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पापा तो है सुपरमैन.. हम सब है पापा के फैन

आपने सुपर मैन देखा है?

पैदा होने से लेकर आज तक कौन है जो हमेशा आप की हर ख़ुशी और दुःख में शामिल है.

चाहे कुछ ना बोलो फिर भी सब समझ जाते है. कभी कभी ऊपर से कठोर दिखते है पर अन्दर से एकदम कोमल. जी हाँ ठीक समझा वो सुपर मैन है पापा और हम सब है पापा के फैन.

याद है बचपन में जब मां दुलार करती थी तो घोड़ा बन कर पीठ पर कौन बैठाता था.हाथ पकड़ कर स्कूल छोड़ने कौन ले जाता था.

मम्मी जब कभी डांट देती थी तो चुपके से आइसक्रीम खिलाने कौन ले जाता था.

फिर जब थोड़े बड़े हुए तो किसने सिखाई साइकिल. याद है जब पहली बार डरते डरते साइकिल पर बैठे थे और पापा पीछे से पकड़ कर साइकिल के साथ साथ दौड़ लगाते थे. कभी कोई शिकायत नहीं की, कि थक गया या फिर तुम क्यूँ नहीं सीख रहे साइकिल चलाना.

जब साइकिल से गिर जाओ तो थोडा डांटते फिर हौंसला बढ़ाते की कोई बात नहीं मेहनत करते रहो, एक दिन साइकिल क्या जिंदगी की हर उठापटक को भी झेलना सीख जाओगे.

ना जाने ऐसे कितने ही जिंदगी के छोटे बड़े फलसफे पापा सीखा देते है बातों बातों में ही.

अपनी बिटिया को दुनिया में शायद ही कोई हो जो माँ और पापा से ज्यादा प्यार करता हो.

मां तो फिर भी कभी कभी डांट डपट देती है, ये करो ये ना करो, ये पहनों ये ना पहनों. पर पापा , पापा तो पलकों पर बैठा कर रखते है अपनी परी को.

हर इच्छा पूरी करना, हमेशा हर घडी सहारा बन कर साथ देना. जो बात किसी से ना कह सके वो कितनी आसानी से पापा को कह सकते है.

जवान होने पर कभी कभी पापा से दूरियां बढ़ जाती है, लगने लगता है कि वो अब हमें समझते नहीं है, पर ये एकदम गलत है, जितना एक पिता समझता है उतना हमें कोई नहीं समझ सकता.

घर और  कामकाज की चिंता, आपके भविष्य की चिंता क्या क्या नहीं है जो ला सकता है उनके माथे पर शिकन पर कितनी भी समस्या से जूझ रहे हो, अपने बच्चों के सामने हमेशा मुस्कुराते रहते है.

ना जाने उनकी कितनी ही इच्छाएं होती है अपने बच्चों के लिए पर बच्चों की ख़ुशी के लिए वो अपनी हर इच्छा कुर्बान कर देते है. हर कदम पर साथ देते है और लड़खड़ा जाने पर सहारा.

एग्जाम में फेल हो जाएँ या ढंग का काम ना मिले, थोड़ी सी झिड़क के बाद पापा इस सँभालते है, प्रेरणा देते है फिर से तैयार होने की.

हॉस्टल हो या कॉलेज जितनी स्टाइल मारनी है, गर्लफ्रेंड को घुमाना है, दोस्तों के साथ पार्टी करनी है. पैसा कम है तो बस एक ही इलाज है पापा को फ़ोन करो.

हम चाहे लाख झूठ बोले कि किताबों के लिए या  ट्यूशन के लिए पैसे चाहिए और बिना देर किये पापा पैसे भेज देते है. वो जानते है कि हम बहाना कर रहे है पर वो ये भी जानते है कि ये दिन है ये सब करने के.

हम कितने भी बड़े हो जाये पापा के तो हमेशा बच्चे ही रहते है. शादी काम काज में व्यस्त हो जाते है और माँ से तो बात होती रहती है रोज़ पर पापा से बात करने से पहले सोचने लगते है कि क्या बात करेंगे उनसे.

पर यही वो वक्त होता है जब पापा को सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है हमारी. वो भी चाहते है हम से अपने अनुभव बांटना एक अभिवावक की तरह नहीं एक दोस्त की तरह.

ये तो बस कुछ ही बातें और यादें है पापा से जुड़ी हुयी लिखने बैठे तो जिंदगी और स्याही दोनों ही कम पड़ेगी पापा के बारे में लिखने के लिए.

हर बेटे का आदर्श और हर बेटी का सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाले पापा ही तो होते है.

उनको दिखाना नहीं आता कि वो कितना प्यार करते है पर कभी महसूस करके देखो , हमारी हर ख़ुशी में सबसे ज्यादा खुश और हमारे मुश्किल वक्त में हमें सबसे ज्यादा सहारा देने वाले पापा ही होते है.

और कोई भरोसा करे ना करे जिस पापा के लिए उनकी संतान से बढ़कर कुछ नहीं होता, उनकी जिंदगी सुख चैन से बीते इसके लिए वो अपनी जिंदगी की हर ख़ुशी को कुर्बान कर देते है.

और कभी कभी ऐसा वक्त आता है कि वो संतान जिसके लिए माँ बाप ने पूरी जिंदगी लगा दी वही संतान अपने देव तुल्य माता पिता को तन्हा छोड़ देते है उस वक्त में जिसमे उन्हें अपनी संतान की सबसे ज्यादा जरुरत होती है.

इस फादर्स डे पर कोई ज़रूरी नहीं महंगे कार्ड और उपहार की बस  पापा को एक बार गले से लगाकर कहिये कि आप उन्हें कितना प्यार करते है और उनका कितना सम्मान करते है.

हो सके तो कुछ वक्त बिताइये उनके साथ कहीं घुमने जाइये, या बहार खाने या फिर हर वो चीज़ करिए जो वो हमेशा करना चाहते थे पर कभी समय की कमी या जिम्मेदारियों की वजह से कर ना पाये.

आपके लिए जिसने पूरी जिंदगी दे दी उन्हें अब दीजिये कुछ खुशनुमा यादों के उपहार.

और हाँ अगली बार ये ना कहना कि सुपरमैन नहीं देखा…
अगली बार कहना मेरे पापा सुपरमैन .

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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