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चुनाव गुजरात में फिर सियासत अमेठी में क्यों? वजह है बड़ी अजीब !

अमेठी की सियासत

अमेठी की सियासत – जल्द गुजरात में चुनाव होने वाले है। जिसके प्रचार प्रसार की तैयारी राजनितिक पार्टियां जोरो शोरो से कर रही है ।

सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों में वाद विवाद में एक दूसरे पर तंज भी तेज हो गए हैं। लेकिन आम लोग और मीडिया इस बात को लेकर सोच में डूबी हुई है। गुजरात में चुनाव में होने वाले हैं। फिर अमेठी पर सियासत क्यो हो रही है।

दरअसल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों कई बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं। और जल्द 22 अक्टूबर के बाद दोबारा गुजरात का  दौरा  करने वाले हैं । लेकिन वही दूसरी तरफ  सत्ताधारी पार्टी भाजपा कांग्रेस को उसके तीखे तंज का जवाब कांग्रेस के गढ़ अमेठी से दे रही है। हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह  ने स्मृति ईरानी , यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ सहित राजनीति की हुंकार लगाते हुए कांग्रेस को ललकारा ।

आपको बता दें गुजरात जहाँ बीजेपी का गढ़ माना जाता है वही दूसरी तरफ अमेठी कांग्रेस का गढ़ है ।

2014 के चुनावों में कांग्रेस भले ही बुरी तरह से हार गई थी । लेकिन अपना गढ़ बचाने में कामयाब हुई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने  अपनी दिग्गज नेता स्मृति ईरानी को अमेठी से उतारा था। चुनावों में मोदी लहर देखते हुए और कांग्रेस के लिए फैलती नेगेटिविटी के चलते माना जा रहा था कि कांग्रेस अपना गढ़ भी नहीं बचा पाएगी

हालांकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ के कारण अपना गढ़ बचाने में कामयाब रहे । लेकिन हार का मार्जिन बहुत कम था । अगर दूसरे शब्दों में कहे तो राहुल गांधी हारते हारते बचे थे । स्मृति ईरानी हार के बावजूद भी अमेठी का दौरा करती रही और लोगो को विश्वास दिला रही है कि वो अमेठी की बदहाली को बदलकर विकास की लहर लाएंगी। स्मृति ईरानी ने हाल ही में कांग्रेस पर तंज कसते हुए ये तक कह दिया कि अब अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा ही नहीं । भाजपा जहाँ अमेठी की बदहाली को लेकर कांग्रेस को लेपट रही है तो राहुल गांधी कहाँ पीछे रहने वाले हैं । गुजरात में राहुल गांधी का ‘विकास पागल हो गया ‘ कैंपन सीधा- सीधा गुजरात में भाजपा के किए विकास की रिपोर्ट मांग रहा है।

लेकिन अगर तुलना की जाए गुजरात और अमेठी की तो गुजरात अमेठी के मुकाबले कही ज्यादा विकसित राज्य है और पीएम नरेंद्र मोदी साल में एक -दो बार गुजरात का दौरा जरुर करते हैं। जब कि कांग्रेस को अमेठी अक्सर चुनाव में ही याद आता है।  अमेठी शुरू से ही केवल राजनीतिक पार्टियों के बीच में पीसता रहा है और यही कारण है कि आज भी गुजरात पर बहस करने की बजाय राजनीतिक पार्टियाँ अमेठी के विकास को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। खैर, अमेठी न केवल गुजरात चुनावों में बल्कि 2019 के लोकसभा तक सुर्खियों में रहेगा । क्योंकि ये कांग्रेस की सबसे बङी कमजोरी है, जो धीरे धीरे उजागर हो रही है। इसका फायदा भाजपा बखूबी उठा रही है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि  गुजरात मे दलितों के मुद्दों को या फिर युवा को नौकरी देने के वादे को भुलाया जा सकता है।जो गुजरात की कमियां हैं।

“कहते हैं राजनीति में लोग किसी के जनाजे में भी मुफ्त  में नहीं जाते ये तो राजनीतिक गढ़ है । “

ये है अमेठी की सियासत – बरहाल अमेठी में विकास भाजपा का गुजरात की कमियों से ध्यान भटकाने का तरीका है या फिर भाजपा इस गढ़ की कोई ओर कहानी लिखना चाहती है।

अमेठी की सियासत का नतीजा तो आने वाला  समय ही बताएगा।