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मुलायम के छोटे बेटे और बहू अपर्णा के सीएम योगी से मुलाकात के पीछे का राज

अपर्णा यादव

कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करना तो कभी योगी आदित्यनाथ से गोरखपुर में उनके मंदिर में मुलाकात करना या फिर अब लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में नवनियुक्त मुख्यमंत्री से जाकर मिलना.

आखिर क्या है अपर्णा यादव की इन मुलाकातों का राज.

अपर्णा यादव ये सब शिष्टाचार के कारण करती है या फिर उसके पीछे उनकी कोई सियासी मजबूरी है.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे की पत्नी अपर्णा यादव ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. इस बार जब अपर्णा योगी से मिलने जब पहुंची तो उनके साथ पति प्रतीक यादव यानी मुलायम सिंह के छोटे बेटे भी थे.

इसके बाद सियासी हल्कों में कयासों का दौर शुरू हो गया.

यादव परिवार की छोटी बहू के इस कदम को लेकर सपा में ही नहीं बल्कि भाजपा में भी सुगबुगाहट है.

आपको बता दें कि पत्नी अपर्णा यादव लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने हरा दिया था.

बहराल, इन सबके बीच जो अहम सवाल है वह यह कि अपर्णा बीच बीच में जिस प्रकार भाजपा की ओर झुकाव के संकेत देती है उसके पीछे उनका मकसद क्या है.

क्योंकि राजनीति में कोई भी घटना यूं ही नहीं घटती है. इसलिए यादव परिवार की छोटी बहु भाजपा के नजदीक जाती दिख रही है या जाने का दिखावा कर रही है, उसके पीछे कोई न कोई वजह तो जरूर है.

जानकारों की माने तो इसके पीछे मुलायम परिवार का पारावारिक झगड़ा भी एक वजह हो सकती है. क्योंकि समाजवादी पार्टी पर जिस प्रकार मुलायम सिंह यादव के बड़े बेटे अखिलेश यादव का नियंत्रण है उससे भी अपर्णा की राजनीति महत्वाकांशाए पूरी होने में समस्याए आ रही हैं.

सूत्रों की माने तो प्रतीक यादव खुलकर भले ही न बोल रहे हों लेकिन उनके अंदर भी राजनीति महत्वाकांशा बलवती हो रही है. इसकी पुष्टि संकेतों में मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कर चुकी हैं.

यही वजह है कि जब जब मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक यादव को सपा की राजनीति में प्रवेश करने के लिए अंदखाने चल रही तैयारी के रास्ते रोके जाते हैं तब तब उनकी पत्नी अपर्णा यादव भाजपा की ओर झुकाव प्रदर्शित करके मुलायम सिंह और अखिलेश दोनों को ही संदेश देने का प्रयास करती है.

यदि उनके लिए पार्टी में कोई जगह नहीं बनाई गई तो उनके लिए भी राजनीति में विकल्प खुलें हैं. सपा में सम्मानजनक स्थान न मिलने पर अपर्णा अपने पति के साथ नहीं तो अकेले ही भाजपा का दामन थाम सकती है. यदि ऐसा हुआ तो सपा के लिए यह किसी राजनीतिक झटके से कम नहीं होगा.