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जवाहरलाल नेहरु नहीं एक मुस्लिम नेता थे भारत के पहले प्रधानमंत्री !

बरकतुल्‍लाह खान

बरकतुल्‍लाह खान – देश के पहले प्रधानमंत्री बनने की होड़ में हिंदुस्‍तान का बंटवारा ही हो गया। मोहम्‍मद अली जिन्‍ना और चाचा नेहरू के बीच पहले प्रधानमंत्री बनने की खींचतान की वजह से भारत और पाकिस्‍तान को दो देशों में बंटना पड़ा।

नेहरू ने देश का पहला प्रधानमंत्री बनने के लिए खूब राजनीति चली थी।

इतिहास के पन्‍नों में गुम बरकतुल्‍लाह खान, भारत सरकार के पहले प्रधानमंत्री हैं। आज़ादी से पहले एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया था जिसमें बरकतुल्‍लाह खान को प्रधानमंत्री और महेंद्र प्रताप को राष्‍ट्रपति बनाया गया था।

मध्‍यप्रदेश के भोपाल में जन्‍में बरकतुल्‍लाह खान तमिल, अरबी, फारसी के साथ कई भाषाओं के जानकार थे। कभी ट्यूशन पढ़ाकर अपना गुज़ारा करने वाले खान जब उच्‍च शिक्षा के लिए इंग्‍लैंड गए तो उनका पूरा ही जीवन बदल गया।

इंग्‍लैंड में उनकी मुलाकात कई देशभक्‍त क्रांतिकारियों से हुई। उस समय खान वहां ‘द क्रिसेंट’ और ‘इस्‍लामिक वर्ल्‍ड’ नामक समाचार पत्र में सह संपादक के पद पर कार्य कर रहे थे। वह नौकरी छोड़ भारत को आज़ाद कराने का जज्‍बा लिए देश वापिस लौटे आए। यहां उनकी मुलाकात महेंद्र प्रताप से हुई जो देश को आज़ादी दिलाने के लिए कुछ भी कर गुज़रने को तैयार थे।

खान अमेरिका जाकर वहां गदर पार्टी की स्‍थापना कर उसके मुखपत्र ‘हिंदुस्‍तान गदर’ का संपादन करने लगे।

19 फरवरी 1915 को महेंद्र प्रताप और बरकतुल्‍लाह खान अनेक क्रांतिकारियों के साथ बर्लिन में मिले। इस मीटिंग में एक सशस्‍त्र संघर्ष के लिए कमेटी बनाई गई जो देश को आज़ाद कराते।

इसके तुरंत बाद खान और प्रताप अफगानिस्‍तान पहुंचे जहां उन्‍होंने देश की अंतरिम सरकार की घोषणा कर दी। इस सरकार में प्रताप को राष्‍ट्रपति और बरकतुल्‍लाह को प्रधानमंत्री बनाया गया था। इस तरह देश का पहला प्रधानमंत्री होने का गौरव बरकतुल्‍लाह को जाता है। जवाहर लाल नेहरू आजाद देश के पहले प्रधानमंत्री हो सकते हैं लेकिन बरकतुल्‍लाह देश के पहले प्रधानमंत्री थे।