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चलने का यह तरीका योग व जिम से भी ज्यादा फायदेमंद

चलने का तरीका

चलने का तरीका – आजकल की जनरेशन फिट रहने का रोना तो बहुत रोती है।

मगर यही जनरेशन पिछली जनरेशंस की तुलना में कई ज्यादा अनफिट है। युवाओं की दिनचर्या ऐसी हो गई है कि वो कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों से घिरने लगे हैं।

दरअसल फिजिकल एक्टिविटी की कमी व ज्यादातर वक्त बैठे रहने की वजह से युवा मोटापा, ब्लड प्रेशर व अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में वो खुद को फिट रखने के लिए जिम का सहारा लेते हैं। वो कई घंटे जिम में पसीना बहाकर खुद को शेप में रख रहे हैं।

इसके अलावा आज के युवाओं की योग में भी रूचि बढ़ने लगी है। योग गुरु बाबा रामदेव ने इतने अच्छे तरीके से ब्रांडिंग की है कि युवा नए-नए आसन सीखकर अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त कर रहे हैं।

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो जिम जाने या योग करने का सोचते तो बहुत है, लेकिन अपनी सोच को वो अमल में नहीं ला पाते। ऐसे लोगों के लिए एक आसान उपाय यह है कि वो पैदल चलकर भी फिट रह सकते हैं। दरअसल एक खास तरीके से चला जाए तो वो योग करने या जिम जाने से भी ज्यादा फायदा पहुंचाता है।

चलिए आपको बताते हैं क्या है वो खास चलने का तरीका –

चलने का तरीका – चलने के कई फायदे

चलने का तरीका

यह तो हम सभी जानते हैं कि मॉर्निंग वॉक करने व रात में खाना खाने के बाद घूमने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। एक स्टडी के अनुसार तो रोजाना 20 मिनिट चलने से मौत का खतरा कई प्रतिशत तक कम हो जाता है।

चलने का तरीका

इतना ही नहीं पैदल चलने से दिल स्वस्थ रहता है और दिल की बीमारियों का खतरा 40% तक कम होता है। जब आप प्रकृति के बीच चलते हैं तो आपकी बॉडी में गुड हार्मोन्स बनते हैं और तनाव दूर होता है। इसके अलावा पैर व घुटनों की मांसपेशियां तो मजबूत होती ही है।

मगर यदि आप नीचे बताए जा रहे खास तरीके से चलेंगे तो आपके लिए फायदे और बढ़ जाएंगे।

तेज चलने से होता है फायदा

चलने का तरीका

हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि धीमे के बजाए औसत गति से चलने से दिल से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौत का खतरा 20% तक कम हो जाता है। जबकि तेज चलने से मृत्युदर में 24% तक की कमी आ जाती है।

कैंसर पर नहीं असर

चलने का तरीका

रिसर्च से जुड़े एक सूत्र का कहना है, “ लिंग या बॉडी मास इंडेक्स का परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि एवरेज या फ़ास्ट स्पीड से चलने का दिल संबंधी व अन्य बीमारियों से होने वाली मृत्यु के खतरे को कम करने से जरूर संबंध था। हालांकि कैंसर से होने वाली मौतों पर इस गति से चलने से कोई प्रभाव होता है या नहीं इसका कोई सबूत नहीं मिला।”

क्या होती है तेज गति?

चलने का तरीका

एक्सपर्ट्स के अनुसार 5-7 किलोमीटर/घंटा की गति से चलना तेज चलना माना जाता है, परंतु असल में यह चलने वाले के फिटनेस लेवल पर भी निर्भर करता है।

इसे जानने का दूसरा तरीका यह है कि उस गति से चला जाए कि वॉक खत्म होने तक पसीना आने लगे या सांस फूलने लग जाए।

चलने का तरीका

टीम को पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में पब्लिक हेल्थ से जुड़े मैसेज व कैंपेन आदि में चलने की गति पर भी ध्यान दिया जाएगा।

ये है बेस्ट चलने का तरीका – तो यदि आप फिट रहना चाहते हैं तो रोज सुबह धीरे नहीं बल्कि तेज या कम से कम औसत गति में चलने निकल जाइए।