शिक्षा और कैरियर

गर्ल्‍स स्‍कूल में पढ़ने वाली लड़कियों में होती हैं कुछ ऐसी खूबियां

गर्ल्‍स स्‍कूल – स्‍कूल लाइफ की बात ही कुछ और होती है। दोस्‍तों के साथ खूब मस्‍ती करना और जिंदगी की टेंशनों से दूर इस लाइफ का मजा ही अलग होता है। स्‍कूल टाइम पर बच्‍चे अपने बचपन को पीछे छोड़ किशोरावस्‍था में प्रवेश करते हैं और ऐसे में उन पर कई बातों का असर बहुत जल्‍दी पड़ जाता है।

मिडिल क्‍लास फैमिली में अमूमन लड़के और लड़कियों को अलग-अलग स्‍कूल में पढ़ाया जाता है यानि की लड़कों को ब्‍वॉएज़ स्‍कूल और लड़कियों को गर्ल्‍स स्‍कूल में। बड़े होने पर बच्‍चों को भले ही ये अहसास हो कि अगर वो को-एड स्‍कूल में होते तो ज्‍यादा बेहतर हो लेकिन असल में ऐसा नहीं है।

जी हां, अगर आपने अपनी बेटियों को गर्ल्‍स स्कूल में एडमिशन दिलवाया है तो आप बिलकुल सही हैं।‍ को-एड स्‍कूल में पढ़ने वाली लड़कियां गर्ल्‍स स्‍कूल की लड़कियों से काफी अलग और आगे होती हैं।

दोस्‍तों, आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं गर्ल्‍स स्‍कूल में पढ़ने वाली लड़कियों में क्‍या खूबियां होती हैं।

पढ़ने में रहता है दिमाग

अगर आप आज की जेनरेशन की बात करें तो अब स्‍कूल में ही बच्‍चे डेटिंग शुरु कर देते हैं। इनका ध्‍यान पढ़ाई में कम और आशिकी में ज्‍यादा होता है और जब लड़के-लड़कियां एकसाथ ही पढ़ते हों तो ऐसी बातों को और भी ज्‍यादा हवा मिलती है। जबकि गर्ल्‍स स्‍कूल में पढ़ने वाली लड़कियां ऐसी नहीं होती हैं। उनके घर का माहौल ही ऐसा होता है कि वो लड़कों पर कम और पढ़ाई पर ज्‍यादा ध्‍यान देती हैं।

लड़कों से लगता है डर

जी हां, ये सुनकर आपको भी हैरानी हो रही होगी कि भला अपनी उम्र के लड़कों से डर कैसा। आपको बता दें कि गर्ल्‍स स्‍कूल में पढ़ने वाली लड़कियों का लड़कों से बहुत कम ही सामना होता है और इसलिए उनके मन में लड़कों के प्रति एक डर सा बैठ जाता है। उन्‍हें लड़कों से बात करने में भी हिचक महसूस होती है। अगर कोई लड़का उन्‍हें प्रपोज़ भी कर दे तो वो डर के मारे उसका जवाब भी नहीं दे पाती हैं।

सीधी-सादी होती है छवि

गर्ल्‍स स्‍कूल में पढ़ने वाली लड़कियां स्‍कूल में आशिकी जैसे चक्‍करों से दूर ही रहती हैं और इस वजह से सभी उन्‍हें सीधी-सादी समझते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि गर्ल्‍स स्‍कूल में पढ़ने वाली सारी लड़कियां सीधी-सादी हों लेकिन हमारा मानना ये है कि लोग उन्‍हें इस नज़र से देखते हैं। उनके फोन में ना तो किसी लड़के का नंबर होता है और ना ही वो ज्‍यादा किसी से चैटिंग करती हैं क्‍योंकि उन्‍हें लड़कों से बात करने में ही हिचक महसूस होती है। कभी-कभी तो वो लड़कों के आगे बोल तक नहीं पाती है। उनके मन में एक अजीब सा डर या इनसिक्‍योरिटी रहती है। साथ ही इन्‍हें घर में भी ऐसी ही तालीम दी जाती है कि लड़कों से ज्‍यादा बात करना अच्‍छा नहीं होता है।

अगर आप भी गर्ल्‍स स्कूल में पढ़ी है तो हमें अपना अनुभव जरूर बताएं और साथ ही ये भी बताएं कि आपमें को-एड में पढ़ने वाली लड़कियों से क्‍या अलग बात है।

Parul Rohtagi

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