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भारत को गोल्ड दिलवाने वाली एथलिट हिमा दास का जीवन परिचय

एथलिट हिमा दास

एथलिट हिमा दास आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप के महिला 400 मीटर फाइनल में खिताब के साथ विश्व स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं।

खिताब की प्रबल दावेदार 18 साल की हिमा दास ने 51.46 सेकेंड के समय के साथ गोल्ड मेडल जीता, जिसके बाद भारतीय खेमे ने जबर्दस्त जश्न मनाया।

एथलिट हिमा दास

एथलिट हिमा दास का जन्म 9 जनवरी को 2000 को असम राज्य के नौगांव जिले के ढिंग में हुआ था. हिमा एक बंगाली ब्राह्मण परिवार से हैं. हिमा एक चावल की खेती करनेवाले किसान की बेटी है| हिमा के पिताजी का नाम रोंजित दास है. हिमा की माताजी का नाम जोमाली दास हैं. वह एक गृहणी हैं|

एथलिट हिमा दास

नौगांव में अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते हैं वह जगह बहुत अधिक विकसित नहीं है. जब एथलिट हिमा दास गांव में रहती थी तो बाढ़ की वजह से कई-कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी क्योंकि जिस खेत या मैदान में वह दौड़ की तैयारी करती, बाढ़ में वह पानी से लबालब हो जाता. जब वर्ष 2017 में एथलिट हिमा दास राजधानी गुवाहाटी में एक कैम्प में हिस्सा लेने आई थीं तब उनपर कोच निपुण की नज़र उन पर पड़ी.

एथलिट हिमा दास

शुरुआत में एथलिट हिमा दास को फ़ुटबॉल खेलने का शौक था, वे अपने गांव या ज़िले के आस पास छोटे-मोटे फ़ुटबॉल मैच खेलकर 100-200 रुपये जीत लेती थी. फ़ुटबॉल में खूब दौड़ना पड़ता था, इसी वजह से एथलिट हिमा दास का स्टैमिना अच्छा बनता रहा, जिस वजह से वह ट्रैक पर भी बेहतर करने में कामयाब रहीं.

एथलिट हिमा दास

फिनलैंड विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप के शुरुआती 35 सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन में भी नहीं थीं, शायद ही किसी ने उन्हें फ़िनलैंड के ट्रैक पर लाइव दौड़ते हुए देखा होगा. लेकिन एक शख्स थे जिन्हें हिमा की इस रेस का बेसब्री से इंतज़ार था. वे थे उनके कोच निपुण दास. हिमा के यूं अंतिम वक़्त में रफ़्तार पकड़ने पर निपुण दास कहते हैं, “रेस में जब आखिरी 100 मीटर तक हिमा चौथे स्थान पर थी तो मुझे यक़ीन हो गया था कि वह इस बार गोल्ड ले आएगी, मैं उसकी तकनीक को जानता हूं वह शुरुआत में थोड़ी धीमी रहती है और अपनी पूरी ऊर्जा अंतिम 100 मीटर में लगा देती है. यही उसकी खासियत है.”

निपुण कहते हैं, “हिमा को ट्रैक के कर्व (मोड़) पर थोड़ी समस्या होती है यह बहुत हल्की सी दिक्कत है. यही वजह है कि शुरुआत में वह हमेशा पीछे ही रहती है लेकिन जब ट्रैक सीधा हो जाता है तो वह तेज़ी से रिकवर करते हुए सबसे आगे निकल जाती है.”