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आखिर क्यों कहा जाता है आलोक नाथ को बॉलीवुड का सबसे “संस्कारी आदमी”!

संस्कारी आदमी

अपने दमदार अभिनय से लोगो के दिलों में खास जगह बनाने वाले चरित्र अभिनेता आलोक नाथ किसी परिचय के मोहताज नहीं है।

वे अपने निभाये किरदारों में इतने संजीदा होते है कि वो किरदार सिर्फ उन्ही का बनके रह जाता है। वैसे आलोक जी को फ़िल्मी दुनिया के सबसे संस्कारी आदमी कहे जाने का तमगा हासिल है।

आपको बता दें कि अक्सर सोशल मिडिया पर उनके अति संस्कारी आदमी होने पर जोक बनाये जाते है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है अलोक नाथ को आखिर इतना संस्कारी आदमी क्यों कहा जाता है।

तो चलिये आज हम आपको एक संस्कारी यात्रा पर लिये चलते है।

जी हाँ आलोक नाथ ने अपनी फिल्मों में जिस तरह के किरदार निभाये है वो एक ठेठ भारतीय होते है जिसमें बाबूजी, पिताजी, दादाजी, ससुरजी आदि कई तरह के संस्कारवान रोल है जिसमें लोग अपने आदर्शवादी बाबूजी, पिताजी या दादाजी को देखते है। इन किरदारों को निभाते हुये आलोक जी अक्सर हमारे दिल को छू जाया करते है और हमारे बाबूजी की याद दिला दिया करते है। इन संस्कारी किरदारों की बदौलत आलोक नाथ ने लोगो के दिलों में एक अलग ही जगह बनाई है।

वहीं नई पीढ़ी के लोगो ने तो अलोक नाथ को हमेशा ऐसे ही संस्कारी रोल करते देखा है।

हालाँकि बाबूजी खुद अपनी संस्कारी इमेज के बारे में बताते है बकौल आलोक जी- “आज से तक़रीबन 30 साल पहले मैं मुंबई आया था, तब मेरी आँखों में हीरो बनने जैसा कोई सपना नहीं था। शुरुआत में कुछ फिल्में की फिर मुझे संयोग से ‘बुनियाद’ में हवेलीराम का किरादर मिल गया, जिससे मिली पहचान से मुझे खास लगाव होने लगा बस फिर इससे मिलती जुलती भूमिकाओं के ऑफर मुझे मिलते गए और मैं काम करता चला गया। संस्कारी आदमी वाली छवि के बारे में उनका कहना है कि वे अब तक एक जैसी भूमिका ही निभाते आये है और उन्हें अपने द्वारा निभाई गई भूमिकाओं पर कोई पछतावा नहीं है।

जब आलोक नाथ से उनके ऊपर बनाये गये संस्कारी आदमी के जोक्स के बारे में पूछा गया तो उन्होनें कहा कि मुझे अच्छा लगता है लोग इतना याद करते है।

60 वर्षीय आलोक नाथ पिछले 32 सालों से भारतीय फिल्मों और टेलिविजन का प्रमुख हिस्सा है।

हम दुआ करेंगे कि आगे भी आलोक जी ऐसे ही अपनी बेहतरीन अदायगी और संस्कारी भूमिकाओं से हमें एंटरटेन करते रहे।