Categories: कैंपस

कॉलेज कैंपस की दीवारों पर लिखी ये कहानियां आपको अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर देगी!

कॉलेज का नाम सुनते ही जो छवि बनती है वो है मस्ती कर रहे लड़के-लड़कियों की जो क्लासेज़ बंक करने में नंबर एक हैं लेकिन पढ़ाई में ज़ीरो!

पर सारी दुनिया के कॉलेज के बच्चे एक से ही हों, ऐसा भी तो ज़रूरी नहीं है|

जहाँ एक तरफ हर कॉलेज की दीवारें वहाँ के बच्चों की शरारतों और अठखेलियों की साक्षी होती हैं, वहीं कुछ कॉलेज की दीवारें ऐसे बच्चों की कहानियाँ भी अपने आप में समाय बैठी हैं जिन्होंने दुनिया का इतिहास बदलने में ख़ास योगदान दिया है!

आईये आपको सुनाऊँ कुछ ऐसे ही गज़ब के छात्रों की कहानी, कॉलेज कैंपस की दीवारें जो कहती है…

1) मौंटी पायथन

1969 में ऑक्सफ़र्ड और केंब्रिड्ज के 6 छात्रों ने कॉमेडी की दुनिया में हल्ला मचा दिया! एक ऐसा नया शो दुनिया के सामने लाये जिसकी मिसालें आज भी दी जाती हैं! मौंटी पायथन के नाम से इस मशहूर स्केच कॉमेडी के कलाकार थे ग्रैहम चैपमैन, जॉन क्लीज़, टेरी गिल्लियम्, एरिक आइडल, टेरी जोंस और माइकल पालिन! इन छात्रों ने कॉलेज में पढ़ाई की या नहीं की, लेकिन अपने दिमाग़ और मेहनत से एक ऐसी कॉमेडी की श्रृंखला खड़ी कर दी जिसके ऊपर किताबें लिखी गयीं, स्टेज शो हुए, फिल्में बनीं और टीवी पर एक नई तरह के एंटरटेनमेंट का ईजाद हुआ जिसने पहले के कॉमेडी के सभी नियमों को धराशायी कर दिया! आज भी लोग उन्हें दिमाग़ में रख कर कॉमेडी लिखते हैं|

2) मार्क ज़ुकरबर्ग

अब इन साहब को कौन नहीं जानता! मस्ती-मस्ती में शुरू किया हुआ फ़ेसबुक पेज आज सारे विश्व में एक क्रांति बन कर छा गया है! मार्क साइकॉलजी के छात्र थे और अपने होस्टेल के कमरे में बैठ कर अपने दोस्तों, एड्वार्डो सेवरिन, आंड्र्यू मॅककलम, डस्टिन मॉस्कोविट्ज़ और क्रिस ह्यूस के साथ दोस्तों-यारों की मदद के लिए फ़ेसबुक का ईजाद किया! अब देख लीजिए कहाँ पहुँच चुके हैं हुज़ूर!

3) गूगल

1996 में स्टॅन्फर्ड यूनिवर्सिटी के दो स्टूडेंट्स, लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने मिलकर गूगल का अविष्कार किया| उन्होनें केवल इतनी कोशिश की थी कि एक ऐसा अल्गोरिथ्म बनाया जाए जिस से की इंटरनेट पर कुछ भी ढूँढा गया तो वो उपयोगिता के अनुसार एक सूची में नज़र आएगा बजाए इसके कि उस चीज़ को कितनी बार ढूँढा गया है| एक वो वक़्त था और एक आज है, लोग ढूँढते नहीं हैं, “गूगल” करते हैं!

4) पिंक फ्लॉयड

सिर्फ़ ये ही नहीं, बल्कि कोल्ड्प्ले, पल्प, पिक्सिज़, आर ई एम और ना जाने कितने ही म्यूज़िक बैंड इंग्लेंड और अमरीका के कॉलेजों में ही बने और उभरे हैं! किताबों ने शायद इन बच्चों का चेहरा कभी नहीं देखा होगा!

5) टाइम मॅग्ज़िन

आज की दुनिया में जब छपी हुई पत्रिकाओं में किसी की दिलचस्पी नही समझी जाती, ऐसे में टाइम मॅग्ज़िन के अब भी 25 मिलियन पाठक हैं! सोचिए, यह पत्रिका सबसे पहले 1923 में अमरीका में शुरू हुई थी और वो भी येल यूनिवर्सिटी के दो स्टूडेंट्स, ब्रिटन हॅडन और हेन्री लूस के द्वारा! इन्होनें ज़रूर पढ़ाई का उचित फ़ायदा उठाया!

तो ये थीं कुछ ऐसे कॉलेजों की सफ़ल कहानियाँ जिनकी दीवारें वहाँ पढ़ने वाले छात्रों को कभी भुला नहीं पाएँगी! और हम भी कहाँ भूल पाएँगे, है ना?

उम्मीद है कि आप भी अपने कॉलेज का नाम इसी तरह रोशन करेंगे! आने वाले दिनों में हम आपकी भी ऐसी ही कुछ कहानियाँ सुनने को उत्सुक रहेंगे!

Nitish Bakshi

Share
Published by
Nitish Bakshi

Recent Posts

Jawaharlal Nehru के 5 सबसे बड़े Blunders जिन्होंने राष्ट्र को नुकसान पहुंचाया

भारत को आजादी दिलाने में अनेक क्रांतिकारियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था, पूरे…

4 years ago

Aaj ka Rashiphal: आज 3 अप्रैल 2020 का राशिफल

मेष राशि आप अपने व्यापार को और बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहेंगे. कार्यक्षेत्र में…

4 years ago

डॉक्टर देवता पर हमला क्यों? पढ़िए ख़ास रिपोर्ट

भारत देश के अंदर लगातार कोरोनावायरस के मामले बढ़ते नजर आ रहे हैं. डॉक्टर्स और…

4 years ago

ज्योतिष भविष्यवाणी: 2020 में अगस्त तक कोरोना वायरस का प्रकोप ठंडा पड़ जायेगा

साल 2020 को लेकर कई भविष्यवाणियां की गई हैं. इन भविष्यवाणियों में बताया गया है…

4 years ago

कोरोना वायरस के पीड़ित लोगों को भारत में घुसाना चाहता है पाकिस्तान : रेड अलर्ट

कोरोना वायरस का कहर लोगों को लगातार परेशान करता हुआ नजर आ रहा है और…

4 years ago

स्पेशल रिपोर्ट- राजस्थान में खिल सकता है मोदी का कमल, गिर सकती है कांग्रेस की सरकार

राजस्थान सरकार की शुरू हुई अग्नि परीक्षा उम्मीद थी कि सचिन पायलट को राजस्थान का…

4 years ago