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कोहिनूर हीरे का शापित इतिहास महाभारत के ज़माने से आज तक!

कोहिनूर हीरा…. दुनिया का सबसे खूबसूरत श्राप

कोहिनूर हीरा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. ये हीरा भारत में आंध्रप्रदेश में गोलकुंडा की खानों में से निकाला गया था.

लेकिन ये हीरा कब और किसने निकाला था इसका कोई ठीक ठीक प्रमाण नहीं है. इस हीरे का सबसे पहले जिक्र 5000 साल पहले आया था.

आइये आज आपको बताते है कोहिनूर हीरे का शापित इतिहास महाभारत के ज़माने से आज तक.

संस्कृत ग्रंथों के अनुसार 5000 वर्ष पूर्व जामवंत ने जब अपनी पुत्री जामवंती का हाथ श्री कृष्ण  के हाथ में दिया था तो कृष्ण को उपहार स्वरूप एक बहुत बड़ा हीरा दिया था जिसका नाम स्वमंतक था . कहा जाता है कि ये हीरा ही कोहिनूर था.

इसी के साथ शुरू होती है इस हीरे के शापित होने की कहानी. मना जाता है कि इस हीरे को धारण करने वाला विशाल राज्य, सुख  प्राप्त करता है लेकिन कभी खुश नहीं रह पाता. अर्जुन के साथ भी ऐसा ही हुआ.

महाभारत के समय कृष्ण को अपने परिवारजनों के साथ ना सिर्फ युद्ध करना पड़ा बल्कि उनका वध भी करना पड़ा और कालान्तर में कृष्ण के साथ साथ उनका वंश भी समाप्त हो गया.

इसी के साथ शुरू होती है इस हीरे के शापित होने की कहानी. मना जाता है कि इस हीरे को धारण करने वाला विशाल राज्य, सुख  प्राप्त करता है लेकिन कभी खुश नहीं रह पाता. अर्जुन के साथ भी ऐसा ही हुआ. महाभारत के समय अर्जुन को अपने परिवारजनों के साथ ना सिर्फ युद्ध करना पड़ा बल्कि उनका वध भी करना पड़ा.

5000 साल पहले के वर्णन के बाद कोहिनूर का जिक्र इतिहास में अगले 4000 साल तक नहीं मिलता. 13वीं सदी तक ये हीरा मालवा के राजाओं के पास रहा. इस हीरे का नाम अब तक कोहिनूर नहीं रखा गया था.

1306 के बाद ये हीरा अलाउद्दीन खिलजी के पास था. उसके बाद ये हीरा समरकंद चला गया.जहाँ ये करीब 300 साल रहा. कोहिनूर कहा गया जिसका अर्थ होता है रौशनी का पहाड़. समरकंद में ही इस हीरे के शापित होने का पता चला. कहा जाता है कि इस हीरे पर श्राप था कि जो भी इस हीरे को धारण करेगा उसका अंत बुरा ही होगा.

पहले पहल कोहिनूर के शापित होने की बात को वहम माना गया

धीरे धीरे ये बात पुख्ता होती गयी कि इस हीरे के साथ कुछ ना कुछ  अपशकुन ज़रूर जुड़ा है.

काकतीय वंश ने जब इस हीरे पर अधिकार जमाया तो तुगल शाह के साथ युद्ध में हार गया और उसके बाद वंश का नाश हो गया. 13वीं सदी से लेकर 16 वीं सदी के बीच ये हीरा अलग अलग मुस्लिम बादशाहों के पास रहा और आश्चर्य की बात ये है कि उन सबका अंत बहुत बुरा हुआ.

शाहजहाँ ने ये हीरा अपने मयूर सिंहासन पर लगवाया.

उसके बाद से ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए. शाहजहाँ की बेगम मुमताज की मौत हुई और शाहजहाँ के अपने बेटे औरंगज़ेब ने उन्हें कैद कर दिल्ली सल्तनत हथिया ली.

शाहजहाँ के अंतिम दिन भी नज़रबंदी में गुजरे और उन्हें अपने बेटे के अत्याचारों को ताउम्र झेलना पड़ा 

नादिर शाह ने भारत पर आक्रमण कर एक तरह से मुगल सल्तनत को खत्म कर दिया

अपने साथ मयूर सिंहासन जिसे तख़्त ए ताउस का नाम दिया और हीरा अपने साथ पर्शिया वर्तमान ईरान ले गया.

वहां इस हीरे को  कोहिनूर कहा गया जिसका अर्थ होता है रौशनी का पहाड़ 1747 में नादिर शाह की हत्या हो गयी.

 महाराजा रणजीत सिंह कोहिनूर हीरे को फिर से भारत ले आये.

अफ़ग़ानिस्तान का राज देने की एवज में रंजीत सिंह को ये हीरा मिला. हीरा मिलने के कुछ समय के बाद महाराजा रणजीत सिंह की भी मृत्यु हो गयी और सिख साम्रज्य अंग्रेजों के अधीनस्त हो गया.

तब से लेकर अब तक ये हीरा ब्रिटेन में है. जब इस हीरे के श्राप का पता चला तो महारानी ने आदेश दिया कि ये हीरा सिर्फ महिलाएं ही ताज में धारण करे.

अगर कोई पुरुष ब्रिटेन की गद्दी संभालता है तो ये हीरा उसकी पत्नी को धारण करने को मिलेगा. इस तरह इस हीरे के श्राप को रोका गया.

ये थी दुनिया के सबसे खूबसूरत लेकिन जानलेवा हीरे कोहिनूर की कहानी. क्या आप जानते है ऐसी ही और शापित वस्तुओं के बारे में ? तो हमें बताइए.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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