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आज़ादी के जश्‍न में क्‍यों शामिल नहीं हुए थे गांधीजी !

महात्‍मा गांधी जी

आज भारत को आजाद हुए 69 साल हो चुके हैं।

देश को आजाद‍ी दिलाने में महात्‍मा गांधी जी ने अहम भूमिका निभाई है। उन्‍होंने ही देश में स्‍वाधीनता आंदोलन का नेतृत्‍व करके अंग्रेजों के खिलाफ ऐसी नीति बनाई की देश को आजादी मिल गई। परन्‍तु जब देश को 15 अगस्‍त 1947 को आजादी मिली तो महात्‍मा गांधी इस उत्‍सव में शामिल नहीं हुए थे।

स्‍वंतत्रता दिवस से पूर्व से जुड़ी हम आपको कुछ ऐसी बाते बतातें हैं जिन्‍हें पढ़कर आप भी हैरान हो जाएगें।

जिस आजाद देश का सपना महात्‍मा गांधी जी ने देखा था वो जब उनको प्राप्‍त हुआ लेकिन तब वह उस जश्‍न को मनाने की जगह दिल्‍ली से हाजारों किलोमीटर दूर बगांल के नोखाअली में थे। उस समय हिदुंओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिेंसा को सुलझाने के लिए तथा इसका विरोध करने के लिए गांधी जी अनशन पर बैठे थे।

15 अगस्‍त को आजादी की घोषणा करने के लिए जवाहर लाल नेहरू और वल्‍लभ भाई पटेल ने महात्‍मा गांधी जी को खत लिखा कि‍ 15 अगस्‍त को हमारा पहला स्‍वाधीनता दिवस होगा। आप देश के राष्‍ट्रपिता हैं इसलिए इस खुशी के अवसर में शामिल होकर आशीर्वाद दें। इस खत का जवाब गांधी‍ जी ने कुछ ऐसे कहते हुए दिया था क‍ि जब हिंदु मुस्लिम एक दूसरे की जान लेने पर तुले हैं, ऐसी स्थिति में मैं जश्‍न में शामिल कैसे हो सकता हूं। मैं दंगा रोकने के लिए अपनी जान भी दे सकता हूं।

आज जो हम 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस मनाते हैं वह गांधी जी के संघर्ष और मेहनत का ही नतीजा है।

आजादी मिलने के बावजूद भी महात्‍मा गांधी जी देश को बांटना नहीं चाहते थे। वह चाहते थे हिंदू और मुसलमानों के बीच बंटवारा ना हो और हिंदुस्‍तान में शांति कायम रहे। लेकिन अंग्रेज़ो की फूट के कारण भारत का बंटवारा हो गया और पाकिस्‍तान के नाम से नया देश बना। हम सिर्फ सोच ही सकते हैं कि उस समय महात्‍मा गांधी जी को इतने दंग और कत्‍लेआम देखकर कितना दुख हुआ होगा ।