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सब्जी बेचने वाली माँ का बेटा जिसने खेला फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप!

जैकसन सिंह

भारत की मेजबानी में चल रहे फीफा वर्ल्ड कप में भारत भले ही टूर्नामेंट के अपने तीनों मैच हारकर बाहर हो गया है.

लेकिन भारत का फीफा में खेलना ही इतिहास रचने जैसा है क्योंकि अब तक कोई भी भारतीय टीम फीफा वर्ल्ड कप नहीं खेल पाई थी. वैसे इस पूरे फीफा वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से कोई खिलाड़ी गोल करने में सफल रहा तो वो कोई और नहीं जैकसन सिंह ही थे. जैकसन भारतीय फूटबाल इतिहास के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी बन गए जिन्होंने फीफा में गोल किया है.

इसलिए आज हम आपको जैकसन सिंह के बारे में दिलचस्प बातें बताने जा रहे है.

जैकसन सिंह को फुटबॉलर बनाने में उनकी माँ ने कड़ा संघर्ष किया है. जब जैकसन के पिता की नौकरी चली गई तो पूरे परिवार की जिम्मेदारी जैकसन की माँ पर आ गई. जैकसन की माँ ने सब्जी बेचकर इस कठिन हालात में परिवार को संभाला. अपने परिवार की ऐसी हालत होने के बाद भी जैकसन का फुटबॉल को लेकर जुनून कम नहीं हुआ. निरंतर प्रयास और माँ के सपोर्ट से जैकसन आज भारतीय फुटबॉल टीम का हिस्सा है और वे मिडफील्डर के रूप में भारतीय टीम में खेलते है.

जैकसन मूल रूप से मणिपुर के थोउबल जीके के हाओखा ममांग गाँव के है. जैकसन के पिता कोंथुआजम देबेन सिंह को 2015 में पक्षाघात की वजह से अपनी पुलिस की नौकरी छोड़नी पड़ी. उनके परिवार का खर्च माँ इंफाल के ख्वैरामबंद बाज़ार में सब्जी बेचकर चलाती है, जो उनके घर से 25 किलोमीटर दूर है.

जब जैकसन से एक बार उनके परिवार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ‘पिता की नौकरी जाने के बाद घर चलाने की जिम्मेदारी माँ पर आ गई, मेरी माँ और नानी इंफाल में सब्जी बेचती है और इसी से हमारा घर चलता है. जैकसन आगे बताते है ‘मैं बचपन से भारत के लिए खेलने के सपने देखता आया हूँ और अब मेरी जिंदगी बदल गई है. मैं विश्व कप में भारत की जर्सी पहनकर खेलने वाला हूँ. हालाँकि मैं अपने परिवार की स्थिति को लेकर भी चिंतित हूँ.

दोस्तों अगर सच्ची लगन और कड़ी मेहनत से प्रयास किया जाए तो दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हासिल नहीं किया जा सकता है. जैकसन सिंह की कहानी सपने देखने और उसे पूरे करने की कहानी है.