ENG | HINDI

शनिवार को पीपल के पड़े की पूजा करने के पीछे है ये कारण !

पीपल के पड़े की पूजा

पीपल के पड़े की पूजा – शनिवार के लिए अक्सर आपने महिलाओं को शनि देव को तेल चढ़ाते और पीपल के पेड़ में जल डालते और उसकी पूजा करते हुए देखा होगा.

आपको भी कई बार कुछ परेशानी आने पर पंडित ने शायद कहा होगा कि आपका शनि भारी है, तो पीपल के पड़े में जल डाले और दीपक जलाए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है?

चलिए, हम बताते हैं पीपल के पड़े की पूजा.

शनिवार को पीपल के

दरअसल, माना जाता है कि पीपल के पड़े की पूजा करने से शनि महाराज प्रसन्न होते हैं और जिन लोगों को शनि दोष होता है उन्हें इसके कुप्रभाव से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन पीपल के पेड़ की पूजा करने के पीछे की वजह बहुत दिलचस्प है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय स्वर्ग पर असुरों का शासन था. कैटभ नाम का राक्षस पीपल वृक्ष का रूप धारण करके यज्ञ को नष्ट कर देता था. जब भी कोई ब्राह्मण समिधा के लिए पीपल के पेड़ की टहनियां तोड़ने पेड़ के पास जाता तो यह राक्षस उसे खा जाता. ऋषिगण समझ ही नहीं पा रहे थे कि ब्राह्मण कुमार कैसे गायब होते चले जा रहे हैं.

शनिवार को पीपल के

ऋषिगण सूर्यपुत्र शनि देव के पास सहायता मांगने गए.

शनिदेव ब्राह्मण बनकर पीपल के पेड़ के पास गए. कैटभ ने शनि महाराज को पकड़ लिया. इसके बाद शनि और कैटभ में युद्ध हुआ. शनि महाराज ने कैटभ का वध कर दिया. ऋषियों ने शनि की पूजा अर्चना की. शनि महाराज ने ऋषियों को कहा कि आप सभी भयमुक्त होकर शनिवार के दिन पीपल के पड़े की पूजा करें इससे शनि की पीड़ा से मुक्त हो जाएगा.

दूसरी कथा के अनुसार भगवान शिव के अवतार थे ऋषि पिप्लाद. बचपन में ही इनके माता-पिता की मृत्यु हो गई. बड़े होने इन्हें पता चला कि शनि की दशा के कारण ही इनके माता-पिता को मृत्यु का सामना करना पड़ा. इससे क्रोधित होकर पिप्लाद तपस्या करने बैठ गए. ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके उनसे ब्रह्मदंड मांगा और शनि देव की खोज में निकल पड़े. इन्होंने शनि देव को पीपल के वृक्ष पर बैठा देखा तो उनके ऊपर ब्रह्मदंड से प्रहार किया.

शनिवार को पीपल के

इससे शनि के दोनों पैर टूट गये. शनि देव दुखी होकर भगवान शिव को पुकारने लगे. भगवान शिव ने आकर पिप्पलाद का क्रोध शांत किया और शनि की रक्षा की. इस दिन से ही शनि पिप्पलाद से भय खाने लगे. पिप्लाद का जन्म पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ था और पीपल के पत्तों को खाकर इन्होंने तप किया था इसलिए ही पीपल के पड़े की पूजा करने से शनि का अशुभ प्रभाव दूर होता है.

भारतीय संस्कृति में पीपल के पेड़ को देववृक्ष भी कहा जाता है. पीपल के पड़े की पूजा करने से शनि दोष से तो मुक्ति मिलती ही है, साथ ही माना जाता है कि उससे लंबी उम्र और समृद्धि भी मिलती है. शनिवार के दिन दीये में सरसों का तेल और काला तिल डालकर पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं और पेड़ की 7 परिक्रमा करें, इससे शनि का प्रभाव खत्म हो जाएगा.

शनि के प्रभाव से यदि आपके जीवन में भी मुश्किलें आ रही हैं, तो हर शनिवार पीपल के पड़े की पूजा करें, यकीनन आपकी मुश्किलें कम हो जाएंगी.