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शहरों में रहने वाली लड़कियों की क्‍यों आ रही हैं मूंछें

लड़कियों के चेहरे पर बाल

लड़कियों के चेहरे पर बाल – लड़कियों को सौम्‍यता और सुंदरता का प्रतीक माना जाता रहा है लेकिन अब पुरुषों की बराबरी करने के चक्‍कर में लड़कियों में ये सब कुछ गुम होता जा रहा है।

देखने में आ रहा है कि अब शहरों में लड़कियों के चेहरे पर बाल आने लगे हैं। ठोड़ी और अपर लिप पर लड़कियों को अब अनचाहे बालों की शिकायत होने लगी है। कुछ लड़कियां अभी इससे अछूती हैं लेकिन 10 में से लगभग 2 या 3 लड़की इस परेशानी से ग्रस्‍त है।

रिसर्च है क्‍या कहना 

कुछ समय पहले हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि प्रदूषण की वजह से लड़कियों के पीरियड्स अनियमित हो रहे हैं और इस वजह से उनके हार्मोंस गड़बड़ा रहे हैं। जब हार्मोंस असंतुलित होते हैं तो चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल आने लगते हैं।

लड़कियों के चेहरे पर बाल के पीछे क्‍या है वजह

नौकरी करने और घर संभालने के चक्‍कर में लड़कियां अपनी सेहत का ध्‍यान नहीं रख पाती हैं और इस वजह से उन्‍हें मॉडर्न लाइफस्‍टाइल की बीमारियां घेर रही हैं।

आजकल लड़कियों को सबसे ज्‍यादा परेशान कर रही पीसीओडी की बीमारी।

इस बीमारी का शिकार अधिकतर शहरों में रहने वाली लड़कियां ज्‍यादा होती हैं क्‍योंकि उन्‍हें नौकरी भी करनी है और घर भी संभालना है और शहर का वातावरण उन्‍हें स्‍वस्‍थ रहने की इज़ाजत नहीं देता। मेट्रो शहरों में इतना ज्‍यादा प्रदूषण होता है कि महिलाओं को कई तरह के रोग हो जाते हैं।

पीओडी की बीमारी तनाव, काम के बोझ, प्रदूषण, मॉडर्न लाइफस्‍टाइल के कारण होती है। इसमें महिलाओं को इंफर्टिलिटी की समस्‍या से जूझना पड़ सकता है।

आइए जानते हैं क्‍या होता है पीसीओडी।

जिन लड़कियों को माहवारी एक या दो महीने से अधिक समय तक नहीं आती उन्‍हें पीसीओडी होने की संभावना रहती है। इस बीमारी में महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब में अंडे फूटकर चिपक जाते हैं और कुछ समय बाद ये सिस्‍ट का रूप ले लेते हैं।

पीसीओडी के लक्षण

पीरियड्स का ना आना या रूक-रूक कर आना, चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल आना, थकान और कमज़ोरी महसूस होना, चिड़चिड़ापन और तनाव.

मेट्रो शहरों में 10 में से 3 लड़कियां इस बीमारी से ग्रस्‍त हो रही हैं।

अगर समय रहते इसका ईलाज ना करवाया जाए तो ये भयावह रूप ले सकती है। गाइनेकोलॉजिस्‍ट से सलाह लेकर उचित दवाओं और व्‍यायाम एवं संतुलित आहार से इस बीमारी को खत्‍म किया जा सकता है और लड़कियों के चेहरे पर बाल को रोका जा सकता है ।

मेट्रो शहरों का वातावरण ही ऐसा हो गया कि यहां रहने वाले लोग बड़ी तेजी से किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लड़कियों को अपनी लाइफस्‍टाइल में सुधार लाने की जरूरत है तभी इस बीमारी से लड़ा जा सकता है।

गांवों में लड़कियों में ये समस्‍या कम देखने को मिलती है क्‍योंकि वहां पर प्रदूषण बहुत कम है और गांवों में अमूमन खेतों से ताजी सब्जियां खाने को मिलती हैं जबकि शहर में आते-आते वो सब्जियां कई तरह के केमिकल्‍स में डूबकर आती हैं।

प्रदूषण की वजह से पीसीओडी की बीमारी बढ़ रही है और इस बीमारी के कारण लड़कियों के चेहरे पर बाल आने लगे हैं, मूंछे आने लगी है । अगर आपको अपने शरीर पर पीसीओडी का कोई लक्षण नज़र आता है तो तुरंत गायनेकोलॉजिस्‍ट से संपर्क करें।