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कुलभूषण जाधव के लिए संजीवनी साबित हो सकता है ये पाकिस्तानी

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब

पाकिस्तान की कैद में भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के बचाव के लिए उसके ही देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई का ही एक पूर्व अधिकारी महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता है.

कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान में रहकर जासूसी करने और वहा गड़बड़ी फैलाने के दावे की पोल खोली है उसके ही एक अधिकारी ने. उस पूर्व खुफिया अधिकारी ने पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए दावा किया है कि कुलभूषण जाधव बेकसूर है.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब का दावा है कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ने पाकिस्तान में नहीं पकड़ा था. बल्कि उसको ईरान में पकड़ा गया था और उन्हें वहां से लाकर बलूचिस्तान में फर्जी गिरफ्तारी दिखाई गई.

जानकारों का मानना है कि रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब के  इस बयान का इस्तेमाल भारत अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में कर सकता है. वह इस मामले की अगली सुनवाई में कह सकता है कि पाकिस्तानी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब के बयान को देखते हुए जाधव को पाकिस्तान की कस्टडी से निकालकर किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को सौंपा जाए.

हालांकि जैसा की उम्मीद है कि पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर वाली कहावत को देखते हुए इस बात की बहुत ही कम उम्मीद है कि पाकिस्तानी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब अपनी बात पर ज्यादा देर तक टिक पाएंगे.

क्योंकि यदि उन्होंने अपना बयान वापस नहीं लिया तो फिर पाकिस्तान में उनका रहना मुश्किल हो जाएगा. देखा गया है कि वहां का मीडिया भी पाकिस्तानी सेना के विरोध में एक खबर तक करने की हिम्मत नहीं करता है.

ऐसे में रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब की मजबूरी होगी कि वे अपने बयान का खंडन करे. लिहाजा इसके बाद भी भारत के पास एक ओर दांव बचता है. वह है पाकिस्तान के एक मंत्री द्वारा संसद में दिया गया बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि कुलभूषण के खिलाफ कोई सबूत नहीं है.

गौर करने लायक बात है कि पाकिस्तानी सेना जाधव पर जासूसी और आतंकवाद का आरोप लगा चुकी है. इस्लामाबाद और रावलपिंडी दोनों मानते हैं कि जाधव फर्जी पहचान के तहत ईरान में रह रहे थे और उनका असल मकसद कराची और बलूचिस्तान में आतंकवाद को हवा देना था.