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अवश्य जानें गौरक्षा पर बने नए कानून के बारे में !

गौरक्षा कानून
केंद्र सरकार ने इस साल 2017 में केंद्रीय कानून को नोटिफाई कर नए गौरक्षा कानून का ऐलान कर दिया, जिसके तहत देशभर में गाय को मारने के लिए कोई भी बेच नहीं पायेगा. याने कि कत्लखाने पर गायों को बेचा नहीं जा सकेगा.
बता दें कि देशभर में अब तक गौरक्षा पर सभी राज्यों के अपने अलग-अलग गौरक्षा कानून थे. साथ हीं खेती के लिए काम में आने वाले जानवरों को लेकर भी प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट (1960) के नियम कायम थे. लेकिन अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा देशहित में कुछ नए नियमों को लागू किया गया.
आइए जानते हैं क्या हैं गौरक्षा कानून –
1. इस गौरक्षा कानून के तहत देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से 50 किलोमीटर अंदर तक के इलाकों में अब जानवरों का बाजार नहीं लग सकता है. इस नियम को जानवरों की देश से बाहर हो रही तस्करी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया. क्योंकि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि देश से काफी बड़ी संख्या में गाय – बैलों का स्मगलिंग होकर बांग्लादेश पहुंचते रहे हैं.
2. ठीक उसी तरह राज्यों की सीमा से भी 25 किलोमीटर के अंदर तक पशु बाजार नहीं लगाया जा सकता है. इस कानून को राज्यों के बीच होने वाली स्मगलिंग को रोकने के लिए बनाया गया है. अब अगर कोई व्यक्ति राज्यों की सीमा के पार जानवर को ले जाना चाहेगा, तो उसे राज्य सरकार के नॉमिनी की आज्ञा लेनी होगी.
3. सभी पशु बाजारों के लिए जिला पशु बाजार कमेटी की अनुमति लेनी जरूरी होगी. इसके अध्यक्ष जिले के मजिस्ट्रेट होंगे. साथ हीं कमिटी में राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एनिमल वेलफेयर ग्रुप के 2 प्रतिनिधि भी मौजूद होंगे.
4. आमतौर पर पशुओं को बाजारों में ले जाने के लिए ट्रक का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अब नए नियम के तहत एक वेटनरी इंस्पेक्टर इस बात का खास ध्यान रखेंगे की ट्रक में से जानवरों को ठीक तरह से उतारा और चढ़ाया जाए. वेटरनरी इंस्पेक्टर किसी भी जानवर को ‘अनफिट’ बताकर उसे बेचने के लिए मना भी कर सकता है.
5. पशु बाजार किस तरह का होना चाहिए, इसके लिए भी 30 नियमों का ऐलान केंद्र सरकार ने किया है. इसके तहत पशु बाजारों में पंखे, पानी, रैम्प और डॉक्टर जैसी सुविधाओं का खास इंतजाम रखना पड़ेगा. साथ हीं बीमार जानवरों की खातिर अलग से इंतजाम करने होंगे.
6. अगर कोई व्यक्ति अपने पशुओं को बेचना चाहेगा तो उसे काफी कागजी कार्यवाही करनी होगी. खरीदने और बेचने वालों को इस बात के सबूत पेश करने होंगे कि वे किसान हैं. जिसकी खातिर उन्हें जमीन के कागजात भी दिखाने पड़ेंगे.
7. गाय की खरीदी के लिए पांच रसीद बनाने होंगे. जिसे अलग-अलग विभागों में जमा करने होंगे. एक इलाके के पशु अस्पताल के डॉक्टर के पास, एक राजस्व विभाग में और एक पशु बाजार कमिटी के पास जमा होंगे. और बची हुई दो रसीदों में से एक-एक खरीदने और बेचने वाले अपने पास रखेंगे.
8. अब सरकारी शेल्टर में रखे जाने वाले जानवरों के खर्च उनके मालिकों को उठाना पड़ेगा. एक जानवर के लिए कितनी फीस होनी चाहिए, ये राज्य सरकार तय करेगी. हर साल 1 अप्रैल के दिन इस फीस का ऐलान किया जाएगा. जो किसान इस फीस को नहीं चुका पाएंगे उनकी बाकि देनदारियों में इसे जोड़ दी जाएगी.
गौरक्षा कानून – बता दें कि देश में ये पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने देशभर के लिए इस तरह के नियम को ऐलान किया हो. इस वजह से भी ये नियम बेहद अहम और खास होते हैं. जो भी हो ये तो तय है कि इन नए नियमों की वजह से किसानों को काफी असुविधा झेलनी पड़ सकती है. किसान इतने पढ़े-लिखे होते नहीं कि वे इतने कागज तैयार कर पाएं.