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चक्रवाती अशोक से भी महान था ये राजा, जानिए इस राजा की कहानी

राजा कनिष्क प्रथम

राजा कनिष्क प्रथम – आपने चक्रवाती अशोक की कहानियां तो बहुत पढ़ी होंगी।

अशोक पर फिल्में भी बहुत देखीं होंगी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अशोक भारत के सबसे महान राजा थे। लेकिन आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे राजा के बारे में जो अशोक से भी ज्यादा पराक्रमी और शूरवीर था। लेकिन इस राजा को भारत के लोगों ने भुला दिया। इस राजा के बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे। लेकिन इस राजा ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी राज किया है।

आइए आपको बताते हैं कौन है वो राजा जो अशोक से भी था महान।

कुषाण वंश का राजा कनिष्क प्रथम:

राजा कनिष्क प्रथम कुषाण वंश के थे। कनिष्क ने 78 ईस्वी में राजगद्दी संभाली थी लेकिन दावा ये भी किया जाता है कि वो 127 ईस्वी में राजा बने थे। कनिष्क ने अपनी नीति और शक्ति के दम पर दुनिया के कई देशों में राज किया। कनिष्क का साम्राज्य अफगानिस्तान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कश्मीर से लेकर पटना तक फैला था। कश्मीर में तो कनिष्क के नाम पर शहर भी था जिसे कनिष्कपुर के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि आज भी शहर में स्तूप का कुछ हिस्सा बाकी है। कनिष्क ने अपने नाम से सोने के सिक्के भी चलाए थे। सिक्कों में भारत, ग्रीज, ईरान के देवी-देवताओं के चित्र भी थे। काबुल में कनिष्क का म्यूजियम भी था जिसे बाद में आतंकियों ने बम से उड़ा दिया था।

राजा कनिष्क प्रथम ने अपना लिया था बौद्ध धर्म:

विदेश से भारत आए राजा कनिष्क प्रथम ने बौद्ध धर्म अपना लिया था। धर्म को लेकर कनिष्क ने कश्मीर में एक बैठक भी की थी। इस बैठक में अश्वघोष, वसुमित्र ने हिस्सा लिया था। बैठक के बाद बौद्ध धर्म हीनयान और महायान में दो भागों में बंट गया था। कनिष्क ने महात्म बुद्ध की कई शानदार मूर्तियां भी बनवाईं। बुद्धिस्ट किताबों में अशोक की ही तरह कनिष्क राजा का भी जिक्र किया जाता है। कहा जाता है कि कनिषिक भी पहले बहुत गुस्सैल और अड़ियल किस्म का राजा था लेकिन बौद्ध धर्म अपनाने के बाद वो बदल गया।

हालांकि भारत में राजा कनिष्क प्रथम को बहुत ही कम लोग जानते हैं। लेकिन अगर हम इतिहास को खंगालें तो आज भी कनिष्क को राजाओं का राजा कहा जाता है। कनिष्क ने दुनियाभर में राज किया है और उनका साम्राज्य दूर-दूर तक था। हालांकि बाद में अशोक की लोकप्रियता और उनकी महानता के किस्सों के कारण कनिष्क इतिहास में सिमटते चले गए। हालात यहां तक आ गए कि कनिष्क को दुनिया भूल ही गई। लेकिन कुछ भी हो इतिहास हमेशा कनिष्क को एक शूरवीर के रूप में ही याद रखेगा।