ENG | HINDI

नई दुल्हन से कराया जाता है ऐसा काम जिसे जानकर दंग रह जाएंगे !

नई दुल्हन

नई दुल्हन के ससुराल में जाने पर हर जगह अलग-अलग रीति रिवाज़ों का पालन करना होता है.

नई दुल्हन के मुंह दिखाई के अलावा भी बहुत सी रस्में होती हैं. कुछ रस्में तो अच्छी हैं, लेकिन कई रस्में ऐसी भी होती है जो रस्म के नाम पर कलंक है. दुनिया में एक ऐसी जगह भी है जहां घर की बहुओं को शादी के अगले दिन से ही ऐसे काम करने पर मजबूर किया जाता है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे ही देश में परंपराओं के नाम पर बहुओं के साथ कैसी ज़्यादती होती है. ये कहीं ओर की बात नहीं बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली का हाल है.

जी हां दिल्ली के इस इलाके में घर की बहू बेटियों को ही जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया जाता है.

दिल्ली में ऐसा काम होता है, यकीन नहीं हो रहा ना…

नई दुल्हन

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दिल्ली के नफजगढ़ स्थित प्रेमनगर बस्ती में एक ऐसा समुदाय है जो परंपरा के नाम पर अपने ही घर की बहुओं को जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल देता है. यह ‘परना समुदाय’ के नाम से जाना जाता है.

ये सिलसिला कई सालों से लगातार जारी है और आज भी जारी है. ताज्जुब इस बात पर होता है कि यहां 12 से 15 साल की उम्र में ही लड़कियों की शादी करा दी जाती है. उसके बाद इन लड़कियों को घर का काम संभालने के साथ ही गैर मर्दो के साथ भी सम्बन्ध बनाने पड़ते हैं. अब आप ही सोचिए जिसे नई दुल्हन बनाकर लाते हैं उसे ही गैर मर्द के साथ सोने पर मजबूर करते हैं ये परंपरा है या शोषण?

नई दुल्हन

यह लड़कियां रात में घर का सारा काम निपटा कर जिस्मफरोशी के लिए निकल जाती है. जहां यह दूसरे मर्दों को संतुष्ट कर वापस अपने घर लौट आती है. इतना ही नहीं, अगर कोई लड़की इसे करने से मना कर देती है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है यानी इस समुदाय में लड़कियों की शादी नहीं सौदा किया जाता है. शादी के बाद उनकी इज्जत का सौदा ससुराल वाले करते हैं.

कहा ये भी जाता है कि इस समुदाय में लड़की पैदा होते ही उन्हें ट्रेनिंग के लिए दलालों को सौंप दिया जाता है. इस समुदाय के बारे में कई रिपोर्ट छप चुकीं है. इस समुदाय में शादी नहीं होती बल्कि जो भी लड़केवाला पक्ष सबसे ज्यादा पैसों की बोली लगाता है लड़की पक्ष उसे अपनी लड़की सौंप देता है.

असल में ये शादी, शादी नहीं होती बल्कि सौदा होता है. ससुराल जाते हैं यहां लड़कियों के लिए खुद ससुराल वाले ग्राहक ढूंढने निकल पड़ते हैं. इस दलदल में फंसी कुछ महिलाएं पढ़ना लिखना चाहती हैं लेकिन इस जाल से कैसे निकला जाए यह समझ नहीं पाती. अफसोस की बात है कि इन तक किसी संगठन की आवाज भी नहीं पहुंच पाती. देश के नेता महिलाओं पर अत्याचार रोकने की बात कहते हैं लेकिन क्या इस सच से वे वाकिफ नहीं..? इनके बारे में तो जानकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे देश अभी भी आज़ाद नहीं हुआ है,

परंपरा के नाम पर नई दुल्हन से इतना घिनौना काम होता है सुनकर किसी को भी शर्म आ सकती हैं, लेकिन ऐसा करने वालों को अपने काम से कोई शर्म नहीं आती.