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चियरलीडर्स के हंसते चेहरों के पीछे की ये कड़वी सच्चाई नहीं जानते होंगे आप !

चियरलीडर्स के हंसते हुए चेहरों के पीछे के दर्द – चियरलीडर्स के बारे में तो आप जानते हीं हैं.
नेशनल फुटबॉल लीग अमेरिका का बहुत हीं चर्चित और लोगों के बीच काफी पसंदीदा फुटबॉल लीग है. अमेरिका के नेशनल फुटबॉल लीग में 32 टीमें पार्टिसिपेट करती हैं. ये खेल जितना चर्चित है, उतनी हीं चर्चित हैं इस खेल की चियरलीडर्स. जिन्हें देखना लोगों के लिए काफी रोमांचक भरा होता है.
चियरलीडर्स लोगों के आकर्षण का केंद्र होती हैं. लेकिन इन्हीं चियरलीडर्स के हंसते हुए चेहरों के पीछे के दर्द को जब आप जानेंगे, तो आपको लगेगा कि वाकई में इनके साथ बहुत गलत हो रहा है.
चियरलीडर्स के हंसते हुए चेहरों के पीछे के दर्द –
१ – काम के बदले इन्हें मिलते हैं बहुत कम पैसे
चियरलीडर्स, जोकि फुटबॉल लीग के दौरान सभी खिलाड़ियों के साथ-साथ दर्शकों में उत्साह बढ़ाने का काम करती हैं, उन चियरलीडर्स को उनके इस सराहनीय काम के लिए बहुत हीं कम पैसे मिलते हैं. एक चीयरलीडर ने बताया कि उन्हें एक मैच के लिए सिर्फ 100 डॉलर दिए जाते हैं. और जब कभी टीमों के दूसरे कार्यक्रमों में इन्हें पार्टिसिपेट करना होता है या फिर प्रैक्टिस के दौरान उन्हें किसी भी तरह  का कोई  पैसा नहीं दिया जाता.
२ – कुछ टीमों की तरफ से कोई पैसा नहीं मिलता
फुटबॉल लीग में खेलने वाली कई टीमें हैं जो इन चियरलीडर्स को कुछ भी पैसे नहीं देते. जैसे – फ्लाइट क्रू, बेन-गल्स रायडेरेटीज और बुकानीर्स. दोस्तों बता दें कि इन चियरलीडर्स को सप्ताह में 6 से 15 घंटे प्रेक्टिस करने होते हैं. और इन प्रेक्टिस के बदले उन्हें किसी तरह की कोई आमदनी नहीं होती.
३ – फुल टाइम जॉब की कोई गारंटी नहीं होती
एक चियरलीडर का कहना था कि उन्हें सप्ताह में 3 दिन प्रेक्टिस करने होते हैं. और गेम के दिन उन्हें अपना परफॉर्मेंस देना होता है. साथ हीं उन्हें किसी चैरिटी या फिर कॉरपोरेट वाले इवेंट्स में भी परफॉर्म करना पड़ता है. लेकिन उसके बदले उन्हें कोई पैसा नहीं दिया जाता.
४ – फाइन लगने का डर भी रहता है
चियरलीडर्स के द्वारा अगर किसी तरह की कोई छोटी-मोटी गलती भी हो जाए, या फिर जब वे योगा का प्रैक्टिस करती हैंं तो उन्हें पैसे नहीं दिए जाते हैं.
५ – वजन कंट्रोल रखना पड़ता है
गेम के दौरान चुकी चियरलीडर्स दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होती हैं, इसलिए इन्हें अपनी खूबसूरती का खास तौर पर ध्यान रखना होता है. गेम स्टार्ट होने से पहले उन्हें अपने वजन चेक कराने होते हैं. अगर किसी का वजन अधिक हो जाए, तो उन्हें बैठा दिया जाता है. और उसके बदले उन्हें कोई पैसे नहीं दिए जाते. इतना हीं नहीं चियरलीडर्स के हर हिस्से की अलग जांच भी की जाती है.
६ – कई बार शर्मिंदा भी होना पड़ता है
कई बार ऐसा होता है कि जिस गाड़ी से  चियरलीडर्स को भेजा जाना होता है, उस गाड़ी में पुरुष भी होते हैं. जब उन्हें जल्दी घर पहुंचना होता है, तो चियरलीडर्स को पुरुषों की गोद में बैठकर भी जाना पड़ता है, जो उनके लिए काफी शर्मिंदगी वाली बात होती है.
ये है चियरलीडर्स के हंसते हुए चेहरों के पीछे के दर्द – इस तरह चियरलीडर्स के मेहनत के बदले उन्हें पैसे भी कम मिलते हैं. और कई बार तो उन्हें फ्री में भी काम करना पड़ता है. साथ हींं कई बार उनके साथ लोगों का व्यवहार भी अच्छा नहीं होता. चुकी दर्शकों और खिलाड़ियों का हौसला अफजाई करना हीं इनका जॉब है, सो हर हाल में इनके चेहरे पर एक आकर्षक मुस्कुराहट बनी रहती है.
Khushbu Singh

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