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लैला-मजनू के अमर प्रेम की निशानी है ये मज़ार जहाँ बरसता है सिर्फ प्यार !

लैला-मजनू

लैला-मजनू – जब भी इस दुनिया में कही मोहब्बत का जिक्र होगा तो लैला और मजनू का नाम बड़े ही शान से लिया जायेगा।

क्योंकि मोहब्बत करने वालो के लिए लैला और मजनू आज भी किसी खुदा से कम नहीं है। इस दुनिया में मोहब्बत को जिंदा रखने के लिए कई प्रेमी जोड़ो ने कुर्बानियां दी है, और इन्ही प्रेमी जोड़ो में से एक है लैला-मजनू।

लैला और मजनू सैकड़ों साल पहले ही मोहब्बत का ऐसा पाठ पढ़ा गए है कि आज भी उनकी मोहब्बत की खुशबू बरक़रार है।

लैला-मजनू

अक्सर कई लोग लैला-मजनू को काल्पनिक कैरेक्टर समझते है। लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है ये कोई फ़िल्मी कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। आज भी भारत और पाकिस्तान की सरहद पर इन दोनों की मज़ार बनी हुई है और हर साल यहाँ पर दोनों ही देशों से भारी संख्या में प्रेम के पुजारी आते है।

ये मज़ार राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में स्थित है जहाँ से पाकिस्तान की दूरी सिर्फ 2 किमी रह जाती है।

ऐसी मान्यता है कि लैला-मजनू सिंध प्रान्त के रहने वाले थे, लेकिन उनकी मौत यहीं पर हुई थी। कहा जाता है कि जब लैला के भाई को इन दोनों के इश्क के बारे में पता चला तो उसने मजनू को बड़े ही क्रूर तरीके से मौत के घाट उतार दिया। जब लैला को इस बात का पता चला तो उससे ये सदमा बर्दाश्त नही हुआ और मजनू के शव के पास ही लैला भी अपनी जान दे दी।

वहीं कुछ लोगो का मानना है कि लैला-मजनू घर से भाग गए थे और समाज और परिवार वालो की बेरुखी के चलते उन दोनों ने आत्महत्या कर ली थी।

ये कहानी आज से सैकड़ो साल पहले की जब प्रेम को गुनाह समझा जाता था। तब एक अरबपति शाह अमीरी के बेटे मजनू और लैला नाम की लड़की के बीच मरते दम तक प्रेम चला और आखिर इस कहानी का बड़ा ही दुखद अंत हुआ। इतना ही नहीं इन महान प्रेमियों को सम्मान देने के लिए भारतीय सेना ने भी बॉर्डर पर एक पोस्ट को मजनू पोस्ट नाम दिया है। हर साल 15 जून को लैला-मजनू की मज़ार पर दो दिन का मेला लगता है जिसमें बड़ी संख्या में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के प्रेमी और नवविवाहित जोड़े आते है और अपने सफल वैवाहिक जीवन की कामना करते है।

कुछ भी कहिये लेकिन प्यार के लिए अपनी जिंदगी को हँसकर कुर्बान करने वाले लैला-मजनू आज भी प्यार करने वालों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

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