोवा पुर्तगाल का एक उपनिवेश था. इस कारण पुर्तगाल ने इसे छोड़ने से मना कर दिया था.

अंग्रेजों को भारत छोड़े करीब 14 साल हो चुके थे. लेकिन गोवा पर पुर्तगाल का कब्जा बरकार था. जबकि भारत को सुरक्षा की दृष्टि से पुर्तगाल को अपने कब्जे में लेना बहुत जरूरी था.

भारत ने अनुरोध किया कि भारतीय उपमहाद्वीप में पुर्तगाली प्रदेशों को भारत को सौंप दिया जाए. लेकिन पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 साल पुराने कब्जे को छोड़ने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं पुर्तगाल ने अपने भारतीय परिक्षेत्रों की संप्रभुता पर बातचीत करना तक अस्वीकार कर दिया.

ऐसे में भारत ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद कराने के लिए एक सैन्य योजना बनाई. 19 दिसंबर 1961 में भारत ने गोवा को आजाद कराने के लिए पुर्तगालियों पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी.

भारत की इस सैन्य कार्रवाई का दुनिया के सभी बड़े देश विरोध करने लगे. क्योंकि उनकी नजर गोवा पर थी और देर सबेर वे गोवा को अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में थे.

जब गोवा की आजादी के लिए इन देशों ने भारत की सैन्य कार्रवाई के विरोध में मामला सुरक्षा परिषद में उठा दिया. ऐसे में भारत बैकफुट पर आ गया.

लेकिन इसी बीच गोवा की आजादी के लिए रूस ने भारत के समर्थन में एक ऐसा दांव चला कि पश्चिमी गुट के देश देखते ही रह गए. दिसम्बर 1961 में रूस ने भारत के पक्ष में 99वाँ वीटो लगा दिया.

जब सुरक्षा परिषद में युद्धविराम का प्रस्ताव लाया गया तो रूस ने इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया. उस वक्त रूस अगर ऐसा नहीं करता तो गोवा भी आज कश्मीर की तरह विवादित क्षेत्र होता.

आपको बता दे कि गोवा की आजादी के लिए भारत की इस कार्रवाई के बाद से पश्चिमी गुट के देशों की मनोदशा बिल्कुल भारत विरोधी हो गई थी. भारत से दोस्ती के कारण पश्चिमी मीडिया में रूस को संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में हर समय रोड़ा अटकाने वाले देश के तौर पर प्रचारित तक किया.

भारतीय सेना ने गोवा, दमन, दीव के भारतीय संघ में विलय के लिए ऑपरेशन विजय के साथ सैन्य संचालन किया और इसके परिणाम स्वरूप गोवा, दमन और दीव भारत का एक केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बना.

30 मई 1987 में केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित किया गया था और गोवा भारत का पच्चीसवां राज्य बनाया गया. जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश ही रहे.

Vivek Tyagi

Share
Published by
Vivek Tyagi

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago